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उत्तर प्रदेश

'राजा भैया' 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के बाद से लगातार जीत हासिल करते रहे

राजा भैया 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के बाद से लगातार जीत हासिल करते रहे
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प्रतापगढ़: राजा रघुराज प्रताप सिंह 'राजा भैया' को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहती हैं। उनकी छवि बाहुबली की है, कुंडा के इलाके के लोगों के लिए वह राजा हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती इन्हें 'कुंडा का गुंडा' कहती हैं। 1993 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरने के बाद से अब तक लगातार जीत हासिल करते रहे हैं, बदलाव बस इतना है कि हर बार के चुनाव में जीत का अंतर पहले से बढ़ जाता है। इस बार फिर से वह चुनाव मैदान में हैं, लेकिन राजा भैया खुद को ना तो बाहुबली मानते हैं और न ही गुंडा। वह कहते हैं कि जनता चाहती है इसलिए वोट करती है।


आपसी झगड़े के मामले तक यहां लेकर आते हैं और मैं समझा देता हूं। लोग मान जाते हैं। ज्यादातर मामलों में यही होता है। सब रामजी की महिमा है। जनता के कहने पर चुनाव लड़ना शुरू किया। तब से लगातार वर्कर बढ़ते गए। ये लोग ही मेरी ताकत हैं। मेरे पास मेरे वर्कर्स हैं। मुझे कई बार तो ऐसा लगता है कि हम चुनाव जीतने के बाद भी पूरे पांचों साल चुनाव लड़ते रहते हैं।

मंत्री होने के बावजूद क्षेत्र की जनता से कभी कटा नहीं रहा। जब जिसे मिलना होता है, वह मिलता है।


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