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जीएसटी को अमेरिकी एजेंसी मूडीज ने सराहा, कहा- तेज होगी अर्थव्यवस्था की रफ्तार
BY Suryakant Pathak2 July 2017 11:53 AM GMT

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Suryakant Pathak2 July 2017 11:53 AM GMT
अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को भारत के लिए सकारात्मक बताया है। मूडीज ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि जीएसटी के जरिए अधिक से अधिक लोग कर चुकाएंगे, जिससे भारत का राजस्व बढ़ेगा। बयान में एजेंसी की इनवेस्टर सर्विस के उपाध्यक्ष विलियम फोस्टर ने कहा, "जीएसटी की वजह से सरकार का राजस्व बढ़ेगा, क्योंकि इससे प्रशासनिक सुधार आएगा और अधिक से अधिक संख्या में लोग कर चुकाएंगे। दोनों ही चीजें भारत की क्रेडिट प्रोफाइल के लिए सकारात्मक साबित होंगी, जो अब तक कम राजस्व के चलते बाधित था।" उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि कर चुकाने वालों की संख्या में इजाफा होने के पीछे जीएसटी में कर चुकाने वालों को कर क्रेडिट देने की सुविधा और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच एक आम साझा सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना के जरिए कर चुकाने की प्रक्रिया का सहज होना मुख्य कारण होंगे।" इतना ही नहीं मूडीज के अनुसार, जीएसटी के चलते भारत की उत्पादकता भी बढ़ेगी और कारोबार में आई सरलता के कारण सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर भी तेज होगी। इन सबसे, भारत विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी सफल होगा। भारत में एक जुलाई से जीएसटी लागू कर दिया गया है, जिसके तहत पूर्व में लगने वाले 17 तरह के करों और केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले 23 अधिभारों को खत्म कर एक राष्ट्रीय कर की व्यवस्था कर दी गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत अधिकतर वस्तुओं की कीमतें घटेंगी या उतनी ही बनी रहेंगी। जेटली ने यह भी कहा कि दुनिया के अन्य देशों की तरह, जहां जीएसटी लागू करने के बाद महंगाई आई, भारत को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा। जेटली ने कहा कि जीएसटी के तहत एक कारोबारी को साल भर में 37 रिटर्न भरने की जरूरत संबंधी खबरें पूरी तरह बेबुनियाद हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि जीएसटी लागू होने के बाद महंगाई आएगी, क्योंकि हमने पूरी कर प्रणाली का औसत भार कम रखा है। कुछ चीजों की कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन अधिकतर वस्तुओं की कीमतें या तो कम हो जाएंगी या उतनी ही बनी रहेंगी।" उन्होंने बताया कि जीएसटी के तहत प्रत्येक कारोबारी को साल में सिर्फ एक बार रिटर्न भरना होगा, जो साल के 10वें महीने में भरा जाएगा। इसके बाद कंप्यूटर प्रणाली से अन्य रिपोर्ट खुद-ब-खुद हासिल किए जा सकेंगे।
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