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ग्राउंड रिपोर्ट, 19 फरवरी को बाराबंकी में वोटिंग : चमक रही अखिलेश की छवि, बीजेपी धुल गई नोटबंदी में
BY Suryakant Pathak13 Feb 2017 12:51 PM GMT
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Suryakant Pathak13 Feb 2017 12:51 PM GMT
विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत 19 फरवरी को बाराबंकी में वोटिंग होगी। प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी में 6 विधानसभा सीटें (कुर्सी, राम नगर, बाराबंकी, जैदपुर, हैदरगढ़, दरियाबाद) हैं। इसमें से जैदपुर और हैदरगढ़ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मुख्य रूप से खेती पर निर्भर यह जिला मेंथा के लिए पूरे देश में मशहूर है।
बाराबंकी में करीब 27 लाख की आबादी रहती है। इसमें 77.51 फीसदी हिंदू, 22.04 फीसदी मुस्लिम हैं। जिले में समाजवादी पार्टी की पकड़ रही है, तो बसपा का भी मजबूत वोट बैंक है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा ने यहां की सभी सीटें जीती थीं। कुर्सी, राम नगर जैसी सीटों में मुस्लिम निर्णायक वोटर साबित होते हैं। पिछड़ी जातियों पर पकड़ की वजह से इस बार भी लोग सपा के जीतने की अटकलें लगा रहे हैं। हमने कुर्सी विधानसभा सीट के गांवों में जाकर लोगों से बात कर जानने की कोशिश की तो पता चला कि नोटबंदी का मुद्दा गेम चेंजर साबित होने वाला है।
एक चाय की दुकान पर, हमें नूरुल हसन मिले। अध्यापक हैं, बच्चों को सरकार के काम-काज के बारे में समझाते हैं। हसन कहते हैं कि नोटबंदी के चलते किसानों का पूरा एक सीजन बर्बाद हो गया है। उन्होंने कहा, "2,000 रुपए दे रहे थे, बगल में खिजना गांव में ग्रामीण बैंक वालों ने सिर्फ 500 रुपए ही दिए। अगर किसी किसान ने चार बीघे गेंहू बोया है तो चार बोरी खाद लगेगी। अब चार बोरी खाद के हुए 2080, बैंक से मिले 500 तो 2080 कहां से दें?"
जब पूछा कि कैशलेस पेमेंट का विकल्प है या नहीं, तो कहा 'देहात में अभी भी सब काम नकद से हो रहा है।' नुक्कड़ में चीनी लेने आए शमसुद्दीन अंसारी कहते हैं, 'परेशानी हुई, रुपयों के लिए लाइन लगानी पड़ी। अब ऐसा थोड़े ही होना चाहिए था।'
कुर्सी कस्बे में चाय की दुकान चलाने वाले रामनरेश यादव सालों से इलाके की राजनीति देखते आ रहे हैं। रोज अपने यहां लोगों को चुनाव की बात करते सुनते हैं। उनके मुताबिक प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बननी तय है। यादव कहते हैं कि 'इस बार बीजेपी साफ है। बीजेपी धुल गई नोट के बदलाव में।'
रामनरेश के मुताबिक, यूपी में मुलायम भी सीएम रहे, कल्याण सिंह भी और मायावती भी, मगर जितना काम अखिलेश ने किया, उतना किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया। उन्होंने कांग्रेस के गठबंधन के बिना भी सपा हासिल कर लेती, ऐसी भविष्यवाणी भी कर दी।
बाराबंकी के लोग विकास कार्यों की गति से खुश नजर नहीं आए। सत्ताधारी पार्टी के विधायक होने के बावजूद जिले में विकास के नाम पर सिर्फ हैंडपंप लगाए गए हैं। डॉयल-100 और 108 एंबुलेंस जैसी सेवाओं से लोग संतुष्ट हैं और इससे अखिलेश की छवि को खासा फायदा पहुंचता दिख रहा है।
इलाके की ज्यादातर सीटों में बसपा का जनाधार बीजेपी की तरह खिसकता जान पड़ता है, हालांकि उसका दलित वोट किसी और पार्टी की तरफ जाने के आसार न के बराबर हैं।
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