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भोजपुरी कहानिया

करवा चौथ - विवाहित से ज्यादा अविवाहित खुश (एक लघु हास्य कथा) - विशाल "अज्ञात"

करवा चौथ - विवाहित से ज्यादा अविवाहित खुश (एक लघु हास्य कथा) - विशाल अज्ञात
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प्रातःकाल का समय है, अंधेरा अभी भी थोड़ा फैला हुआ ही है ! कमरे में सामान काफी अस्त व्यस्त है ! आस पास लैपटाॅप और मोबाईल इयर फोन कुछ किताबें आपस में गुत्मगुत्था कर रही है और बगल में ही पैरों को फैलाकर सीने के बल अभिषेक सोया हुआ है| थोड़ी दुर पर ही उसका रूम पार्टनर गौरव पुरे आराम के साथ खर्राटे भर रहा है !
मोबाईल पर कुछ अजीब सा टोन झनझनाने के साथ बेसूध होकर बजने लगा, शायद फोन आ रहा है !
दूसरी बार पुनः बजने पर गौरव के नींद में खलल पहुॅचा और वो बड़बड़ाते हुऐ उठ बैठा !
अभिषेक के बगल से मोबाईल उठाया और फोन उठाते ही बोला " भौजी प्रणाम ! इ तो सो रहा है ?"
उधर से कुछ मधुर आदेश मिला तो इधर गौरव ने अभिषेक को पैरों से जोर का धक्का दिया !
अभिषेक नींद में ही "का है बे...उतरी नहीं है क्या अभी तक"
गौरव ने कुछ उच्च संस्कारी शब्दों का प्रयोग किया और साथ में बोला "फोन है रे....प्यार मोहब्बत में साले खुद मरो हमारी काहे नींद उजाड़ रहे हो "
गौरव शरीर से इकहरे बदन का थोड़ा दिलफेक लड़का जिसका फेका दिल आज तक किसी ने उठाया नहीं जिसकी वजह से थोड़ा चिड़चिड़ा हो गया है !
अभिषेक इधर फोन पर उ हु हम्म और न जाने कौन कौन से ध्वनि में बात कर रहा है !
उधर से भी मधुर आवाज में दिलकश बातें चल रही थी जिसका अंदाजा बार बार उसके करवट बदलने से गौरव ने लगा लिया !
पार्ट -2
सुबह के 10 बज रहे है ! नास्ता करने मेस में जाने के बजाऐ अभिषेक इधर उधर कर रहा है !
एक दो बार पुछने के बाद गौरव ने नास्ता कर लिया और इधर उधर गप्पे लड़ाने आस पास के रूम में चला गया !
समय व्यतीत हुआ दोनो नहा धोकर एक दम ताजा हो लिऐ, 1 बजे का समय हो आया अब खाना खाने फिर सब मेस का रूख किऐ और उनके साथ अभिषेक भी मेस तक गया जरूर लेकिन आज क्वालिटी खराब बताकर खाना नहीं खाया !
धीरे धीरे शाम के 5 बज गये ! गौरव सो कर उठा और अभिषेक कि तरफ देखकर बोला " अबे थके थके क्यु लग रहे हो और कहाॅ गये थे !"
अभिषेक कुछ बोलना चाहा लेकिन चुप हो गया...
फिर कुछ देर बाद जब दोनो एक साथ क्लासिक लो स्मेल का लुत्फ उठा कमरे को धुधला कर रहे थे ठीक उसी समय कुर्सी को पीछे ले जाते अभिषेक ने कहा " भाई आज चलना है !"
गौरव ने धुआ छोड़ते हुऐ पुछा "कहाॅ ?"....अभिषेक ने राख अंगुलियों के सहारे झाड़ते हुऐ कहा " कालेज का स्वर्ग - "गर्ल्स हास्टल"
गौरव ने मजाक में लेते हुऐ कहाॅ "ओह अच्छा भौजी से मिलने लेकिन हम जाकर क्या करेंगे तुम तो अपना.....!! "
अभिषेक "अबे नही यार बस साथ चलना"
गौरव को वार्तालाप कुछ गंभीर लगा उसने पुछा "क्यु बे दोपहर में एकेले मार के आया है क्या ? जो बोल रहा है सच है या झुठ"
अभिषेक " सच है....आज करवा चौथ है...तो व्रत तुड़वाने जाना ही होगा"
गौरव "अरे साले तभी मै सोचू तु सुबह से कुछ खा क्यु नही रहा !, बेटा पकड़े जाओगे न तो इतनी कुटाई होगी की चांदनी चांद से सीधा जीवन में अमावश छा छाऐगा"
अभिषेक और गौरव कि बहस चल ही रही थी आखिरकार अभिषेक ने गौरव को चलने के लिऐ मना लिया बस शर्त इतनी थी की भौजी अकेले नही आऐगी कोई सहेली साथ लाऐगी.....!!
