नियम बदल कर मोदी सरकार ने अडानी ग्रुप को 500 करोड़ का फायदा
BY Suryakant Pathak24 Jun 2017 12:28 PM GMT

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Suryakant Pathak24 Jun 2017 12:28 PM GMT
PM मोदी के करीबी उद्योगपति गौतम अडानी एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं. मुंबई से आ रही ख़बरों के मुताबिक सरकार ने स्पेशल इकनोमिक जोन (SEZ) अधिनियम में बदलाव करके अडानी ग्रुप को 500 करोड़ रूपए का फायदा पहुँचाया है. गुजरात के गौतम अडानी और मोदी के रिश्ते पिछले कुछ बरसों से जग जाहिर है.
गौतम अडानी की कम्पनी, अडानी पावर लिमिटेड को 500 करोड़ रपए की ये छूट सरकार ने कस्टम ड्यूटी को लेकर दी है. मुंबई से प्रकाशित 'इकनोमिक एंड पोलटिकल वीकली' के अनुसार ये मामला अगस्त 2016 का है जब भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने SEZ अधिनियम में बदलाव करके कस्टम ड्यूटी में रिफंड का प्राविधान किया.
वीकली के मुताबिक पहले इसी अधिनियम में किसी तरह के रिफंड का कोई प्राविधान नहीं था लेकिन अडानी को तात्कालिक लाभ देने के लिए बदलाव किया गया. वीकली का दावा है कि अडानी ग्रुप ने जिस रकम पर रिफंड लिया वो रकम बतौर कस्टम ड्यूटी उसने कभी दी ही नहीं थी.
सूत्रों के मुताबिक अडानी ग्रुप का कहना है कि बिजली घरों के लिए कम्पनी ने इंडोनेशिया से कोयला आयात किया था. कोयला आयात पर कम्पनी ने 500 करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी दी थी. लेकिन वीकली का कहना है कि उसके पास दस्तावेज़ हैं जिससे साफ़ है कि अडानी ग्रुप ने कोई कस्टम ड्यूटी कोयला आयात पर नहीं दी थी.
इस पूरे मामले में वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय ने वीकली को कोई जवाब नहीं दिया जबकि अडानी ग्रुप का कहना है कि कम्पनी ने किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं की है.
अडानी के इस मामले को लेकर विपक्ष सरकार का घेरने के लिए तैयार
वीकली ने दस्तावेज़ों के आधार पर कहा है कि कस्टम बोर्ड की वेबसाइट पर रिफंड करने के लिए अडानी पावर लिमिटेड की तीन अर्जियां लगी हैं. ये अर्जियां मुंद्रा पोर्ट स्थित कस्टम कमिश्नर से संबधित है. पहली अर्जी 11 अगस्त 2016 की है जिसमे 487.75 करोड़ रूपए के रिफंड की दरखास्त की गयी है. फिर एक दिन बाद यानी 12 अगस्त 2016 को अडानी ग्रुप ने कस्टम कमिश्नर के यहाँ दो और अर्जियां लगाई जिसमे 2.30 और 84.37 लाख रूपए रिफंड करने की बात कही गयी थी.
वीकली का कहना है कि सरकार ने जानबूझ कर कोयला आयात में 1000 मेगावाट से ज्यादा प्लांट को कस्टम ड्यूटी की छूट दी जबकि छोटे प्लांट को ये छूट नहीं दी गयी. ज़ाहिर तौर पर बड़े प्लांट के नाम पर छूट देने का मकसद अडानी पावर लिमिटेड को रिफंड का लाभ पहुंचाना था.
बहरहाल वीकली ने जिस तरह दस्तावेज़ों के ज़ाहिर किया है उससे कांग्रेस और लेफ्ट की बांछे खिल गयी है. हालाँकि अडानी ग्रुप इसे कोई मुद्दा नहीं मानता पर कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष इस मामले को संसद के अगले सत्र में उठा कर सरकार को उसकी सत्यनिष्ठा दिखाना चाहता है.
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