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उत्तर प्रदेश

"तू हमार वैलेंटाइन बनबू ?"........ धनंजय तिवारी

तू हमार वैलेंटाइन बनबू ?........  धनंजय तिवारी
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"गोरिया चाँद अजोरिया नीयन गोर बाड़ू हो। तहार जोड़ केहू नईखे तू बेजोड़ बाड़ू हो।"
राम चनर के गायिकी अपना रवानी पर बा अउरी प्लेटफार्म के यात्री कुल उनकर गाना मंत्रमुगध होके सुनता। गजबे मिठास बा उनका आवाज में। दुरे से अगर केहू सुने त अचिको नईखे सोच सकत कि ई एगो आन्हर गावत होई। लेकिन साच त इहे ह। राम चनर पैदायशी आन्हर हवे। आन्हर अउरी अनाथ। कहल जाला कि भगवान कुछ अयेब देले त कुछ ख़ास गुन भी दे देले ताकि आदमी भूखे ना मरे। राम चनर के साथे भी ई लागू बा। अनाथ, अनपढ़ अउरी ऊपर से आन्हर, मने इनका साथे दुगो फुटले फूटल एगो के पेनिये ना, वाला कहावत लागू बा। पर एके ऊपर वाला के दयालुता ही कहल जाई कि उ राम चनर के आवाज में अईसन मिठास भरले बाड़े कि जेभी उनकर गाना सुनेला उ झूम उठेला। एही मिठास से जबसे राम चनर होश संभलले आपन दाना पानी जुटावेले। स्टेशन पर गाना गा गाके कमाई करेले। थावे स्टेशन पर तीन दिन से ही आयिल बाड़े अउरी उनका गायिकी लोगन के बीच चर्चा के विषय हो गईल बा।
राम चनर जहवा गा रहल बाड़े उहवाँ से तानिए से दूरी पर दुलरिया खड़ा बिया अउरी धीमे धीमे गरियावतिया -"रूपे निहारे के बात जाके माई बहिन के निहारु, ओकनी पर गाउ, हमरा ऊपर काहे। ओकरा लागता कि राम चनर ओकरे ऊपर गावतारे अउरी शायद साचो इहे बा। राम चनर पिछला तीन दिन में ओके चिढ़ावे वाला गाना ही ढेर गाव तारे। केतना अचरज के बात बा कि एगो जन्मजात आन्हर जे जन्म से ही ना चाँद के कबो देख पावल ना अजोर के उ ओहि के उपमा दे के चिढ़ा रहल बा अउरी इहो अचरज के ही बात बा कि दुलारी जवन की जन्मजात आन्हर हिय अउरी ओहु के हाल राम चनर के ही बा, उ ओइपर चिढ तिया।
लेकिन बात ऐईजा धंधा के बा। आजु से तीन दिन पहिले ले दुलारी के थावे स्टेशन पर एकछत्र राज रहल ह अउरी उहो गा गा के अउरी मांग मांग के आपन अउरी अपना बुढ बाप के पेट भरत रहल सीह। आवाज त ओकर एकदम फाटल बॉस जईसन बा अउरी ऊपर से ना सुर ना लय पर तबो लोग ओके आन्हर अउरी कमजोर जानी के कुछ देइये देत रहल ह। ओइमे दुनु बाप बेटी के गुजारा हो जात रहल ह। लेकिन राम चनर के अईला के बाद स्थिति बदल गईल बा। ओइसन निमन गाये वाला के आगे अब केहू दुलारी घास नईखे डालत अउरी दुलारी के रिस के इहे कारण बा। पिछला तीन दिन में कवनो अईसन गारी ना होई होई जवन दुलरिया राम चनर के ना देले होई आपन धंधा मारे के खातिर पर बदला में राम चनर मुस्किया के रह जातारे।
राम चनर के गाना ख़त्म हो गईल बा अउरी सब केहू बड़ाई के साथे राम चनर के पईसा उझिल दे देता। उ समेट के दुलारी के लगे आवतारे।
"ऐ दहिजरा के इहे स्टेशन मिलल रहल ह। अब त भूखहि मरे के पड़ी। बाबूजी के दवाई के भी पईसा नईखे बचल" उ तनी तेज आवाज में कहतारी।
