"तुम जहर भरा प्याला, मैं हूँ प्रेम की प्यास प्रिये"
BY Suryakant Pathak3 March 2017 2:45 PM GMT

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Suryakant Pathak3 March 2017 2:45 PM GMT
गोधूलि सांझ पहर में हम गाँव की चहकती गलियों में किसी सिलसिले में भटक रहे थे ।
तब की स्त्री प्रसाधन की एकलौती दुकान 'लालबाबू वस्त्रालय एवं ब्यूटी स्टोर' देवियों की चहल पहल में व्यस्त थी...सामने छोटी सी पर बड़ी काम की किराने की दुकान थी जहाँ नून(नमक) से लेकर तेल तक मिल जाया करता था ।
वहीँ कोने में एक तरफ तेरह चौदह वर्ष का परशुराम सुनार का नाती कुछ अतिरिक्त आमदनी के आस लिए छोटी सी खटिया पर पटाखों की दुनिया सजाए हुए था...छुरछुरी से लेकर महुआ, अनार, चरखी एवं आलू से लेकर लालू बम तक बच्चों को ललचाने का प्रयत्न रहा था...।
ऐसे मौकों पर मेरी इंसानियत रह रह कर 'इनटॉलेरेंस गैंग' की तरह बाहर आ ही जाती है पर मेरी पॉकेट मार्क्स और लेनिन के वादों के बीच झूलती असहाय प्रतीत होती है ।
फ़िर भी यथाशक्ति लोहिया के समाज़वाद को हॄदय में आज भी जिलाये रखता हूँ ।
खैर हमे अपने एकलौते भतीजे उत्कर्ष बाबू का ख्याल आता है जो महज अभी डेढ़ साल के थे तब...उनकी बाल सुलभ उत्कर्षता को महसूसने के लिए हम कुछ पटाखे खरीदने लगते हैं ये सोचकर की पटाख़े वाला भी थोड़ा ही सही खुश हो लेगा भतीजे की वजह से...
तभी हमारे गाँव के बिस्मिल्ला मियां का आठवां बेटा अशफ़ाक़(शायद यहीं नाम बताया था उसने) जो की 11-12 साल का रहा होगा तब, आवाज देता है ...
जब हम उससे मुख़ातिब हुए तो पता चला जनाब लक्ष्मी पूजा के लिए चन्दा जुटा रहे...।
मेरे जैसे एक स्वघोषित हिन्दू जो की एक बचपन से संघी भी रहा है ,के लिए ये किसी जेएनयू के रिसर्च के टॉपिक से कम न लगा...हाँ तो ! इससे ज्यादा वहाँ होता भी क्या है...पढ़ाई लिखाई तो जवाहर बाबू अपने साथ ही लेते गये..
मुझे उस मुसलमान बच्चे पर तरस आ गया जो की 'भटके हुए' की भांति ये काफिराना करतब कर रहा..।
क्या ही बताएं कि गंगा जमुनी तहजीब की ये कौतूहल हमे न जाने क्यों और कैसे भाजपा के उस राम लल्ला के मंदिर के वादे की स्मरण करा रहा था जो शायद देवी मोमता - मायावती और देवा लालू - मुलायम के जातीय समीकरण में प्रभावित हो हिन्दू मुश्लिम , स्वर्ण - दलित , विकास और दंगो के बीच खुद को साबित करने का संकुचित प्रयास कर रहा था...
माफ़ करियेगा मैं भटक जाता हूँ थोड़ा और वैसे भी भटकने का जिम्मा केवल मुसलमानों ने ही लिया है क्या..वहीँ क्यों भटके..हमारा भी हक़ है भटकने का..!
खैर हम नन्हे से सुंदर अशफ़ाक़ मियां जिनकी आँखे ऐश्वर्या से भी नीली थी , से लगे प्राइम टाइम शो करने..
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" कउन जात हो ? मने की कउन धरम् के हो.."
"हम मियां हैं चाचा...हमको पहचाने नहीं आप...आप तो फलाना बाबा के लइका हैं न...याद है आप हमको बचाये थे उ लइकन से जब हम मलाई बर्फ़ बेच रहे थे..."
"अरे हम सब जानते हैं हो...पर हम मेरठ में पढ़ कर अपनी सहृदयता मुजफरनगर के दंगों में मार आये हैं...छोड़ो ई सब तुम्हे नहीं बुझायेगा...मेरा मतलब ई है कि तुम ठहरे मियां और लक्ष्मी पूजा करने की ठाने हो...ये कैसे हो सकता है...तुम्हारे बाबू और अम्मा जानते हैं..?
