मिल्कीपुर में त्रिकोणीय चुनाव के आसार

फैज़ाबाद। वासुदेव यादव :-
मिल्कीपुर-फैजाबाद। मिशन 2017 की लाख सत्ताधारी दल की कवायद व पंजा की बैसाखी के बावजूद मिल्कीपुर विधान सभा में साइकिल की डगर आसान नहीं है। सपा से जुड़े यादवों और बसपा से नाराज दलितों के रूझान साफ तौर पर भगवा खेमे की ओर देखी जा रही है। आम चर्चा है कि इसबार मिल्कीपुर विधान सभा में भगवा ध्वज लहरायेगा। यह विधान सभा क्षेत्र कभी भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी के लाल सलाम का अजेय दुर्ग समझा जाता था।
विधान सभा मिल्कीपुर के 2012 चुनाव की जो तस्वीर सामने आयी थी उसमे समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता अवधेश प्रसाद ने 73803 मत अर्जित कर जीत दर्ज किया था। उनके निकटतम प्रतिद्धंदी पवन कुमार को 39566 मत मिले थे तीसरे स्थान पर रहे भाजपा प्रत्याशी रामू प्रियदर्शी को जहां 32972 मत मिले वहीं कांग्रेस प्रत्याशी भोलानाथ भारती को मात्र 16651 मत पर ही संतोष करना पड़ा था। 2017 के चुनाव में एकबार फिर समाजवादी पार्टी से अवधेश प्रसाद चुनावी समर में हैं। दूसरी ओर बसपा ने नये प्रत्याशी रामगोपाल और भाजपा ने युवा चेहरा गोरखनाथ बाबा को मैदान में उतार रखा है। चूंकि कांग्रेस का सपा से गठबंधन हो गया है इसलिए इस क्षेत्र से कांग्रेस का कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं है। वैसे सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद जीत का गुलगुला पका रहे हैं उनका मानना है कि बीते चुनाव मे यदि उनका व कांग्रेस का मत जुड़ जाय तो उन्हें 90 हजार से अधिक मत प्राप्त होंगे। फिलहाल यह सपा प्रत्याशी का खयाली पुलाव है क्योंकि परिवारवाद के चलते क्षेत्र के मतदाता उनसे अन्दर-अन्दर नाराज चल रहे हैं दूसरी ओर कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद इन्होंने बीते पांच साल के कार्यकाल में क्षेत्र का कोई उल्लेखनीय विकास कार्य नहीं किया है चर्चा है कि केवल आसपास के चाटुकारों ने जहां चाहा वहीं अवधेश प्रसाद ने विकास की किरण पहुंचायी।
विकास की माने तो अमानीगंज ब्लाक क्षेत्र में 50 बेड चिकित्सालय का निर्माण, बालिका इण्टर कालेज का निर्माण, विद्युत केन्द्र का निर्माण कार्य, राजकीय पालीटेक्निक की स्थापना, नई सड़कों का निर्माण व पुरानी का मरम्मत आदि ऐसे क्षेत्र हैं जो मंत्री होने के बावजूद भी ये अपने कार्यकाल में पूरा नहीं करा पाये। दूसरी ओर जिला पंचायत में इन्होंने मिल्कीपुर से अपने पुत्र अजीत को चुनाव मैदान में उतार कर परिवारवाद का संदेश दिया था जिसे क्षेत्र की जनता और सपा के समर्पित कार्यकर्ता की नाराजगी बढ़ गयी इस नाराजगी का परिणाम विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। नाराजगी के चलते ही मिल्कीपुर की जनता ने अजीत के पक्ष में मतदान नहीं किया और उन्हें चारो खाने चित्त होना पड़ा।
बताते चलें कि कभी वामपंथियों का गढ़ मिल्कीपुर विधानसभा मानी जाती थी। पिछड़ो व गरीबो के नेता के रुप में प्रसिद्ध मित्रसेन यादव ने सीपीआई चार बार से जीत हासिल की थी। मित्रसेन यादव के समाजवादी पार्टी में जाने के बाद सीट सपा के झोली में चली गयी। सेन परिवार के दबदबे वाली इस सीट पर मित्रसेन यादव के पुत्र आनंदसेन ने भी जीत दर्ज की। वर्तमान समय में यहां पर सपा से अवधेश प्रसाद विधायक है जो चुनाव में अपनी किस्मत अजमा रहे है। 1967 में मिल्कीपुर विधानसभा में कांग्रेस और जनसंघ के बीच मुकाबला था। यहां आर लाल ने जनसंघ के टीएचनाथ को हराया था। 1969 में सीट जनसंघ के कब्जे में चली गयी। जनसंघ के हरिनाथ तिवारी ने कांग्रेस के बृजवासी लाल को हराया। 1974 पर कांग्रेस के धर्मचन्द्र ने फिर सीट पर कब्जा कर लिया। जनसंघ के शंकरनाथ त्रिपाठी को इन्होने हराया। 1977 में सीपीआई से मित्रसेन यादव ने जनता पार्टी के धर्मचन्द्र को हराकर अपनी कुशलता का परिचय दिया। इसके बाद कांग्रेस के रामहेत सिंह को हराकर 1980 में व कांग्रेस के ही हनुमान प्रसाद त्रिपाठी को हराकर वे 1985 में विधायक बने। कांग्रेस के बृजभूषण मणि त्रिपाठी ने 1989 में सीपीआई से मित्रसेन यादव को हराया। रामलहर में भाजपा के मथुरा प्रसाद तिवारी यहां से विधायक चुने गये। सीपीआई से कमलासन पाण्डेय को इन्होने हराया। इसके बाद 1993 में सीपीआई से मित्रसेन यादव ने पुनः इस सीट पर कब्जा किया। 1996 में मित्रसेन यादव ने समाजवादी पार्टी से भाजपा के बृजभूषण मणि त्रिपाठी को हराया। 2002 में आनंदसेन यादव ने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को हराया। 2007 में बसपा के टिकट पर फिर आनंद सेन यादव ने जीत दर्ज की परन्तु उनके द्वारा एक मामले में फंसने के बाद हुए उपचुनाव में रामचन्दर यादव ने सपा से जीत दर्ज की। 2012 में सीट सुरक्षित होने के बाद सपा से अवधेश प्रसाद ने बसपा के पवन कुमार को हराकर जीत दर्ज की थी।