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उत्तर प्रदेश

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता बलराम यादव के सुपुत्र एवं अतरौलिया विधायक डॉ. संग्राम यादव से प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव की बेबाक बातचीत

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता बलराम यादव के सुपुत्र एवं अतरौलिया विधायक डॉ. संग्राम यादव से प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव की बेबाक बातचीत
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प्रो. योगेन्द्र : विधायक जी ! नमस्कार आप पूर्वाञ्चल के गांधी कहे जाने वाले समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता एवं कैबिनेट मंत्री बलराम यादव के लड़के हैं, आपके राजनीतिक जीवन मे इसका योगदान है ?


डॉ. संग्राम : प्रो. साहब ! आपको भी अभिवादन ! मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं बलराम यादव का सुपुत्र हूँ। इस क्षेत्र मे मेरी पहचान पहले पहल तो मेरे बाबूजी यानि पिता बलराम यादव के कारण ही मिली। मेरी विधानसभा के जो मेरे पिताजी के राजनीतिक साथी रहे हैं, वे मुझे असीम प्रेम करते हैं, समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन करते हैं। मुझे क्या करना चाहिये, क्या नहीं करना चाहिए, यह भी बताते हैं। यदि मैं कभी गलती करता हूँ, तो मुझे समझाते भी हैं। और जरूरत पड़ती है, तो डांटते भी हैं।


प्रो. योगेन्द्र : तो क्या पूरा योगदान उन्ही का है ?

डॉ. संग्राम : जी नहीं, इसके अलावा इस क्षेत्र मे मैंने भी अपनी टीम तैयार की है। जिसमे चन्द्र्जीत यादव जैसे सैकड़ों युवा रात-दिन इस क्षेत्र के विकास एवं लोगों को किसी प्रकार का कष्ट न हो, इससे मुझे अवगत कराते रहते हैं। खुद भी काम करते हैं, जहां कहीं मेरी जरूरत होती है,वहाँ मुझे बुला लेते हैं।


प्रो. योगेन्द्र : आपकी पहचान बदायूं सांसद धर्मेन्द्र यादव के एक प्रबल समर्थक के रूप मे होती है, इसमें कितनी सच्चाई है ?

डॉ. संग्राम : इलाहाबाद मे पढ़ाई के दौरान मुझे उनका सानिध्य मिला। पिताजी के कारण मुझे उनके करीब आने का मौका मिला। फिर जो रणनीति उन्होने इलाहाबाद मे तय की, उसके क्रियान्वयन मे मुझे जरूर साथ रखा। फिर बाद मे उन्हे मेरे ऊपर पूरा विश्वास हो गया। इसके बाद वे सीधे मुझे काम सौप देते थे और मैं भी उसे उनका आदेश मान कर पूरा कर देता था। इस तरह से मैं उनका सबसे वफादार साथी माना जाने लगा।


प्रो. योगेन्द्र : प्रदेश मे जो आपको पहचान मिली, उसके पीछे कहीं का कहीं सांसद धर्मेन्द्र जी का योगदान भी है । क्या आप इस बात से इंकार करते हैं?

डॉ. संग्राम : इसमें कोई शक नहीं है। आज पूरे प्रदेश मे जो युवा मुझे जानते हैं, वे मुझे सांसद धर्मेन्द्र यादव के साथी के रूप मे ही जानते हैं। इलाहाबाद मे पढ़ने और उनके साथ रहने के कारण आज मैं पूर्वाञ्चल के किसी भी जिले मे चला जाऊँ, युवाओं की एक फौज मेरे साथ चलने के लिए तैयार रहती है।


प्रो. योगेन्द्र : फिर आज की आज की राजनीति मे आपके आदर्श कौन हैं ?