" ह चाचा जानते हैं न ...तो क्या हम मियां हैं तो पूजा नहीं कर सकते..?
हम तो करेंगे.. रंग बिरंगे पंडाल बनाएंगे अम्मा के साड़ी से...लाउडस्पीकर लगाएंगे..पवन सिंहवा के देवी गीत बजायेंगे...गुरही झरूआ मिठाई लाएंगे...हम तो सोचें है उस दिन सिनेमा देखेंगे और दिखाएंगे सबको.."
" अरे मियां ये सब तो ठीक है पर ई बतावो कोई तुमको रोका नहीं..? इतना चन्दा कइसे जुगाड़ करोगे...तुमको मालूम है दंगा का होता है..? "
"उहुँ...हम का जाने ई का होता है पर हम सुने हैं लक्ष्मी जी पइसा देती हैं...तो चन्दा तो जुट ही जायेगा..."
"अच्छा तो ई बात है मियां ..सुनो हमारे पास दो सौ रूपया है अभी जो की हमने बचाई थी..तो एक काम करते हैं ..ई लो सौ रुपया तुम्हारी लक्ष्मी जी के लिए , पचास रुपये का हम बबुआ के लिए पटाख़े ले लेते हैं और पचास रुपये परशुराम सोनार के नाती को दे देते हैं...
बाकि सुनो मेरे लिए परसादी रखना और हाँ 'गन्दी बात' वाला गाना बजाया न तो दो झाप देंगे आके..ध्यान रखना..
एक चीज ओर तनिक लक्ष्मी जी से हमारे लिए धन मांगना की अगली बार चौराहे पर तुम्हारी मलाई बर्फ की दुकान खोलवा देंगे..तुम सेठ बन जाना समझे.. हाहाहा..चलो अब हम जाते हैं..."
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तीन साल बाद
◆महाशिवरात्रि के अवसर पर कल्याणकारी आदि शिव को सोशल मीडिया के कुछ भटके हुए बौद्धिक आंतकियो(गफलत में न रहें ,हिन्दू और मुसलमान का नया सम्मिलित रूप है ये ) द्वारा अपनी सामर्थ्य एवं लोलुप्तानुसार लिंग एवं योनि तक सीमित करना....उधर मेरे जिले के राजद पार्टी(जी हाँ लालू जी वाली) के सदस्य और एक ग्राम पंचायत के प्रगतिशील एवं शिक्षीत मुखिया मुराद हुसैन विकास को कल्याण का धर्म बना साथ ही हिंदुओ को मुबारकवाद देते फिर रहे...।
◆ गुरमेहर पर सोशल मीडिया पर खलबली मची है , बौद्धिक बकैती स्वरूप आरोप प्रत्यारोप जारी है...
वामपंथीयों द्वारा मेहर का मोहरा खेला जा रहा तो राष्ट्रवादियों द्वारा गुर को गुल किया जा रहा...मीडिया की टीआरपी में जबरदस्त स्ट्रैट उछाल ।
उधर पंजाब का ही एक युवक ड्रग्स का शिकार बना है नया नया...सुने हैं बड़ा ही नशा होता है ड्रग्स में साहब.. ।
◆ उत्तरप्रदेश में चुनावी सरगर्मी उफान पर...नोट से वोट खरीद लेने की जिजीविषा लिए प्रत्याशी मैदान में...जय भीम ,जय मीम , जय समाजवाद , जय श्रीराम का नारा बुलंदी पर ...उधर बागी बलियां के प्रवेश पासवान , गैंगस्टरगढ़ आजमगढ़ का असलम , आदिधाम गोरखपुर के उदय सिंह साथ में बहार वाले बिहार के गुप्ता जी , चौबे जी का सूरत की फैक्टरी में पेट पालने को सुबह के आठ से रात के नौ बजे तक 'काम बोल रहा' !
◆ पश्चिम बंगाल में बाल तस्करी एवं बिहार के 'गैंगरेप एवं सेक्स रैकेट' का हाई प्रोफाइल मामला ...उधर नेपाल के बॉर्डर पर चटख दामों में बिकने को तैयार एक दलित बिहारन युवती ।
सुने हैं बंगाल से फिर एक बच्चा गायब हुआ है ...कविता घोष अपने बच्चों को सीने से चिपकाये डरी हुई है ।
और ये भी सुने हैं...
दिलवालों की दिली में कोई दिलवाली फिर टूटी है ...
क्योंकि गरीब की किस्मत आज फिर से रूठी है ।।
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संदीप तिवारी
"आरा"
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