"ले हई पईसा रख ले" राम चनर अपना कटोरा में से कुछ पईसा निकाल के कहतारे "अपना बाबूजी के दवाई खरीद लिहे"
"हमरा तोरा दया के जरुरत नईखे" दुलरिया के खुद्दारी जाग उठता अउरी उ खिसिया के कहतिया "हम काहे तोर भीख ली। भगवान आँखि नु नईखन देले। जागर बानू। हम मेहनत क लेब पर हमके तोर भीख ना चाही।"
"फेरु एगो काम हो सकेला" राम चनर मुस्किया के कहतारे "हमरा से बियाह क ले। दुनु जाना साथे रहल जाई। हम कमा के लियाएब अउरी ते खाना बनईहे।"
ऐ तीन दिन में उ दुलारी के बारे में सब पता के लेले बा कि उहो कुआर बिया अउरी उन्ही के हम उमिर।
"हम अउरी तोरा से बियाह" उ हँसी उड़ावत कहतिया "आपन मुह शिसा में देखले बाड़े"
अगल बगल के लोग के अचरज होता। भला आन्हर कउनिगा शीसा में मुह देखि। उ त ना राम चनर ही देख सकेले ना दुलारी ही।
फेरु दुलारी अपना घरे लौट जातिया अउरी राम चनर अपना ठेहा पर।
अब इ रोज के बात हो गईल बा। लेकिन अब पहिले से कुछ बदलाव बा। घृणा अउरी करोध जब अपना आखिरी उचाई पर पहुच जाला त फेरु ओहिजा से सहानुभूति अउरी परेम के बीज पनपे ला। दुलारी के भी करोध अपना आखरी उचाई पर पहुच चुकल बा अउरी अब दुलारी अपना भागी पर संतोष के लेले बाड़ी। अब उ अपना कम कमाई पर राम चनर के नईखी गरियावत। राम चनर भी ओके चिढ़ावे वाला गाना नईखन गावत। दुनु के मन में अब एक दूसरा खातिर सहानुभूति के भाव पैदा हो गईल बा। राम चनर त दुलारी के सहायता करे चाहतारे पर पर दुलारी के खुद्दारी रहता रोकले बिया।
करीब एक हफ्ता के बाद के बात ह - संझा खत्म हो गईल बा अउरी राति आपन पाँव जमावल चालू के देले बिया। स्टेशन पर एगो नशेड़ी कुल के भी झुण्ड बा। आजु ओकनी के जेब खाली बा। लेकिन नशा खातिर पईसा त चाही चाहे जईसे आओ। फेरु एगो नशेड़ी के ध्यान राम चनर पर जाता। काहे से ऐ अन्हरा से ही छिना जाउ। बड़ा कमाई कईले बा। उ राय देता अउरी ओकर बाकि के संघतिया हामी भर दे तार सन। फेरु का नशेड़ी के झुण्ड जाके राम चनर के कटोरा छीन लेता।
उहो मन के ढीढ बा। आपन मेहनत के कमाई के एंगा नईखे गवा सकत। उ नशेड़ी कुल से भीड़ जाता। राम चनर के विरोध से ओकनी के भी खीस बढ़ जाता। ऐ आन्हर के हिम्मत। उ सब राम चनर के बुरा तरीका से पिटाई कर तार सन। लड़ाई के बाती दुलारी के लगे भी पहुचता अउरी उ जाके ओकनी के लगे हाथ जोड़ तिया, गिड़गिड़ा तिया पर ओ नशेड़ी कुल के अंदर दया अउरी धर्म कहा बचल बा। फेरु दुलरिया ओकनी के मन भर गरियावतीय अउरी ओकरा गारी से उ राम चनर के छोड़ के पईसा लेके भाग जातर सन। रामचंर बुरा तरह से खूनेखून हो गईल बाड़े अउरी ऊपर से केहू पूछवईया नईखे। कहल जाला औरत दया अउरी प्रेम के मूर्ति होली। आज इ बात दुलारी के देख के केहू मान सकेला। जवन दुलारी कुछ दिन पहिले राम चनर खातिर दुनिया के एको बाऊर शब्द ना छोड़ले होखस। मन ही मन ओकर बुरा सोचले होखस, आजु ओकर अहित देख के तड़प तारी। करेजा कुहक रहल बा अउरी रोम रोम रो रहल बा। बुरी तरह से घाही राम चनर के सहारा देके उ अपना झोपडी में ले जा तारी।
