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उत्तर प्रदेश

हम सब उनई सिप्पाल के साथ हैं। उनके साथ अच्छो नाय भवो

हम सब उनई सिप्पाल के साथ हैं। उनके साथ अच्छो नाय भवो
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लोग यह मान रहै कि शिवपाल यादव के साथ कछु गलत हो रहौ। शिवपाल के समर्थक भयभीत हैं कि कहीं उनके साथ कोई धोखा तो नहीं हो रहा है। धोखा कौन दे सकता है इस पर समर्थक अपनी ही पार्टी के लोगों की ओर है। सीट जीतने के लिए शिवपाल यादव इस चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। पिछले विधानसभा व लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश का दौरा करने वाले शिवपाल सिंह यादव जसवंतनगर में डेरा डाले हुए हैं।

मुलायम सिंह यादव अपने अकेले पड़ गए भाई के समर्थन में इस चुनाव की अपनी पहली जनसभा कर गए हैं। लोग उस इतिहास को याद करते हैं कि कैसे मुलायम सिंह यादव ने साइकल चलाकर एक पार्टी तैयार की, जो उत्तर प्र्रदेश जैसे राज्य में सत्ता में काबिज हो गई।

पिछले 47 साल में यादव परिवार को इस सीट पर दो बार हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन पिछले 31 साल से इस सीट पर मुलायम परिवार का ही कब्जा है। जसवंतनगर में मुलायम परिवार को कोई चुनौती नहीं दे सका। दस्यु तहसीलदार सिंह भी जसवंतनगर से लड़ चुके हैं, लेकिन मुलायम को हरा नहीं सके। पहले मुलायम सिंह यादव इस सीट से चुनाव जीतते थे और 1996 में मुलायम ने यह सीट शिवपाल को दे दी। वह स्वयं केंद्र की राजनीति करने दिल्ली चले गए।
बीजेपी ने मनीष यादव पतरे को टिकट दिया है। मनीष इसी क्षेत्र के नगला मरदान गांव के रहने वाले है। हर किसी के पैर छूतें है और सब के सुख-दुख में खड़े रहते हैं। चैपुल के सुनील कहते हैं कि वोट तो हम शिवपाल यादव को ही देगें, लेकिन मन से मनीष के साथ हैं। पिछले चुनाव में मनीष यादव बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। पतरे को 52 हजार वोट मिले थे और शिवपाल सिंह यादव को एक लाख इक्कीस हजार वोट। यादव बहुल इस सीट पर पिछले कई चुनावों में सपा के पक्ष में बड़े अंतर से हारजीत हुई। इस सीट पर बसपा ने दूर्वेश शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। सपा के इटावा के विधायक रघुराज शाक्य टिकट न मिलने से सपा के खिलाफ बगावत कर बसपा के साथ खड़े हो गए है। वह बसपा को शाक्य वोट दिलवाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सपा के कुछ नेता बताते हैं कि जसवंतनगर में रघुराज शिवपाल के साथ है। वह चाहते हैं कि इस सीट पर साइकल जीते लेकिन अन्य सीटों पर हारे।

वास्तव में सपा से जितने नाराज व विद्रोही नेता हैं उनकी कोशिश है कि शिवपाल सिंह यादव को जिता कर लखनऊ भेजा जाए। सपा से नाराज नेताओं का एक ऐसा गठबंधन बन रहा है जो आगे चल कर कोई नया गुल भी खिला सकता है। जसवंतनगर में अब तक मुख्यमंत्री की जनसभा का कोई कार्यक्रम नहीं लगा है। आगे लगेगा या नहीं इस पर कोई कुछ कहना नहीं चाहता।
मौजा फर्दपुरा गांव के रजनीश बताते हैं कि इस क्षेत्र ने मुलायम सिंह यादव को देखा और फिर शिवपाल को। सभी को लगता है कि चाचा के साथ गलत हुआ है। लोग उन्हीं के साथ हैं और इस बार फिर उन्हें जितवा कर भेजना चाहते है। नगला खाड़े के राम नरेश कहते हैं कि यहां किसी को आने की जरूरत नहीं है और लोगों ने मन बना लिया है। यह अलग बात है कि जसवंतनगर की जनता को इस बात का मलाल है कि जितना विकास मुलायम परिवार के गांव सैफई का हुआ उतना पूरे क्षेत्र का नहीं हुआ। चैपुल गांव के लोग बताते हैं कि आगे इसी सड़क पर एक गांव है रैपुरा। यह गांव मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ननिहाल है, लेकिन उस गांव का भी बहुत विकास नहीं हुआ।

ऐसे भी कई लोग मिले जो सपाइयों की गुंडई से नाराज भी थे और दुखी भी। लोहिया खुर्द गांव के कुवंरपाल कहते हैं कि यहां पर डर का माहौल है। सपा के लोगों ने सभी को दबा कर रखा है। जब भी सपा सरकार में आती है गुड़ागर्दी के कारण लोगों का जीना हराम हो जाता है। कुवंरपाल कहते हैं कि वह जाटव है और जब से होश संभाला सपा को वोट दिया है लेकिन इस बार मोदी को वोट दूंगा। मेरे जैसे हजारो गरीब इस बार यही सोंच रहे है लेकिन सपाइयों के आगे कुछ बोल नहीं पाते।
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