Janta Ki Awaz
व्यंग ही व्यंग

"सिक्के की अफवाह" नही चलने कि।

सिक्के की अफवाह नही चलने कि।
X
2012 की बात है में अपने नजदीकी यूको बैंक शाखा में अपने एक मित्र एक साथ गया था। वहाँ उस मित्र को कुछ रुपये बैंक में जमा करना था। जिसमे दस के नोट भी थे। कैशियर काउंटर पर जब उसने दस के नोट जमा करने के लिये बढ़ाये। तो कैशियर ने दस का नोट लेने से मना कर दिया। यह कहते हुए की "सौ का नोट ले कर आओदस का नोट जमा नही लेंगे।"
कैशियर कि जो भी मजबूरी रही हो, पर उसने जमा फॉर्म पर दस,पांच,दो और एक के सिक्के का कॉलम बना रहता है फिर क्यो नही जमा लेते है छोटे नोट। कुछ देर तक शब्दो के माध्यम से होते हमले के बाद उसने नोट जमा कर लिया।
____________
अब यहां लोकल स्तर की बात। नोटबन्दी के पहले यहां के दुकानदार और व्यापारी दस के सिक्के लेने से मना कर रहे थे। ऐसा अफवाह था कि सिक्के नकली है। फिर नोट बंदी होने के बाद बैंको के द्वारा दस,पाँच, दो,एक का सिक्के भरपुर मात्रे में ग्राहकों को दिया गया। पूरे बाज़ार में सिक्के अधिक मात्रा में हो गए। दुकानों छोटे व्यापारियों के पास आज हालात ऐसा है कि सिक्के उनके पास दस हज़ार,पचास हज़ार के यू ही रखे है। लेन देन में इस्तेमाल ही नही हो पाता। बड़े व्यापारी सिक्के लेते तो नही। फिर सिक्के का क्या होगा? क्या कहे बैंक में जमा कर दें?
फिर से यही दिक्कत बैंक सिक्के जमा में नही लेगा? क्योकि उनके पास भी सिक्के का ट्रांसजेक्शन नही है।
____________
यही सिक्को का ट्रांजेक्शन बाज़ार में भी नही हो रहा क्योंकि सभी के पास अधिक मात्रा में सिक्के है। लेने वाला कोई नही। सभी लेनदेन में नोट का मांग करते है।
इससे पीछा छुड़ाने के लिए दुकानदार सिक्का लेना बंद कर दिया। इधर छोटा वाला एक का सिक्का कोई नही लेता। आप सौ रुपये का सामान सिक्के में खरीदना चाहते है तो आपको बाजार से वापस आना पड़ सकता है।

इसके लिये कानून है, जो भारतीय रुपये का लेन-देन नही करेंगे उस पर देशद्रोह का मुकदमा होगा । प्रशासन गुहार लगा रही है जो सिक्के नही लेते उनका नाम चिन्हित कर के दें उनपर देशद्रोह का केश चलेगा।
__________
भैया छोटे दुकानों पर देश द्रोह और जब बैंक नही लेते तो उसपर देशद्रोह क्यो नही लगाते हो। जब बैंक ही वो सिक्के देते है तो फिर जमा लेते क्यो नही?

राजऋषि कुमार
Next Story
Share it