मुसलमानों की पहली पसंद बना गठबंधन....
BY Suryakant Pathak12 Feb 2017 3:11 AM GMT
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Suryakant Pathak12 Feb 2017 3:11 AM GMT
पश्चिमी यूपी में पहले चरण के मतदान के रुझान से आम तौर पर भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन में खुशी जताई जा रही है। सपा-कांग्रेस इसलिए खुश हैं कि मुसलमानों की पहली पसंद उनका गठबंधन रहा। दूसरे दलों के मुस्लिम प्रत्याशी होने के बावजूद उनका झुकाव सपा या कांग्रेस की तरफ रहा। सपा के पक्ष में मुस्लिमों के रुझान से भाजपा को वोटों के ध्रुवीकरण में आसानी रही। सपा-बसपा के बीच कई सीटों पर मुसलमान वोटों का बंटवारा भी भाजपा के लिए मुफीद हो सकता है।
यही वजह है कि जाटों की नाराजगी के बावजूद भाजपा पश्चिमी यूपी की अधिकतर सीटों पर मुख्य मुकाबले में खड़ी दिख रही है। कहीं सपा तो कहीं बसपा उससे मुकाबिल हैं।
शनिवार को जिन सीटों पर वोट पड़े, उनमें से मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर में मुस्लिम वोट 20 से 38 प्रतिशत के बीच हैं। अलीगढ़/हाथरस में 18 फीसदी और गौतमबुद्धनगर में लगभग 15 फीसदी मुसलमान हैं।
मुस्लिमों के दिल में गठबंधन दिमाग में बसपा
बसपा ने टिकट वितरण में मुस्लिमों को तरजीह दी है। बसपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच मुस्लिम वोटों को लेकर जंग छिड़ी हुई थी। कहा जा रहा था कि मुसलमानों के दिल में गठबंधन और दिमाग में बसपा है। शनिवार को मुसलमान दिल से मतदान करते नजर आए। नतीजतन अधिकतर सीटों पर उन्होंने राहुल-अखिलेश के साथ को पसंद किया। हाथ के साथ से साइकिल की रफ्तार बढ़ी हुई दिखी। बसपा के पास हर सीट पर ठीक-ठीक दलित बेस वोट होने के बावजूद गठबंधन ने चुनिंदा सीटों को छोड़कर सभी जगह हाथी की चाल धीमी की है।गाजियाबाद शहर सीट पर कैला भट्ठा मुस्लिम बहुल क्षेत्र है। इस सीट से बसपा के सुरेश बंसल मौजूदा विधायक हैं। गठबंधन से कांग्रेस के केके शर्मा उम्मीदवार हैं। यहां मतदान का रुझान साफ तौर पर कांग्रेस के पक्ष में दिखाई पड़ा।
मुजफ्फरनगर की सर्वाधिक दंगा प्रभावित बुढ़ाना सीट पर बसपा से पूर्व सांसद कादिर राणा चुनाव लड़ रहे हैं। सपा से बार संघ के अध्यक्ष प्रमोद त्यागी प्रत्याशी हैं। कद्दावर मुस्लिम होने के बावजूद मुसलमानों के वोटों का बड़ा हिस्सा सपा के पक्ष में मतदान करता दिखा। कमोबेश यही समीकरण खतौली सीट पर रहा। यहां एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी रालोद के शाहनवाज राणा थे लेकिन कस्बे ही नहीं, कई गांवों में मुसलमान सपा को वोट देते नजर आए। हालांकि, कुछ सीटों पर मुसलमानों का झुकाव बसपा के पक्ष में भी रहा।
इन सीटों पर बसपा रही मुस्लिमों की पसंद
मेरठ दक्षिण सीट पर बसपा प्रत्याशी व पूर्व मंत्री हाजी याकूब मुस्लिम क्षेत्रों में वोटरों की पहली पसंद रहे तो हापुड़ की धौलाना सीट पर बसपा के असलम चौधरी को ज्यादा मुस्लिम वोट मिलते दिखे। बुलंदशहर सीट पर बसपा के अब्दुल अलीम की मुस्लिम क्षेत्रों में सपा पर इक्कीस दिखे। मेरठ शहर में भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला रहा। यहां भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रत्याशी हैं। सिवालखास में बसपा के नदीम चौहान पिछड़े हुए दिखे।
जाटों की नाराजगी के बावजूद भाजपा की मुकाबले में वापसी
मतदान के रुझान से साफ है कि चुनावी दंगल में भाजपा का दांव कमजोर नहीं है। पश्चिमी यूपी की अधिकतर सीटों पर भाजपा चुनावी मुकाबले में दूसरे दलों से कहीं सीधी, कहीं त्रिकोणीय और कहीं चतुष्कोणीय टक्कर में है। गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, गाजियाबाद, शामली, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, एटा, बागपत जिलों में अधिकतर सीटों पर भाजपा ने अच्छा चुनाव लड़ा। जाटों की नाराजगी ने कई जिलों में असर दिखाया लेकिन पिछले दो-तीन दिनों का का डैमेज कंट्रोल भाजपा के काम आया है। जाटों की भरपाई भाजपा ने अति पिछड़ों, सवर्णों की लामबंदी करके की।
सपा मुकाबले में तो ही भाजपा को मिलेगा लाभ
भाजपा की रणनीति थी कि वह सपा को मुख्य मुकाबले में बताए। शनिवार के मतदान में आधी से ज्यादा सीटों पर भाजपा का मुकाबला सपा-कांग्रेस से रहा। अन्य सीटों पर बसपा और कुछ स्थानों पर रालोद मुकाबले में रहा। सपा के मुकाबले में रहने से भाजपा को उसके खिलाफ वोटों के ध्रुवीकरण में आसानी रहती है। बसपा से चुनाव होने पर ध्रुवीकरण उतना आसान नहीं रहता। भाजपा के लिए राहत की बात यही है कि सपा चुनावी मुकाबले में उसे टक्कर दे रही है।
वोटों के बंटवारे की रणनीति
भाजपा की रणनीति मुस्लिम वोटों में बंटवारे की है। शनिवार को कई सीटों पर मुस्लिम वोटर बंटते नजर आए। मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट पर मुसलमान मतदाता बसपा के नवाजिश आलम और सपा के लियाकत के बीच बंटे। मीरापुर के रईस अहमद कहते हैं कि ज्यादा तादाद में वोट सपा की तरफ चले गए। यदि वे हाथी की तरफ गए होते तो भाजपा मुकाबले में न आती। वह मानते हैं कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे का लाभ भाजपा उठा सकती है।
अजित सिंह के संसदीय क्षेत्र में चला हैंडपंप
चौधरी अजित सिंह का हैंडपंप उनके संसदीय क्षेत्र की बड़ौत और छपरौली सीट पर ठीक-ठाक पानी निकालता दिखा। बागपत में बसपा और भाजपा प्रत्याशी भी मुकाबला करते दिखे। मथुरा में अधिकतर सीटों पर भाजपा मुख्य मुकाबले में दिखी।
पहले चरण के तीन जिलों फिरोजाबाद, एटा और कासगंज में सपा के पारिवारिक विवाद की छाया पड़ सकती है।
पहले एटा और कासगंज की सभी सीटें सपा के पास थीं, शनिवार के मतदान के बाद सपा को कुछ नुकसान की संभावना जताई जा रही है। सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि यादव बेल्ट के इन जिलों का परिणाम क्या होगा।
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