सैन्य तैनाती: ममता के दावे की खुली पोल
जानकारी के अनुसार, सेना ने पश्चिम बंगाल सरकार और हावड़ा प्रशासन को चिट्ठी लिखकर पहले ही जानकारी दे दी थी। इस संबंध में सेना की ओर से बंगाल सरकार को दिए गए दस्तावेज भी अब सामने आए हैं। इसमें साफ है कि राज्य सरकार और हावड़ा प्रशासन को जानकारी दी गई थी कि सेना की एक्सरसाइज 72 घंटे तक चलेगी। ज़ी न्यूज के पास भी इस जानकारी से जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं। सेना ने हावड़ा के पुलिस कमिश्नर और परिवहन विभाग के प्रधान सचिव को चिट्ठी भेजकर इस बात की जानकारी पहले ही दे दी थी।
साथ ही, सेना ने उन आरोपों को पूरी तरह से आधारहीन बताया है जिनमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल में टोल प्लाजों पर सैन्यकर्मी पैसा वसूल रहे हैं। मेजर जनरल सुनील यादव ने इस आरोप को पूरी तरह खारिज कर दिया। राज्य में सैन्य तैनाती के मामले में उन्होंने कहा कि ऐसे एक्सरसाइज हमारे परिचालन उद्देश्यों के लिए किए जाते हैं। आर्मी स्थानीय स्तर पर सालाना डाटा कलेक्शन के लिए ऐसे रुटीन एक्सरसाइज को चलाती है। इसके तहत सभी उत्तर पूर्वी राज्यों असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम, सिक्किम में डाटा एकत्र किए जाते हैं। केवल भारी वाहनों का डाटा एकत्र किया जाता है। ये केवल हर साल किया जाने वाला रुटीन एक्सरसाइज है।
भारतीय सेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इन आरोपों का मजबूती से खंडन किया है कि राज्य सरकार को सूचित किए बिना ही सैन्यकर्मियों को टोल प्लाजा पर तैनात किया गया था और वे पैसे वसूल रहे थे और कहा कि अभ्यास कोलकाता पुलिस के साथ समन्वय से किए जा रहे हैं। जीओसी बंगाल एरिया (आफिश्यिेटिंग), मेजर जनरल सुनील यादव ने कहा कि यह स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ समन्वय से किए जा रहे हैं। पहले 27 और 28 नवंबर को अ5यास की योजना थी। 28 नवंबर को भारत बंद के आह्वान पर कोलकाता पुलिस के विशेष आग्रह पर तारीखें 30 नवंबर से दो दिसंबर बदली गईं।
मुख्यमंत्री के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मेजर जनरल यादव ने कहा कि हम सभी आरोपों से इनकार करते हैं। ममता ने कल आरोप लगाए थे कि राज्य सरकार को सूचित किए बगैर सेना तैनात की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि सैन्यकर्मी वाहनों से पैसा वसूल रहे थे जो उन्हें नहीं करना था। मेजर जनरल यादव ने कहा कि नवंबर 2015 में इसी तरह का एक अभ्यास उत्तरी कमान ने उन्हीं स्थानों में किया था। उन्होंने कहा कि पिछले 27 नवंबर को कोलकाता पुलिस के दो निरीक्षकों के साथ टोल प्लाजा पर एक टोही अभियान संचालित किया गया था।
दूसरी ओर, लोकसभा में रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने आज कहा कि पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती एक रुटीन एक्सरसाइज है। ममता बनर्जी के आरोपों से उन्हें धक्का लगा है। उन्होंने सेना के इस नियमित अभ्यास पर विवाद खड़ा करने को गलत बताते हुए कहा कि इसे तूल देना राजनीतिक हताशा का परिचायक है तथा इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को पूरी जानकारी थी। पार्रिकर ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों एवं पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में सेना की मौजूदगी नियमित अभ्यास का हिस्सा है और सेना के नियमित अभ्यास को लेकर इस प्रकार का विवाद खड़ा करना दुखद और गलत है।
टीएमसी सांसदों ने आज संसद में इस बात को लेकर हंगामा किया कि सरकार को सेना की तैनाती को लेकर जानकारी नहीं दी गई थी। जबकि ममता बनर्जी के दावे की पोल खुल गई है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के विभिन्न हिस्सों में टोल प्लाजों पर सैनिकों की मौजूदगी के विरोध में आज राज्य के सचिवालय में ही रुकी रहीं और पूछा कि क्या यह 'सैन्य तख्तापलट है'। ममता ने कहा कि मुर्शिदाबाद, जलपाईगुड़ी, दार्जीलिंग, उत्तर 24 परगना, बर्धमान, हावड़ा और हुगली आदि जिलों में सेना के जवानों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि सेना को राज्य सरकार को सूचित किए बगैर तैनात किया गया है। यह अभूतपूर्व और बेहद गंभीर मामला है।
This is baseless, we deny this charge: Major General Sunil Yadav on army collecting money from people at the toll counters in WB pic.twitter.com/ZUDI21weRH
This is an exercise carried out for our operational purposes: Major General Sunil Yadav on West Bengal army deployment pic.twitter.com/pTyZ0apSBy
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा में इसे एक साजिश करार देने के साथ राज्य प्रशासन को विश्वास में नहीं लेने का आरोप लगाया और वहीं सरकार ने सेना के इस नियमित अभ्यास पर विवाद खड़ा करने को गलत बताते हुए कहा कि इसे तूल देना राजनीतिक हताशा का परिचायक है तथा इस संबंध में स्थानीय प्रशासन को पूरी जानकारी थी।