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मानसरोवर यात्रा पर चीन की सफाई, कहा- सेफ्टी के चलते यात्रियों को रोका

मानसरोवर यात्रा पर चीन की सफाई, कहा- सेफ्टी के चलते यात्रियों को रोका
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नई दिल्ली. चीन ने सोमवार को कहा कि वो सिक्कम में नाथु ला पास के जरिए होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के मसले पर भारत के संपर्क में है। बता दें कि पिछले शुक्रवार को चीन ने इस रास्ते से तीर्थ यात्रियों को जाने से रोक दिया था। चीनी ऑफशियल्स का कहना था कि लैंडस्लाइड और बारिश से रास्ता खराब हो गया है। हालांकि, अब चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय यात्रियों की सेफ्टी को लेकर चिंताएं थीं, इसी वजह से उन्हें रोका गया था। विदेश मंत्रालयों के बीच हो रही बात...
- चीन के विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन गेंग सुहांग ने कहा, "मेरी जानकारी के मुताबिक, दोनों देशों के विदेश मंत्रालय इस मुद्दे पर संपर्क में हैं।"
- बता दें कि 47 तीर्थ यात्रियों के पहले बैच को 19 जून को नाथु ला पास से बॉर्डर क्रॉस करना था, लेकिन खराब मौसम की वजह से वो नहीं पहुंच पाए और बेस कैम्प में ही रुक गए।
- बाद में 23 जून को चीनी ऑफिशियल्स ने उन्हें रोड खराब होने की बात कह कर एंट्री देने से मना कर दिया।
- उधर, भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि कुछ दिक्कतें आई हैं, जिन्हें चीन सरकार के सामने उठाया गया है।
- उन्होंने बताया कि चीन की ओर से एंटी न मिलने पर सभी 47 यात्री लौट आए थे। इस साल इस रास्ते से 350 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
2015 में चीन ने खोला था रास्ता
- भारत के कहने पर चीन ने नाथु ला पास से मानसरोवर जाने वाला रास्ता 2015 में खोला था।
- यहां से बॉर्डर क्रॉस करने के बाद चीन की गाड़ियों से यात्रियों को आगे ले जाया जाता है।
दो रास्ते हैं मानसरोवर जाने के
- आमतौर पर कैलास-मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख वाले रास्ते से होती रही है। यह कठिन रास्ता है।
- इस रास्ते से हर साल 18 बैच में 1000 से ज्यादा तीर्थयात्री जाते हैं। इस रास्ते से यात्रियों को 1546 किलोमीटर गाड़ी से और 219 किलोमीटर पैदल चलना होता है।
- नाथु ला पास वाला रास्ता आसान है। यहां से बॉर्डर क्रॉस करने के बाद यात्रियों को बस से 1500 किलोमीटर दूर मानसरोवर झील तक ले जाया जाता है।
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