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व्यंग ही व्यंग

मयखाने गुलजार : अभय सिंह

मयखाने गुलजार : अभय सिंह
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मयखाने गुलजार ।

लोग लग गये कतार ।।

उमड़ पड़े लोग ।

हो गए बेकाबू ।।

सहन ना वियोग ।

अजब है संयोग ।।

मिले एक बोतल ।

था इंतजार ।।

बेचैन जो लोग ।

दे दी गई ढील ।।

उमंग से चेहरे ।

सभ्य और सुशील ।।

मदिरा उपलब्ध ।

करोबार गुलजार ।।

अर्थवयवस्था पटरी ।

पकड़ेगा रफ्तार ।।

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