डॉ. संग्राम : आपने मेरे सामने बड़ा कठिन प्रश्न उपस्थित कर दिया । मैं आपका मंतव्य भी समझ गया । लेकिन मैं बिना किसी हिचक के कहूँगा कि राजनीति के पहले आदर्श तो मेरे पिताजी हैं । मैंने बचपन से ही उनकी राजनीति को अनुभव किया है। किन्तु जब मैं पढ़ने के लिये इलाहाबाद गया तो मुझे व्यावहारिक राजनीति सिखाने का श्रेय सांसद धर्मेन्द्र जी को है। और पिछली बार जब विधायक बना, तबसे राजनीति का जो अनुभव मुख्यमंत्री अखिलेश जी से हुआ, उन्होने जिस तरह से एक साफ-सुथरी राजनीति की, प्रदेश मे विकास की गंगा बहा दी। उससे मैं और प्रभावित हुआ। इस समय जो मेरे आदर्श हैं, मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि वे अखिलेश भैया हैं । इस तरह से तीन आदर्श मान सकते हैं। एक और आदर्श हैं, जिनकी अभी हमें पुण्यतिथि मनाई है। स्व. माया प्रसाद यादव । जिनके कारण भी मेरे पिता जी राजनीति मे प्रतिष्ठापित हो सके ।



प्रो. योगेन्द्र : मुझे लगता है कि कि आप मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के उतने करीब नहीं आ सके, जितने और लोग हैं ?

डॉ. संग्राम : इसका मुझे भी मलाल है। शुरू-शुरू मे जब अखिलेश भैया मुख्यमंत्री बने थे, तब वे मुझे बहुत मानते थे। लेकिन कुछ लोगों ने मेरे संबंध मे जरूर उन्हें कुछ उल्टा सीधा कहा, जिसके कारण मैं उनका उतना करीबी नहीं हो सका, जितना होना चाहिए। लेकिन फिर भी जब मैंने चाहा, वे मुझसे मिले और जो भी काम लेकर उनके पास गया, उसे पूरा किया ।


प्रो. योगेन्द्र : क्या आने वाली सरकार मे आपको उनका आशीर्वाद मिलेगा ?

डॉ. संग्राम : जी, मिलना चाहिए। पर मेरी काबिलियत उन्हे देखना है। मैंने महसूस किया है, कि वे दूसरों को साधने के लिए कभी-कभी अपने अजीज लोगों को बलिदान कर देते हैं। मैं उन्हीं बलिदानियों मे हूँ। मुझे अखिलेश भैया के लिए इस तरह बलिदान होने मे भी सुख प्राप्त होता है।


प्रो. योगेन्द्र : आपके ऊपर अखिलेश यादव का भरोसा है, इसी कारण एक बार फिर उन्होने आपको अतरौलीय विधानसभा से उम्मीद्वार बनाया है। आप उनके भरोसे को कैसे पूरा करेंगे ?

डॉ. संग्राम : मुझे पूरा विश्वास था कि अखिलेश भैया मुझे ही इस विधानसभा से टिकट देंगे। इसी कारण मैं पूरे पाँच साल अपने क्षेत्र मे ही पड़ा रहा। कोई गमी हो, किसी के यहाँ शादी-ब्याह हो, अन्य कोई प्रोग्राम हो, मैं उसमें जरूर शरीक होता रहा हूँ, इस क्षेत्र के लोगों ने जो समस्याएँ बताई उसका भी मैं निदान किया। इस कारण इस क्षेत्र के लोग मुझे भाई के रूप मे, पिताजी के कारण अपने भतीजे के रूप मे मान देते हैं। उनका आशीर्वाद मेरे साथ है, चुनाव तो मैं ही जीतूँगा।


प्रो. योगेन्द्र : क्या आप प्रचार कार्य मे अभी नही लगें हैं ?

