मुलायम सिंह, एक नाम जो बना एक विचारधारा , और कैसे हुयी थी परिवार में रार
मुलायम सिंह यादव
मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में 22 नवम्बर, 1939 को हुआ था. इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी है. मुलायम सिंह ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए) एवं जैन इन्टर कालेज करहल (मैनपुरी) से बी0 टी0 की शिक्षा हासिल की. इसके बाद कुछ दिनों तक इन्टर कालेज में अध्यापन कार्य भी किया.
पांच भाइयों में तीसरे नंबर के मुलायम सिंह के दो विवाह हुए हैं. पहली शादी मालती देवी के साथ हुई. मालती देवी के साथ विवाह में रहते हुए ही मुलायम ने साधना गुप्ता से भी विवाह किया. अखिलेश यादव मालती देवी के बेटे हैं. जबकि प्रतीक यादव दूसरी पत्नी साधना के बेटे हैं.
वर्ष 1954 में 15 साल की उम्र में ही मुलायम के राजनीतिक तेवर उस वक़्त देखने को मिले, जब उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर 'नहर रेट आंदोलन' में भाग लिया और पहली बार जेल गए.
डॉ. लोहिया ने फर्रुखाबाद में बढ़े हुए नहर रेट के विरुद्ध आंदोलन किया था और जनता से बढ़े हुए टैक्स न चुकाने की अपील की थी. इस आंदोलन में हजारों सत्याग्रही गिरफ्तार हुए. इनमें मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे. इसके बाद वे 28 साल की उम्र में 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से विधानसभा सदस्य चुने गए. इसके बाद तो वे 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में विधायक बने.
मुलायम सिंह जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक भी रह चुके हैं. मुलायम सोशलिस्ट पार्टी और फिर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक का चुनाव लड़े और एक बार जीते भी.
मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गए और मंत्री बने. 1992में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई और वे तीन बार 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1995 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे. इसके अलावा वे भारत सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं. मुलायम सिंह यादव वर्तमान समय में सपा के मुखिया हैं.
सात अक्तूबर 1992 को बनाई समाजवादी पार्टी
सात अक्टूबर 1992 को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की स्थापना की गई. भारत के राजनैतिक इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण अध्याय था, क्योंकि लगभग डेढ़-दो दशकों से हाशिए पर जा चुके समाजवादी आंदोलन को मुलायम ने पुनर्जीवित किया था. इसके अगले वर्ष ही 1993 में हुए विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का गठबंधन बीएसपी से हुआ. हालांकि, यह मोर्चा जीता नहीं और भारतीय जनता पार्टी भी सरकार बनाने से चूक गई. मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस और जनता दल दोनों का साथ लिया और फिर मुख्यमंत्री बन गए.
मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता को ही बाप-बेटे के बीच झगड़े की जड़ माना जा रहा है. जिन अमर सिंह से अब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इतने खफा हैं, खबर है कि साधना के कहने पर ही मुलायम ने उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल किया था.
1967 में बतौर विधानसभा सदस्य राजनीतिक सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह 80 के दशक तक उत्तर प्रदेश के एक प्रभावशाली और ताकतवर नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. कहा जाता है कि चौधरी चरण सिंह के बाद मुलायम ही प्रदेश के पिछड़ा वर्ग और यादवों के सबसे बड़े नेता साबित हुए. मुलायम जब राजनीति के शिखर पर थे उस वक्त उनकी जिंदगी में साधना गुप्ता का आगमन हुआ.
कहते हैं कि 1982 में जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने, उस वक्त साधना पार्टी में एक कार्यकर्ता की हैसियत से काम कर रही थीं. बेहद खूबसूरत और तीखे नैन-नक्श वाली साधना पर जब मुलायम की नजर पड़ी तो वे भी बस उन्हें देखते ही रह गए. पहली ही मुलाकात में नेताजी अपने से 20 साल छोटी साधना को अपना दिल दे बैठे.
मुलायम पहले से ही शादीशुदा थे और साधना भी. साधना की शादी फर्रुखाबाद जिले के छोटे से व्यापारी चुंद्रप्रकाश गुप्ता से हुई थी. लेकिन बाद में वह उनसे अलग हो गई. इसके बाद शुरू हुई मुलायम-साधना की अनोखी प्रेम कहानी.