शायद केहू आपन, आपन के ओइसन सेवा ना करि जईसन दुलारी पिछले एक महीना में राम चनर के कईले बाड़ी। ओइदिन के हुकाई से चोट ढेर रहल ह अउरी पूरा ठीक होखे में एक महीना लागल ह। राम चनर के अपना ऊपर बड़ा ग्लानि महसूस होत रहल ह कि उ दूसरा के ऊपर बोझ बन के बईठल बाड़े अउरी उ कई बार जाए चाहले लेकिन दुलारी अउरी उनकर बाबूजी राम चनर के टस से मस ना होखे दिहल लोग। दिन में स्टेशन जाके दुलारी गा गाके कमाई करत रहली ह अउरी सुबह शाम राम चनर के सेवा। दुलारी के भी स्टेशन पर अब पुरान दिन वापिस लौट आयिल बा चुकी केहि दूसर मुकाबला में नईखे।
पिछला एक महीना में दुलारी एगो मेहरारू के जइसन राम चनर के सेवा कईले बाड़ी। शायदे दुलारी के मन में कही न कही राम चनर के ओइदिन कहल बात घर बना लेले बा - हमरा से बियाह क ले। अब दुलारी भी मने मन इ सोचतारी। आखिर अयिमे बुराईये का। उनका जईसन आन्हर के हाथ केहू आन्हर या लुल्हा लंगड़ा ही नु पकड़ी अउरी राम चनर ले निमन के हो सकेला। ओहु से भी निमन इ बा कि दुनु जाना एक ही स्टेशन पर गायी लोग अउरी साथे रही लोग। अब मने मन दुलारी राम चनर के आपन मरद मान लेले बाड़ी। ख़ाली ओ दिन के इन्तजार बा जब उ अपना मन के बात राम चनर से कहस अउरी उनका पूरा उम्मेद भी बा कि राम चनर इ सुनके खुश हो जईहे।
राम चनर अब पूरा तरह से ठीक हो गईल बाड़े। काफी देर से हिसाब लगा के पूछतारे - हमरा ईलाज अउरी खईला में केतना खर्चा हो गईल होई ?
"मने?" राम चनर के बाती के मतलब ना बुझ के दुलारी पूछतारी।
"मने हम एतना दिन से खटिया पर पड़ल बानी। ऊपर से इलाज अउरी मुफ्त के रोटी तूड़ले बानी। ऐ सब में पईसा त लागल होई। अब हम कवनो सगा त हई ना कि तू हमके फोकट में इ सब करबू। इ सब हमरा ऊपर कर्जा बा अउरी हम पाई पाई चूका देब"
राम चनर के बात सुनके दुलारी के मुह लटक जाता। अईसन लागता जईसे केहू खंजर छाती के आर पार के देले होखे। सबसे आहत उ राम चनर के इ बात जान के हो तारी की उ उनकर सगा वाला ना होई। उ त एतना दिन में राम चनर ले सगा से भी बढ़ के बुझी लेले रहली ह।"
राम चनर के बात पर उ चुप रही जातारी।
"का संकोच करतारु" राम चनर कहतारे "हम तनी बढ़ा के ही देब। तू बताव"
राम चनर के इ बात , दुलारी में मन में बचल खुचल उम्मेद के भी खत्म के देता।
अगिला सुबह राम चनर के कही पता नईखे। होत बिहाने ही उ कही चल गईल बाड़े। घर के काम क के दुलारी स्टेशन पर जाके देख तारी पर ओहुजा राम चनर के पता नईखे। कही राम चनर वापिस घरे चल गईल होखस इ सोच के उ वापिस घरे जातारी लेकिन उ नईखन आयिल। घर से स्टेशन अउरी स्टेशन से घरे इहे करत आधा दिन बीत जाता लेकिन निराशा ही हाथ लागता। फेरु मन के तिहा दे तारी। जाए द हमरा का। कवन उ हमार सगा वाला रहले ह। कही भी जास। हम कवनो अपना पईसा खातिर थोड़े खोज तानी उनके। उ त एतना दिन साथै रहला से एगो रिश्ता बन गईल रहल ह। उ कुछ सपना देख लेले रहली ह लेकिन राम चनर थोड़े ने उ सपना देखले रहले ह। तबे न काल्ह उनके आन केहू कहि देहले।