डॉ. संग्राम : अरे ऐसा नहीं है, मैं तो विधिवत अपना प्रचार कर ही रहा हूँ, इसके साथ-साथ चन्द्र्जीत यादव जैसे मेरे कई साथी भी अपनी – अपनी टोली बना कर प्रचार कार्य कर रहे हैं। मेरे पिताजी के तमाम साथी अलग-अलग टोली बना कर कार्य कर रहे हैं। इस तरह से कई राउंड का प्रचार हमारे यहाँ हो चुका है। सभी ओर से हमें आशीर्वाद मिल रहा है।


प्रो. योगेन्द्र : इस बार आपका मुक़ाबला बसपा के एक बाहुबली से भी है ?, जो रहने वाला तो लालगंज का है।

डॉ. संग्राम : इन बहुबलियों से कैसे निपटा जाता है, मैं बहुत अच्छी तरह से जनता हूँ। मेरे पिताजी की लड़ाई हमेशा इसी तरह के बाहुबलियों से रही है। इस समय वैसे भी जानता बहुबलियों से घृणा करती है, उन्हे वोट देने की बात तो दूर है।


प्रो. योगेन्द्र : इस बार भारतीय जनता पार्टी ने आपके यहाँ से एक निषाद को टिकट दे दिया है। इसके कारण जो निशादो का वोट मिलता था, क्या वह नहीं बटेंगा ?

डॉ. संग्राम : नहीं बटेगा, यह तो नहीं कह सकता। लेकिन उसका प्रतिशत बहुत कम होगा। क्योंकि इस जाति के लिए मैं भी और मेरे पिता जी ने बहुत काम किया है। इसी कारण उनका पूरा वोट मेरे पक्ष मे आएगा। फिर इस क्षेत्र के निषाद समझदार हैं, वे जानते हैं कि अखिलेश यादव की सरकार बन रही है, फिर वे ऐसी नादानी कैसे कर सकते हैं ? वैसे भी यह प्रत्याशी यहाँ कम, मुंबई मे ज्यादा रहते हैं। उनका इस क्षेत्र मे लोग नाम भी नही जानते हैं। इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।


प्रो. योगेन्द्र : आप अपने क्षेत्र की जानता से किन-किन कार्यों के आधार पर वोट मांग रहे हैं ?

डॉ. संग्राम : सबसे पहले तो हमारे पास एक ऐसा चेहरा है, जो किसी के पास नहीं है । वह चेहरा है हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का । उनके चेहरे पर वोट मांग रहा हूँ। इसके अलावा अपने क्षेत्र मे मैंने और अखिलेश भैया ने जो विकास कार्य करवाए हैं, उसके आधार पर वोट मांग रहा हूँ ।


प्रो. योगेन्द्र : चलिये विधायक जी, अब आपसे विकास कार्यों के बारे मे ही थोड़ी पूछताछ कर लेता हूँ, पहले शिक्षा के क्षेत्र की बात हो जाये,क्योंकि आपके पिता बलराम यादव माध्यमिक शिक्षा मंत्री रहे हैं। आपने भी उच्च शिक्षा प्राप्त की है । आपने अपनी विधान सभा मे कौन कौन से उल्लेखनीय कार्य किए ?

डॉ. संग्राम : समदी गाँव के आस-पास लड़कियो की उच्च शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी, इसकी बहुत दिनों से क्षेत्रीय लोगों द्वारा मांग की जा रही थी, इसलिए उनकी मांग को देखते हुये मैंने सबसे पहले समदी गाँव मे राजकीय महिला महाविद्यालय खुलवाया।


प्रो. योगेन्द्र : विधायक जी, सैद्धांतिक शिक्षा की ओर तो सभी ध्यान देते हैं, आप डोक्ट्रेट विधायक हैं, क्या आपने इस क्षेत्र मे युवाओं के रोजगारपरक कोई संस्थान खुलवाया ?

डॉ. संग्राम : आपने बहुत अच्छा सवाल किया । मैं जबसे विधायक बना, तभी से सोच रहा था कि कोई टेकनिकल कालेज खुलवाउ, जिससे इस क्षेत्र के युवाओं को रोजगारपरक शिक्षा मिल सके । इसीलिए मैंने मकरहा मे मैंने राजकीय पालिटेकनिक कालेज खुलवाया। जहां पर नाममात्र फीस देकर क्षेत्र का मेधावी छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहा है।


प्रो. योगेन्द्र : इसके अलावा आपने शिक्षा के क्षेत्र मे क्या किया ?