80 के दशक में साधना और मुलायम की प्रेम कहानी की भनक अमर सिंह के अलावा और किसी को नहीं थी. इसी दौरान 1988 में साधना ने एक पुत्र प्रतीक गुप्ता (अब प्रतीक यादव) को जन्म दिया. कहते हैं कि साधना गुप्ता के साथ प्रेम संबंध की भनक मुलायम की पहली पत्नी और अखिलेश की मां मालती देवी को लग गई.
90 के दशक (दिसंबर 1989) में जब मुलायम मुख्यमंत्री बने तो धीरे-धीरे बात फैलने लगी कि उनकी दो पत्नियां हैं, लेकिन वह इतने ताकतवर नेता थे कि किसी की मुंह खोलने की हिम्मत ही नहीं पड़ती थी. इसके बाद 90 के दशक के अंतिम दौर में अखिलेश को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता के बारे में पता चला. कहते हैं कि उस समय मुलायम साधना गुप्ता की हर बात मानते थे, इसीलिए मुलायम के शासन (1993-2007) में साधना गुप्ता ने अकूत संपत्ति बनाई. बता दें कि आय से अधिक संपत्ति का उनका केस आयकर विभाग के पास लंबित है.
2003 में अखिलेश की मां मालती देवी की बीमारी से निधन हो गया और मुलायम का सारा ध्यान साधना गुप्ता पर आ गया. हालांकि, मुलायम अब भी इस रिश्ते को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं थे.
मुलायम और साधना के संबंध की जानकारी मुलायम परिवार के अलावा अमर सिंह को थी. मालती देवी के निधन के बाद साधना चाहने लगी कि मुलायम उन्हें अपना आधिकारिक पत्नी मान लें, लेकिन पारिवारिक दबाव, ख़ासकर अखिलेश यादव के चलते मुलायम इस रिश्ते को कोई नाम नहीं देना चहते थे.
इस बीच साधना 2006 में अमर सिंह से मिलने लगीं और उनसे आग्रह करने लगीं कि वह नेताजी को मनाए. लिहाजा, अमर सिंह नेताजी को साधना गुप्ता और प्रतीक गुप्ता को अपनाने के लिए मनाने लगे. 2007 में अमर सिंह ने सार्वजनिक मंच से मुलायम से साधना को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया और इस बार मुलायम उनकी बात मानने के लिए तैयार हो गए.
लेकिन अखिलेश इसके लिए कतई तैयार नहीं थे. अखिलेश के विरोध को नजरअंदाज करते हुए मुलायम ने अपने खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति से संबंधित मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया, जिसमें उन्होंने साधना गुप्ता को पत्नी और प्रतीक के रूप में स्वीकार कर लिया. उसके बाद साधना गुप्ता, साधना यादव और प्रतीक गुप्ता प्रतीक यादव हो गए. अखिलेश ने साधना गुप्ता के अपने परिवार में एंट्री के लिए अमर सिंह को जिम्मेदार माना. तभी से अखिलेश अमर सिंह से चिढ़ने लगे थे. वह मानते हैं कि साधना गुप्ता और अमर सिंह के चलते उनके पिताजी उनकी मां के साथ न्याय नहीं किया.
अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे . इससे पूर्व वे लगातार तीन बार सांसद भी रह चुके हैं. उन्होंने 2009 में उत्तर प्रदेश की कन्नौज सीट से जीत दर्ज कर संसदीय राजनीति में कदम रखा था और 2012 में प्रदेश के सबसे युवा सीएम बने. अखिलेश का जन्म इटावा के सैफई गांव में हुआ था. वो यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और मालती देवी की पहली संतान हैं.
उनकी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के सैनिक स्कूल में हुई. इंजीनियरिंग करने के बाद मैसूर यूनिवर्सिटी से एन्वॉयरमेंट इंजीनियरिंग की मास्टर्स डिग्री ली. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी से भी इसी विषय में मास्टर्स डिग्री की है. कॉलेज के दिनों में 25 साल के अखिलेश की मुलाकात 21 साल की डिंपल से हुई थी.
डिंपल लखनऊ यूनिवर्सिटी से कॉमर्स की पढ़ाई कर रही थीं और अखिलेश ऑस्ट्रेलिया से एन्वॉयरमेंट इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री लेकर लौटे थे. एक कॉमन फ्रेंड के जरिए दोनों की मुलाकात हुई. अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल के स्वभाव, शौक और पारिवारिक बैकग्राउंड बिल्कुल अलग थे. दोनों में कोई मेल नहीं था, लेकिन शायद उनकी जोड़ी ऊपर वाले ने ही बना कर भेजी थी.
