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किसानों को 23 रुपए का चेक जारी करने पर मुख्‍य सचिव ने किया डीएम को तलब

बांदा के किसानों को 23 से 28 रुपए का मुआवजा देने के मामले में यूपी के मुख्‍य सचिव आलोक रंजन ने संज्ञान लिया है. ईटीवी/न्‍यूज18 पर प्रमुखता से खबर दिखाए जाने के बाद मुख्‍य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग कर स्‍थानीय डीएम से जवाब तलब किया. मुख्य सचिव ने कहा कि कि ऐसे चेक काटने पर तत्काल रोक लगा दी गई है
वहीं डीएम सुरेश कुमार का कहना है कि किसी किसान के साथ ऐसा मजाक नहीं किया गया है. जिन किसानों को ऐसा चेक दिया गया है उन्हें पहले सूखा राहत की राशि दी जा चुकी है और शेष राशि के तौर पर ये चेक दिए गए हैं. हालांकि डीएम साहब ने इस मामले पर जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की भी बात की है. जबकि पीड़ित किसान जिलाधिकारी के इस बयान को गलत बता रहे हैं. इन किसानों का कहना है की उन्हें इसके आलावा कोई राशि दी ही नहीं गयी है.
इससे पहले ईटीवी/न्‍यूज18 ने खबर दिखाया था कि किसानों को सूखा राहत के तौर पर 23 और 28 रुपए के चेक दिए जाने से किसान बेहद आहत हैं और अब इन चेकों को किसानों ने अखिलेश सरकार को वापस करने का निर्णय लिया हैं. कुछ किसानो का तो यह भी कहना है कि इन चेकों को सैफई महोत्सव के लिए दान कर देंगे.
बांदा के सर्वाधिक बदहाल क्षेत्र नरैनी के तबाह किसान अपने चेकों को हाथ में लेकर जिला प्रशासन की संवेदनहीनता और सरकारी मशीनरी की हक़ीक़त बयान कर हैं, क्योकि किसानो को 28-28 रुपए के चेक दिए गए हैं, जिन्‍हें कैश कराने के लिए नरैनी जाने में 30 रुपए किराया लगेगा.
सरकारी मशीनरी की कारीगरी यही नहीं रुकती बल्कि किसानो के साथ एक और मज़ाक करने से भी तहसीलकर्मी बाज़ नहीं आए. जो चेक सूखा राहत के लिए किसानों को दिए गए हैं, उनकी तारीखों में भी ज़बरदस्त गड़बड़ी की गई है.
दुनियाभर के कैलेंडर में 12 महीने होते हैं लेकिन बांदा के तहसीलदार के कैलेंडर में शायद 15 महीनो का एक साल होता है तभी तो 70 साल के बुज़ुर्ग किसान मेवालाल को दिए गए चेक में तारीख 11-15-2015 अंकित है.
बुजुर्ग किसान सारा दिन बैंक में लाइन लगाए खड़ा रहा और बाद में तारीख गलत होने के चलते उसे वापस लौटना पड़ा. अब बेबस बुज़ुर्ग तहसील के चक्कर लगा रहा है. जहां एक तरफ यूपी के सीएम अखिलेश यादव सरकार की छवि को बेहतर करने में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ ये अधिकारी उड़ा रहे हैं सरकार का मजाक.
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