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उत्तर प्रदेश

एसपी-बीएसपी में टूट की 'खिचड़ी' एसपी के ही एक वरिष्ठ नेता और एक निर्दलीय विधायकने पकाई

शनिवार को मधुकर जेटली भी इस्तीफा देने जा रहे थे तो शिवपाल के मुताबिक उन्होंने ही मधुकर से बात की और इस्तीफा न देने को कहा। राजा भैया के भी योगी के साथ मंच साझा करने के दौरान से ही बीजेपी के साथ आने के कयास लगाए जा रहे थे। वैसे भी राजा भैया के संबंध बीजेपी और एसपी, दोनों से ही ठीक माने जाते हैं। वह बीजेपी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। बीजेपी से उनकी नजदीकी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजा भैया ने एनडीए उम्मीदवार रहे रामनाथ कोविंद को वोट दिया था।

एसपी-बीएसपी में टूट की खिचड़ी एसपी के ही एक वरिष्ठ नेता और एक निर्दलीय विधायकने पकाई
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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के तीन दिवसीय प्रवास पर लखनऊ पहुंचने से कुछ घंटे पहले ही जिस तरह से एक बीएसपी और दो एसपी एमएलसी ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, उसे तात्कालिक घटना नहीं माना जा सकता। भले ही बीजेपी इसमें अपना हाथ होने से इनकार कर रही हो, लेकिन राजनीतिक जानकारों को ऐसा नहीं दिखता।