इहे कुल सोच में दुलारी डूबल बाड़ी कि स्टेशन पर भुजा बेचे वाला बेचुवा चिल्लात आवता। अरे कहा बाड़े रे दुलरिया। जनले ह राम चनर के एक्सीडेंट हो गईल बा। हॉस्पिटल में बाड़े। बचे के कवनो उम्मीद नईखे।
इ कवन रिश्ता बा। इ कवन नाता बा जहा कवनो रिश्ता नाता नाही भईला के बाद भी दुलारिया के चीख निकल जाता। लोर अपने आप बहे लागता। उ बदहवास हॉस्पिटल के ओर दौड़ पड़तिया। रास्ता में अयीसन कवनो देवी देवता नईखन बचत जेके नईखे गोहरावत। हज़ारो भखौती मांग तारी राम चनर के जिनगी खातिर।
कुछ देर बाद उ डॉ के सामने बाड़ी अउरी डॉ कहतारे कि चिंता के बात नईखे। ख़ाली पैर में चोट बा। कुछ दिन में में ठीक हो जाई। दुलारी के ख़ुशी के ठिकाना नईखे। सगरी देवी देवता लोग के उ धन्यबाद दे तारी अउरी फेरु आगे बढ़ के बेड पर लेटल राम चनर के एक चटकन खींच के देतारी।
"के दुलारी ?" राम चनर चिहा के कहतारे।
"हां हम। तू भले हमके कुछु मत बुझ पर हम तहके आपन सब मान लेले रहनी ह। भोरे से ही पागल खान तहके जोहतानि अउरी त पता ना कहा चल गईल रहल ह। एको बार सोचल ह कि तहके कुछु हों जाई त हम कईसे जियब" दुलारी के लोर बह पड़ता।
"पर अयीसन काहे? हम तोहार का लागेनी" राम चनर दुलारी के मन के बात त बुझी गईल बाड़े पर तबो उ दुलारी के मुँह से साफ़ सुने चाहतारे।
दुलारी से नईखे रहल जात अउरी उ कहतारी "हम तोहके आपन मरद मान लेले बानी"
"हमहू तो तहके आपन मेहरी मान लेले बानी" राम चनर दुलारी के हाथ पकड़ के धीरे से कहतारे " पर ना कहत रहनी ह कि कही तू खिशिया जइबू "
"फेरु काहे काल्ह हमसे अपना रहल अउरी खईला के हिसाब पूछल?" दुलारी उलाहना से कहतारी।
"माफ़ कर" राम चनर कान पकड़ के कहतारे "हमरा से गलती हो गउवे। हमरा इ बाद में बुझउवे। हमरा जइसन अनपढ़ से अउरी का उम्मेद करतारु"
"तू अनपढ़ बाड़ त हम कवन पढ़ल बानी "दुलारी हँसी के कहतारी अउरी राम चनर भी हँसी देतारे। दुलारी के सारा शिकायत ख़तम हो जाता।
"पर एतना भोरे कहा चल गईल रहल ह तू अउरी एक्सीडेंट कवनिगा भईल ह ?"
राम चनर आगे कुछु नईखन बोलत अउरी अपना बगली से एगो डिब्बा निकाल के दुलारी के देतारे।
"ई का ह?"
"ई त घुंघरू वाला पायल ह" दुलारी डिब्बा खोल के छू के कहतारी।
"हां। काल्ह वैलेंटाइन डे ह अउरी हम बहुत दिन से इ सोच के रखले रहनी ह कि ओइदिन तोहके पायल खरीद देब अउरी तब तहसे अपना प्यार के बात करेब। ओहि खातिर हम भोरे मेला ग्राउंड गईल रहनी। ओईजा स्टेशन से ज्यादा भीड़ बा अउरी उम्मीद के मुताबिक़ कमाईयो ढेर हो गईल ह। फेरु हम पायल लेके रोड पर करत रहनी ह कि गाडी के चपेट में आ गईनी ह"
राम चनर के बात सुनके दुलारी के रूकल लोर फेरु बहे लागता। काल्ह उ राम चनर के केतना गलत समझली।
दुलारी के चुप्पी देख के राम चनर उनकर हाथ पकड़ लेतारे अउरी पूछतरे - तू हमार वैलेंटाइन बनबू ?"
दुलारी भी भला कबो मना क सकेली .

धनंजय तिवारी
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