व्यंग : कुतर गये पर - : कृष्णेन्द्र राय
BY Anonymous9 Jan 2019 10:11 AM GMT
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Anonymous9 Jan 2019 10:11 AM GMT
काम हुआ चालू ।
वर्मा जी ऑन ।।
हाथ पर बँधे ।
घट गयी शान ।।
जीत गये जंग ।
गायब पर रौनक़ ।।
कुतर गये पर ।
छिन गया हक ।।
धूमिल हुई तमन्ना ।
पर करना स्वीकार ।।
ताक़त का खेल ।
कितने हैं प्रकार ?
व्यंग्यात्मक लेखक : कृष्णेन्द्र राय
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