डॉ. संग्राम : मैंने क्षेत्र के वित्तविहीन एवं मान्यता प्राप्त कालेजों को अपनी निधि से विभिन्न मदों मे पैसा दिया। जिससे शिक्षा स्तर को उच्चीकृत किया जा सके।


प्रो. योगेन्द्र : इसके अलावा शिक्षा क्षेत्र मे कोई उल्लेखनीय कार्य हो तो बताने की कृपा करें ।

डॉ. संग्राम : काम तो मैंने बहुत किए, लेकिन अतरौलिया टाउनएरिया मे स्थित जीजीआईसी की 3 करोड़ की लागत से आधुनिक प्रयोगशाला का निर्माण करवाया। यह उल्लेखनीय है।


प्रो. योगेन्द्र : आजमगढ़ की दूसरी विधानसभाओं का भ्रमण करते समय मुझसे कई लोगों ने कहा कि इस जिले के लिए के लिए जितनी योजनाएँ आती है, सभी आप और आपके पिता अपने क्षेत्र मे घसीट ले जाते हैं, इसमें कहाँ तक सच्चाई है ?

डॉ. संग्राम : इन आरोपों मे जरा सी भी सच्चाई नही है। यह बात दूसरी है कि मैं और मेरे पिताजी अपने क्षेत्र के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं, इसलिए हमारे क्षेत्र मे विकास के बहुत से काम हुये हैं।


प्रो. योगेन्द्र : चलिये आपकी बात मान लेते हैं। अच्छा, यह बताइये कि आपके क्षेत्र मे स्वास्थ्य के क्षेत्र मे कौन-कौन से काम हुये हैं ?

डॉ. संग्राम : स्वास्थ्य के क्षेत्र मे हमने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्रेरणा एवं सहयोग से उल्लेखनीय कार्य करवाए हैं । पहला – अतरौलीय ब्लाक के पास सभी आधुनिक सुविधाओं से युक्त 100 बेड का एक अस्पताल खुलवाया है। जिससे जो मरीज अपना इलाज करवाने आजमगढ़ जाते थे, वे अब यहीं आते हैं। यहाँ पर अच्छे डॉक्टरों की व्यवस्था भी हम लोगों ने सुनिश्चित की है। इसके अलावा महिलाओं के लिए 100 बेड का ही प्रसूति गृह भी बनवाया है। जिससे हमारी माँ-बहनों को प्रसूति मे कोई कष्ट न हो।


प्रो. योगेन्द्र : बहुत सुंदर ! क्या आपने गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए भी मुख्यमंत्री त्वरित निधि से कुछ पैसा दिलवा कर मदद कारवाई है ?

डॉ. संग्राम : जी, हाँ ! मैंने अपनी और मुख्यमंत्री जी की त्वरित निधि के 11 करोड़ रुपए की मदद हजारों मरीजों को कारवाई है। जिसको जैसी जरूरत रही, इस हिसाब से खुद की निधि से भी 2, 3, 5 लाख रुपए दिये हैं।


प्रो. योगेन्द्र : आपकी विधानसभा बहुत बड़ी है, इसके अंतर्गत तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, क्या उनके लिए भी आपने कुछ किया है ?

डॉ. संग्राम : जी हाँ, मैं अतरौलिया – अहरौला मार्ग पर स्थित मदियापार मे, आजमगढ़ – फैजाबाद मार्ग पर स्थित बढ़या मे, अतरौलीय से पूर्व पोहरी बाबा के नजदीक अतरईठ और वजीद पुर मे नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलवाए हैं। इसके अलावा क्षेत्र मे स्थित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो को उच्चीकृत करवाया है।


प्रो. योगेन्द्र : विधायक जी ! आपकी सरकार सड़क के निर्माण के लिए जानी जाती है, क्या आपने भी अपने क्षेत्र मे सकड़ों का जाल बिछा दिया है ?