रामगोपाल यादव
समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बारे में कम ही लोग जानते हैं कि वह मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई हैं. रामगोपाल यादव ने वर्ष 1988 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. उन्होंने पहली बार इटावा के बसरेहर ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीता था.
प्रोफेसर रामगोपाल यादव का जन्म 29 जून, 1946 को इटावा के सैफई में हुआ और 4 मई, 1962 को फूलन देवी से उनकी शादी हुई. उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं. रामगोपाल यादव ने एमएससी (भौतिकी) और एमए (राजनीति विज्ञान) विषय में किया है. इसके बाद उन्होंने 'डॉ. लोहिया का सामाजिक और राजनीतिक दर्शन' विषय पर रिसर्च कर पीएचडी की.
आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में रामगोपाल यादव ने कहा था कि यूपी को आईएएस की जरूरत ही नहीं है. माना जाता है कि रामगोपास यादव को दूसरी पार्टियों के साथ अच्छे संबंध बनाने में महारत हासिल थी. प्रोफेसर रामगोपाल वर्ष 1989 में जिला परिषद का चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने थे.
प्रतीक यादव
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और उनकी दूसरी पत्नी साधना के बेटे हैं प्रतीक यादव. प्रतीक यादव का जन्म सन् 1988 में हुआ. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बेटे प्रतीक यादव को मुलायम ने चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते उस पर अमल नहीं हो पाया. लेकिन साधना प्रतीक की पत्नी अर्पणा यादव को लखनऊ कैन्ट से विधानसभा का टिकट दिलाने में कामयाब रहीं.
बता दें कि प्रतीक यादव लखनऊ में एक जिम चला रहे हैं और उन्हें बॉडी बिल्डिंग का भी खासा शौक है. इसके साथ ही नोएडा में जमीन वे रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ आजमा रहे हैं. लेकिन माना जाता है कि साधना यादव की सिफारिश पर ही खनन मंत्री बने गायत्री प्रजापति के साथ प्रतीक कारोबार करने के अलावा राजनीति भी सीख रहे हैं.
कहा जा रहा है कि प्रतीक की पिता मुलायम से नजदीकियों के चलते अमर सिंह भी उनके राजनीतिक गुरु बने हुए हैं. जहां एक ओर चाचा शिवपाल अखिलेश से खुन्नस खाए बैठे हैं वहीं, प्रतीक को उनका भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है. राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि अगर समाजवादी पार्टी का बंटवारा होता है तो शिवपाल प्रतीक को आगे कर आगामी विधानसभा चुनाव में वोट मांगने जा सकते हैं. इसके साथ ही गायत्री प्रजापति की अखिलेश कैबिनेट में फिर से वापसी कहीं ना कहीं साधना के कहने पर ही की गई है.
चर्चा तो यह भी है कि बेशक वो राजनीति के पटल पर नहीं दिखते हैं, राजनीति में आने के लिए इनकार करते हैं, लेकिन राजनीति के बड़े ओहदे पर उन्हें काबिज कराने के लिए ताना-बाना बुना जा रहा है. भले ही प्रतीक राजनीतिक मंच पर कम दिखाई देते हों, लेकिन उनकी पत्नी अपर्णा यादव अक्सर सुर्खियां बटोरती रहती हैं. कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने को लेकर तो कभी अपने पति के हक के लिए आवाज उठाकर वह मीडिया में बनी रहती हैं.
शिवपाल सिंह यादव:
1 .शिवपाल सिंह यादव का जन्म 1955 को उत्तर प्रदेश के सैफई में हुआ.
2. शैक्षिक योग्यता: बी.ए.की पढ़ाई इटावा से और , बी.पी.एड. की लखनऊ से पूरी की.
3. पिता स्व. श्री सुघर सिंह यादव माता स्व. श्रीमती मूर्ति देवी.
4. 23 मई 1981 को सरला यादव से शादी.
5. शिवपाल का एक बेटा है आदित्य यादव और एक बेटी है अनुभा यादव.
6. मुलायम के पांच भाइयों में सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने ही सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया है.
7. मुलायम सिंह यादव के भाई और यूपी के पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव ने जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था.
8. बाद में मुलायम सिंह ने अपनी जसवंत नगर सीट उन्हें दे दी.
9. शिवपाल की छवि एक बड़े तेज-तर्रार नेता का है.
10. पहली बार 1996 में जसवंतनगर से जीतकर विधानसभा पंहुचे.
11. 4 बार जसवंतनगर सीट से चुनाव जीत चुके हैं.
श्रोत - One India