सपा को मौलानाओं का समर्थन मिला
लखनऊ : मुसलमानों की गोलबंदी में जुटे राजनीतिक दलों के बीच एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ मची है। शनिवार को समाजवादी पार्टी को मौलानाओं ने समर्थन दिया। उलमा-ए-कराम के प्रतिनिधिमंडल ने सपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर मुसलमानों की शैक्षिक एवं सामाजिक उन्नति संबंधी मांगों को पूरा करने के लिए आभार जताया। उमल-ए-कराम ने सेकुलर वोट के बंटवारे के प्रति हो रही साजिश के प्रति मुस्लिम मतदाताओं को आगाह किया है और अखिलेश की दोबारा सरकार बनने की उम्मीद जताई है।
प्रतिनिधि मंडल में दारूल उलूम नदवतुल उलमा के प्रधानाचार्य मौलाना डॉ. सइदुर्रहमान आजमी नदवी, ईदगाह लखनऊ के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, कछौछा शरीफ के मौलाना फखरुद्दीन अशरफ कछौछवी, देवबंद के मौलाना अब्दुल्लाह इब्नुल कमर देवबंद, शेख राशिद अली, मौलाना इकबाल कादिरी, मौलाना इदरीस बस्तवी, मौलाना नईमुर्रहमान, शाह अनवर रहमान जिलानी, शाह नजमुल हसन उर्फ शुएब मियां, ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी के मुफ्ती अबुल वातिन नोमानी समेत कई प्रमुख मौलाना शामिल थे। मौलानाओं ने मुख्यमंत्री द्वारा मुसलमानों के हक में किए गए काम भी गिनाए गये। यह भी बताया गया कि आजादी के बाद पहली बार सपा सरकार में दो डीजीपी मुसलमान बनाए गए। उलमा-ए- कराम ने उम्मीद जताई कि दोबार सरकार बनने पर मुसलमानों के हित में और बेहतर कार्य होंगे।
'मौलाना बिक गए हैं मुसलमान नहीं'
टेढ़ीबाजार स्थित आवास पर मीडिया से मुखातिब बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई हाजी महबूब ने कहा, धर्मगुरुओं का काम राजनीति में दखल देना नहीं है। ऐसे फतवों से जाहिर हो रहा है कि मौलाना बिक गए हैं पर मुस्लिम नहीं बिका है। यह मुस्लिम खुद तय करेगा कि भाजपा को हराने के लिए उसे अपना वोट किसे देना है।