डॉ. संग्राम : धन्यवाद ! प्रो. साहब, मेरी सरकार की तारीफ करने के लिए । आप सही कह रहे हैं। हमारी सरकार ने पूरे प्रदेश मे जितनी सड़कों का निर्माण करवाया। आजादी के बाद किसी भी सरकार ने नही करवाया। यह सच है। मैंने भी अपने क्षेत्र मे सड़कों का जाल बिछा दिया है। जिनमे से कुछ प्रमुख सड़कें इस प्रकार हैं – पचरी डीहवा से पिंडोरिया, मदियापार मार्ग, अभयपुर नान्हूशाह मार्ग, सेखौना से गजईपुर मुंडेरा मार्ग, नंदना से पकडडीहा मार्ग, अमही ध्यानीपुर से मकरहा मार्ग, फत्तेपुर बनवारी पट्टी से खीरीडीहा मार्ग, देहुला गोशाईपुर से परमेश्वरपुर मार्ग, अमही धियानीपुर मकरहा मार्ग, हसनाडीह से मड़ना मार्ग, गौरी पीठपुर से अहरौला माड़ना मार्ग, सरईया विसईपुर मार्ग, कौड़िया संसारे मार्ग आदि ।


प्रो. योगेन्द्र : विधायक जी, क्या आपके क्षेत्र मे सड़कों के चौडीकरण और सुंदरीकरण का भी भी कोई कार्य हुआ है ?

डॉ. संग्राम : जी, हाँ, लखनऊ एवं अन्य महानगरों की तर्ज पर हमने अपने क्षेत्र मे सड़कों के चौडीकरण का भी कार्य किया है। उनके किनारे पेड़-पौधे लगवा कर उसके सौंदर्यीकरण का भी कार्य हुआ है। जो इस प्रकार है – देउरपुर से महाराजगंज मार्ग, बूढ्नपुर से अंबारी मार्ग,बूढ़नपुर से माखनहा मार्ग, अतरौलीय से अतरईठ मार्ग, अतरौलिया से अहरौला मार्ग आदि।


प्रो. योगेन्द्र : विधायक जी ! क्या आपके क्षेत्र मे नदियां नहीं है, आपने सड़कों ने निर्माण मे पुलों के निर्माण की बात नहीं की ?

डॉ. संग्राम : ऐसी बात नहीं है प्रो. साहब ! मेरे क्षेत्र के कई मार्गों पर नदियां है। जिनसे गुजरने वाली नदियों पर हमने पुलों का भी निर्माण किया है। वे इस प्रकार हैं – कलहौरा घाट का पुल, चगौना का पुल, हुंसेपुर का पुल, अतरईठ बाजार का पुल, रतुआपार का पुल, अहरौला बाजार से निकलने वाली टौंस नदी का पुल, भरसानी का पुल। इतने पुलों का भी निर्माण पूरा हो चुका है।


प्रो. योगेन्द्र : आपने जो विकास कार्य करवाए, पाँच साल के हिसाब से तो बहुत हैं। इससे एक बात तो प्रमाणित हो जाती है कि आपने पूरे पाँच साल अपने क्षेत्र मे दिये हैं। जानता के दुख-दर्द को समझा है। तभी आप इतना विकास कार्य करवा सके हैं। आप जीतें और इसी तरह क्षेत्र का विकास करते रहे, लोगों के सुख-दुख मे शामिल होते रहे। मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं। आपने इतना समय दिया इसके लिए बहुत – बहुत धन्यवाद । इसके अलावा इन सब जानकरियों के लिए लिखित दस्तावेज़ उपलब्ध करवाने के लिए अतरौलिया विधानसभा के वरिष्ठ सपा नेता चंद्रजीत यादव को हार्दिक धन्यवाद !

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