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उत्तर प्रदेश

इन 10 फैसलों पर बैकफुट पर रही योगी सरकार

इन 10 फैसलों पर बैकफुट पर रही योगी सरकार
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योगी सरकार ने अपने 100 दिन पूरे कर लिए हैं. अपने इस शुरुआती कार्यकाल में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई अभूतपूर्व फैसले लिए. इनमें कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने विवादों को जन्म दिया.
एंटी रोमियो स्क्वॉड, अवैध कत्लखाने से शुरू हुआ ये सिलसिला प्रशासनिक व्यवस्था और कानून व्यवस्था को लेकर सरकार से जुड़े कुछ फैसलों पर सवाल खड़े कर रहा है.
एंटी रोमियो स्क्वॉड
योगी सरकार ने सत्ता में आते ही प्रदेश की महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर एंटी रोमियो स्क्वॉड का गठन किया. लेकिन गठन के साथ ही इस स्क्वॉड की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठने लगे. कई जगह युवाओं को एंटी रोमियो स्क्वॉड ही प्रताड़ित करता नजर आया. इसके तमम वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए. इस मुद्दे पर विपक्ष के नेताओं ने भी योगी सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की. बाद में सरकार और पुलिस प्रशासन को स्क्वॉड के लिए दिशा—निर्देश जारी करने पड़े.
अवैध कत्लखाने
योगी सरकार ने सत्ता में आते ही यूपी में अवैध कत्लखानों को पूरी तरह बंद करने और यांत्रिक कत्लखानों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया. इसको लेकर कई जगह सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा अवैध उत्पीड़न की शिकायतें आईं. मामले में हाईकोर्ट ने भी अफसरों के तौर—तरीकों पर सवाल उठाए. इसके बाद सरकार बैकफुट पर आती दिख रही है. मामले में वैसे कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है, जैसे शुरुआत में हो रही थी.
भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान
उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने बड़ा खुलासा करते हुए पेट्रोल पंपों पर चिप से तेल चोरी का मामला पकड़ा. इस खुलासे ने देश की तमाम एजेंसियों की आंखें खोल दीं. पूरे देश में पेट्रोल पंपों पर छापेमारी के दौर चले. लेकिन यूपी में शासन के अफसरों ने एसटीएफ के हाथ बांध दिए और पेट्रोल पंप के खिलाफ कार्रवाई तक नहीं होने दी. इसके बाद खुद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव तक को फटकार लगाई. लेकिन धीरे-धीरे मामला ठंडा ही पड़ता दिख रहा है.
शराब की दुकानों लेकर पशोपेश
सुप्रीमकोर्ट के हाईवे से शराब की दुकान हटाने के फरमान के बाद यूपी में कई जगह बस्तियों में शराब की दुकानें लगाने को लेकर विरोध प्रदर्शन सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है. इसे लेकर खुद सीएम योगी कह चुके हैं कि पिछली सरकार ने 2018 तक के शराब के ठेके दे दिए. हम सुधार कर रहे हैं. स्थिति ये है कि प्रदेश में कई स्टेट हाईवे नेशनल हाईवे में तब्दील हो गए हैं, जिसके कारण शराब की दुकानों को बचाने और आमजन भावनाओं का ख्याल रखना योगी सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है.
जोन में एडीजी की तैनाती पर उठते सवाल
कानून व्यवस्था में सुधार करने के उद्देश्य से योगी सरकार ने प्रदेश पुलिस व्यवस्था में बड़ा फेरबदल करते हुए रेंज में डीआईजी की जगह आईजी, जोन में आईजी की जगह एडीजी नियुक्त किए लेकिन इसका जमीनी स्तर पर कोई असर दिखाई पड़ता नहीं दिख रहा है. उलटे इस योजना को लेकर सरकार को मायावती मॉडल पर चलने के आरोप लगे रहे हैं.
कागजों पर 24 घंटे बिजली
योगी सरकार ने ऐलान किया कि जिला मुख्यालयों को 24 घंटे, तहसीलों में 20 घंटे और गांवों को 18 घंटे बिजली दी जाएगी. वैसे कागजों पर योगी सरकार जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे बिजली जरूर दे रही है लेकिन जमीन पर हकीकत ये है कि ऐसा हो नहीं पा रहा. आलम ये है कि लखनऊ जैसे बड़े शहर में बिजली उपलब्ध होने के बाद भी एक से दो घंटे की कटौती बिजली विभाग को करनी पड़ती है ताकि तार और ट्रांसफॉर्मर न फुक जाएं. कुछ यही हाल योगी सरकार के शहरों में 24 घंटे और गांवों में 48 घंटे में ट्रांसफॉर्मर बदलने के फरमान का भी हो रहा है.
किसानों की कर्ज माफी में 1 लाख रुपए की सीमा का जोड़ना
विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सबसे बड़ा वादा लघु एवं सीमांत किसानों की कर्जमाफी था. योगी सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में कुछ शर्तों के साथ वादे पर अमल किया. इसके मुताबिक 31 मार्च 2016 तक प्रदेश में लघु व सीमांत किसानों द्वारा लिए गए फसलों ऋण की एक लाख रुपए की सीमा तक माफ करने का फैसला किया गया. 100 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार अभी तक इस योजना को मूर्त रूप नहीं दे सकी है. वहीं एक लाख की सीमा को लेकर भी सरकार कटघरे में है क्योंकि कर्ज माफी के चुनावी वादे में ये सीमा नहीं थी.
गोमती रिवर फ्रंट में नेता दोषी ही नहीं!
योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद अखिलेश सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजैक्ट लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट पर जांच बिठा दी. सरकार के नेताओं ने इसमें काफी भ्रष्टाचार और लूट होने की बात कही. लेकिन शुरुआती जांच में सिर्फ सरकारी अफसरों को ही दोषी माना गया. रिपोर्ट में अखिलेश सरकार के किसी भी मंत्री को इसमें दोषी नहीं माने जाने की खबर है.
भर्तियों पर रोक
योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में चल रही 22 भर्तियों को रोक दिया है. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग, प्राथमिक व राजकीय शिक्षकों और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग समेत सभी भर्तियां ठप हो गई है. सरकार कह रही है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार की जांच होगी और वादे के मुताबिक नियुक्तियां पारदर्शी ढंग से होंगीं. लेकिन ये कब होगा इसका उत्तर कोई नहीं दे पा रहा है.
मुख्य सचिव अभी भी वही
चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राहुल भटनागर और डीजीपी जावीद अहमद के खिलाफ चुनाव आयोग में कई शिकायतें कीं. लेकिन सत्ता में आने के बाद 100 मं योगी सरकार अभी तक सिर्फ डीजीपी जावीद अहमद को ही हटा सकी है. मुख्य सचिव राहुल भटनागर आज भी योगी सरकार में जिम्मेदरी संभाल रहे हैं, ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं.
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