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उत्तर प्रदेश

सुनील कुमार सुनील के मन की बात : क्या सेक्युलर होना देशद्रोह है ?....

सुनील कुमार सुनील के मन की बात : क्या सेक्युलर होना देशद्रोह है ?....
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...कुछ मानसिक विकलांगता के शिकार लोग सेकुलर शब्द को ऐसे यूज करते हैं /सामने वाले पर ऐसी एनर्जी देकर प्रतिक्रिया देते हैं जैसे सेक्युलर होना देशद्रोह हो...!!! ...यदि सेक्युलर होना देशद्रोह है/यदि सेक्युलर होना धर्म के लिए खतरा है तो एक चीज मैं दावे से कह सकता हूं कि साम्प्रदायिक(कम्युनल) होना सिद्ध देशद्रोह है/ यदि आप अपने धर्म और सम्प्रदाय का उपयोग करके अस्थिरता को जन्म देने का काम करते हो तो आप उस धर्म /सम्प्रदाय के रक्षक नहीं भक्षक हो/उस धर्म के लिए आप खतरा हो जिस धर्म के नाम पर आप लडाई लडाना चाह रहे हो/उन्मादी मानसिकता प्रत्यक्ष होते ही मैं बिना किसी बहस के अन्तिम निष्कर्ष के कह सकता हूं और सच यही है कि आप जिस धर्म सम्प्रदाय को आप विलांग करते हो निश्चित ही आप उस धर्म समाज के लिए खतरा हो ...!!!
...धर्म ईश्वर (अमूर्त शक्ति) तक तो पहुंचने का साधन हो सकता है लेकिन सत्ता तक पहुंचने का तो कतई नहीं ...!!! ...यदि आप एक लोकतांत्रिक देश में धर्म की आड पर सत्ता तक पहुंचते हो तो याद रखिए आपने धर्म की हत्या की है आपके साथ साथ आपको पहुंचाने में सहयोग करने वाले भी दोषी है बीमार/देश और समाज की गन्दगी है /इस बात को निर्विवादित रूप से स्वीकार करना चाहिए हर उस व्यक्ति को जो दिलों में धर्म के प्रति थोडा सा भी आस्था रखते हैं...!!! ...क्योंकि धर्म आस्था का विषय है और आस्था दिलों में रहती है/और जो चीज़ हमारे दिल में उसे कोई कैसे नष्ट कर सकता है...??? ...कोई कैसे भ्रष्ट कर सकता है...??? ...बांकि जो इसको नष्ट और भ्रष्ट करने की कोशिश करेगा उसको सजा देने के लिए ईश्वर है न...??? ...क्योंकि ईश्वर ही देश दुनियां को चला रहा है /हमको जीवन मृत्यु जैसे उत्सवों से सुशोभित कर रहा है/वो ही अन्तिम रूप हमारा लक्ष्य है तो हम खुद न्यायाधीश बनकर उसका अपमान कैसे कर सकते हैं...??? ...इसीलिए जो धर्म नष्ट/भ्रष्ट करेगा उसको ईश्वर खुद ही दण्डित करेगा यदि हम ईश्वर की सत्ता स्वीकारते हैं तो/हम सिर्फ उसकी राह पर रह सकते है इसलिए साम्प्रदायिक होना ही धर्मविरोधी कृत्य से ज्यादा कुछ नहीं...!!!
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