सूत्रों की मानें तो पिछले चार महीने से ही इस टूट की खिचड़ी पक रही थी और शुक्रवार को एक होटल में हुई बैठक में इसे फाइनल टच दिया गया। इसमें बीजेपी के वरिष्ठ मंत्री और संगठन के पदाधिकारी देखे गए। उनसे मिलने वालों में विपक्षी दल के कुछ नेता भी थे। शनिवार को हुए इस घटनाक्रम की धुरी एसपी के ही एक वरिष्ठ नेता और एक निर्दलीय विधायक को माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, सरकार बनने के बाद से ही जिस तरह से योगी सरकार ने एक-एक करके पुराने मामलों में फंसे लोगों पर सख्ती दिखाई, उससे तमाम लोगों की सांसें चढ़ी हुई थीं। एक अप्रैल को ही सीएम योगी गोमती रिवर फ्रंट का मुआयना करने निकले तो शाम तक ही जांच करवाने की हवाएं तेज हो गईं। इस कदम के तुरंत बाद ही एसपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे। भले ही इस मुलाकात को तब शिष्टाचार भेंट करार दिया गया था, लेकिन जानकारों को यह उस समय भी इससे ज्यादा दिखाई दिया था।
शनिवार को मधुकर जेटली भी इस्तीफा देने जा रहे थे तो शिवपाल के मुताबिक उन्होंने ही मधुकर से बात की और इस्तीफा न देने को कहा। राजा भैया के भी योगी के साथ मंच साझा करने के दौरान से ही बीजेपी के साथ आने के कयास लगाए जा रहे थे। वैसे भी राजा भैया के संबंध बीजेपी और एसपी, दोनों से ही ठीक माने जाते हैं। वह बीजेपी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। बीजेपी से उनकी नजदीकी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव में राजा भैया ने एनडीए उम्मीदवार रहे रामनाथ कोविंद को वोट दिया था।
यशवंत सिंह : बेदाग छवि के यशवंत सिंह एसपी में कैबिनेट मंत्री रहे राजा भैया के करीबी माने जाते हैं। राजा भैया के पिता पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों की मदद करते रहे हैं। वहीं राजा भैया खुद आरएसएस के एक प्रचारक के सेवा मिशन की मदद करते रहे हैं। गोरखपुर से सिविल इंजिनियरिंग में स्नातक यशवंत आपातकाल के दौरान जेल तक गए। दो बार के विधायक, मंत्री और फिर तीन बार के एमएलसी रहे यशवंत गोरखपुर में पढ़ने के दौरान गोरक्षनाथ मंदिर से भी जुड़े। 17 अप्रैल को चंद्रशेखर ट्रस्ट के कार्यक्रम में यशवंत सिंह, राजा भैया, सीएम योगी के साथ एक मंच पर थे। माना जा रहा है कि सीएम समेत मंत्रीमंडल के पांच लोगों के 'अडजस्टमेंट' में जुटी बीजेपी की राह आसान करके राजा भैया ने अपना कद इस सरकार के दौरान भी मजबूत किया है।
बुक्कल नवाब : तमाम मामलों में बुक्कल नवाब पर जांच का शिकंजा कसा है। गोमती की जमीन को अपनी बताकर बेचने और उसका मुआवजा सरकार से लेने के मामले में सीबीआई जांच को लेकर न्याय विभाग मंजूरी दे चुका है। बुक्कल नवाब मुलायम खेमे के माने जाते हैं। ऐसे में संभव है कि ऐसी मुसीबतों से बचने के लिए बीजेपी की राह आसान करने के लिए रास्ते से हटे हों।
जयवीर सिंह : जानकार बताते हैं कि अलीगढ़ में अपनी राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए उन्होंने इस्तीफा सौंपा। ठाकुर जयवीर सिंह पुराने बसपाई हैं, लेकिन मौजूदा समय में उनके दो पुराने साथी सरकार में मंत्री हैं। माना जा रहा है कि उन्होंने ही जयवीर को इसके लिए तैयार किया। बीजेपी सरकार बनने के बाद से ही जिस तरह से जिला पंचायत अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने का चलन बढ़ा, वह भी एक कारण हो सकता है। जयवीर के भतीजे उपेंद्र सिंह अलीगढ़ के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उन्हें मनाने में बीएसपी से आए स्वामी प्रसाद मौर्य, एमएलए सुशील सिंह की भी मदद ली गई।
तारीखें, गौर करने वाली
5 अप्रैल - शिवपाल यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ से उनके कार्यालय में की मुलाकात।
17 अप्रैल - चंद्रशेखर ट्रस्ट के कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने यशवंत सिंह और राजा भैया के साथ मंच साझा किया।
जून का पहला सप्ताह - बुक्कल नवाब के सरकारी जमीन का मुआवजा लेने की घटना पर सीबीआई जांच कराने के लिए न्याय विभाग ने मंजूरी देकर नगर विकास विभाग को फाइल भेजी।
16 जून - राजा भैया ने सीएम योगी से उनके ऑफिस में की मुलाकात।
सदन में दिखी बीजेपी से करीबी
बजट सत्र के दौरान भी गतिविधियों को लेकर कुछ आशंका जताई गई थी। राजा भैया बीजेपी नेताओं के साथ ही देखे जाते रहे। इसके अलावा यशवंत सिंह भी एसपी एमएलसी के साथ कम ही देखे गए। बीजेपी के मंत्रियों राजेश अग्रवाल और डॉ.दिनेश शर्मा के साथ उनकी करीबी चर्चा का विषय रही। सत्र के दौरान एक दिन राजा भैया रायबरेली के पूर्व विधायक अखिलेश सिंह के साथ सेंट्रल हॉल में बात करते रहे। इसके बाद से उनकी बेटी और कांग्रेस विधायक अदिति सिंह के भी बीजेपी में जाने के कयास लग रहे हैं।
डॉ शर्मा विशेष 'जिम्मेदारी' पर
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की शहर में मौजूदगी के बावजूद उप-मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा विधान भवन स्थित अपने ऑफिस में मौजूद थे। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि इस पूरे ऑपरेशन की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई थी। जयवीर सिंह से उनकी मुलाकात भी हुई। हालांकि उन्होंने उस मुलाकात को आकस्मिक भेंट करार दिया। माना जा रहा है कि उनकी बातचीत के आधार पर ही सुबह के इस्तीफे पर दोपहर तक फैसला हो गया।

एनबीटी से आभार

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