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उत्तर प्रदेश

जनता चुनेगी अपना सुखदुख का साथी टूटेगा प्रत्यासीयों का भ्रम

जनता चुनेगी अपना सुखदुख का साथी टूटेगा प्रत्यासीयों का भ्रम
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बस्ती । वासुदेव यादव : -

सदर विधान सभा में चुनावी मुकाबला रोचक होता दिख रहा है। पॉचवे चरण का मतदान 27 फरवरी को है। इस विधानसभा से जहॉ भाजपा प्रत्यासी दयाराम चौधरी, बसपा के जितेन्द्र कुमार चौधरी, सपा कांग्रेस गठबंधन से प्रत्यासी महेन्द्र नाथ यादव अपनी किस्मत अजमा रहे। वहीं राष्ट्रीय लोक दल प्रत्यासी राजा ऐश्वर्यराज सिंह भी अपने को किसी से कम न आंकते हुए सदर सीट से जीत को लेकर जोर अजमाइश कर रहे। अपनी जीत को सुनिस्चित करने के लिए लगातार राजा ऐश्वर्यराज ने जहॉं अपने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह से लेकर प्रदेश अध्यक्ष जयंत चौधरी तक को बुलाकर मतदान के कुछ समय पहले लगातार तीन सभा कराकर अपने पक्ष में मतदाता को मोड़ने का भरसक प्रयास कर रहे। लेकिन राजा ऐश्वर्यराज की हर सभा में केवल राष्ट्रीय लोक दल के नेता ही मंच पर दिखे जबकि इनका दावा था रालोद गठबंधन के साथ दर्जनों राजनीतिक पार्टीयॉ हैं लेकिन किसी भी सभा में गठबंधन के दल नही दिखाई दिये। राजा ऐश्वर्यराज सिंह सदर सीट से चुनाव जीतने की सोच रहे या अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार कर रहे यह एक प्रश्नचिन्ह बना है क्योकि इन्होने अभी तक न तो इस क्षेत्र के किसानों गरीबों की लड़ाई लड़ी है और न ही कई वर्षो से इस विधानसभा में रहकर किसानों गरीबों और यहॉ की मूलभूत समस्याओं को जाना है और उसके लिए जनता के बीच खड़े होकर उनके लिए आवाज ही उठाई। गन्ना किसानों की बात करने वाले राजा ऐष्वर्यराज सिंह यहॉं के चीनी मिलों के बंद होने पर न तो किसी आन्दोलन में हिस्सा ही लिया है फिर भी न जाने किस आधार पर किसानों के हितैशी बनकर उनके हक की लड़ाई लड़ने की बात कर रहे। जहॉ तक राष्ट्रीय लोक दल पार्टी की बात की जाय तो इस पार्टी का आज के समय में पूर्वाचल में कोई जनाधार भी नही दिखता हैं। लोकतंत्र में सभी चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हैं सभी चुनाव लड़ सकते हैं और अपनी जीत का दावा कर सकते हैं लेकिन मतदाता किसी को हतोत्साहित नही करता है वह शांत हो अभी तक अपने साथ खड़े हुए व्यक्ति और केवल चुनाव में आये हमदर्द बनने वाले प्रत्यासियों के बीच के अन्तर को देखता है। मतदान के दिन का इन्ताजार करता है और अपने सबसे बड़े अधिकार से जो उसे सही लगाता है उसका फैसला मतदान कर सुना देता है। बस्ती सदर का फैसला किसके पक्ष में मतदाता ने किया है इसका पता 11 मार्च को लग जायेगा और बिना किसानों गरीबों के हक की लड़ाई लडे चुनाव जीतने का दावा करने वालों को उनका असली चेहरा दिखा देगा।

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