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व्यंग ही व्यंग

मधुशाला तेरी सदैव जय हो : अभय सिंह

मधुशाला तेरी सदैव जय हो : अभय सिंह
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बंद है मंदिर,मस्जिद भी ।

गुरुद्वारों पर लगे रहेंगे ताला ।।

थोड़ी-सी क्या मोहलत मिली ।

मानो कोई प्रतियोगिता होने वाली ।।

लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा है ।

आस लगायें लोग खड़े हैं ।।

भले ही लाठी-डंडे है खाये ।

बस एक बोतल अमृत मिल जाये ।।

आखिर ये क्या हो रहा है ?

सोच में पड़ गया होगा उपरवाला ।।

मधुशाला तेरी सदैव जय हो ।

तेरे दर पर आने के ना कोई भय हो ।।

ना हो कोई रोक-टोक ।

भले हो जाये नोक-झोंक ।।

प्यास उनकी बूझ जाती ।

तरस कम से कम दिखलाती ।।

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