7 बजे शाम से नहाने दोनो नहाने में लग गये जिससे कौतुहलवश हास्टल के लड़को को शक जैसा कुछ उत्पन्न हुआ लेकिन वो दबा ही रह गया...!!
पार्ट -3
गर्ल्स हास्टल के पीछे वाले सुनसान खेत में कुछ चहल पहल हो रही है ! सुगंध इतनी की वातावरण 1km तक महक रहा है ! आखिरकार दोनो को गर्ल्स हास्टल कि दिवार मिल गई !
9फुट ऊॅची दिवार और फांदने वाले 5 फुट कुछ इंच के...लेकिन प्रेम में आग का दरिया तैर कर पार कर जाने वाले मजनुओ को 9 फुट दिवार कम लग रही थी...अभिषेक मोहब्बत में तो गौरव ने ये सोच दिवार फांद लिया की भौजी के साथ कौन आ सकता है !
अंदर पहुॅचते ही अभिषेक कि नजरें छत पर पहुॅचने का जुगाड़ तलाशने लगी तो गौरव की नजरें अनायास ही इधर उधर टहल रही लड़कियों पर पड़ने लगी...
अभिषेक ने पकड़ कर खींचा और गौरव को डांटा लेकिन गौरव ने कहा "भाई देख क्या नजारा है ! गर्ल्स के मेस में नौकरी लगवा दें भाई"
दोनो बचते बचाते छत के सीढ़ियों तक पहुॅचे और इधर उधर देखते हुऐ छत पर जा पहुॅचे !
उनके छत पर पहुॅचते ही दो लोग जो पहले से ही पानी पिलाने को अंधेरे में बैठे थे वो डर कर उस पार कूद लिऐ...
दोनो सकपकाऐ लेकिन गौरव ने माजरा समझते ही हल्की आवाज लगाई की "आ जाओ भाईयों हम सब एक ही काम करने आऐ है"
जैसे तैसे वे सब भी चढ़ कर आऐ और मोबाइल आॅन कर एक दुसरे की पहचान कर अपनी अपनी वाली को फोन किऐ...
थोड़ी देर में नमकीन के प्लेट में दिया और न जाने क्या क्या रख ! चार देवियाॅ नीचे से आती हुई प्रतीत हुई तो इधर सब अपने अपने बाल सॅवारने लगे..
गौरव कि निगाह उन सबसे ज्यादा साथ में आई एक कातिलाना चेहरे पर पड़ रही थी !
ग्रुप अलग हुआ तो गौरव के भौजी के साथ आई वो कातिल चेहरे वाली लड़की अकेले पड़ गई !
इधर गौरव कब से इसी पल के इंतजार में पागल हो रहा था...
देवानंद स्टाईल में लपक कर वह लड़की के पास पहुॅचते ही बोला..."कितना अच्छा होता की एक प्लेट में पुजा का सामान और आया होता तो आज हमारी उमर भी लंबी हो जाती"
लड़की ने दूसरी तरफ देखते हुऐ बोला "चप्पल पहनकर आई हु"
गौरव के चेहरे पर छिछोरी मुस्कान आ गई ऐसा लगा मानो किसी ने लतीफें सुना दिऐ हो..
गौरव ने आगे बढ़ते हुऐ कहा की "मालुम पड़ता है की चप्पल के डर से अभी तक कोई मिला नही ! वैसे कौन सी कंपनी का है"
उधर लड़की इतना सुन मुस्कुरा दी...लेकिन अंधेरे में गौरव को पता न चल सका..!!
इधर गौरव ने फिर शिकारी शब्द बाण चलाते हुऐ कहा की " मेरे जेब में कागज पर दस अंक लिखा है जिसे लोग मेरा मोबाईल नंबर कहते है अब किसी को जरूरत नही तो उस कोने में फेक देता हु"
लड़की नंबर देने कि अदा देखकर फिर मुस्कुराई और कहा " थोड़ा आगे फेकिऐगा नीचे उस पार गिर जाऐ हम लड़कियों को छत पर गंदगी अच्छी नही लगती"
गौरव को टक्कर का उत्तर मिल रहा था और ऐसा लग रहा था की आज रतजग्गा हो जाऐ यही...
लड़की ने आगे बोलते हुऐ कहाॅ की " कुछ बदबू सी आ रही है कहीं कोबरा परफ्युम तो नही मारे है"
गौरव पे छट उत्तर देते कहा की " आदत डाल लिजिऐ अब इसी को खुश्बु समझना है"
लड़की चुपचाप हो गई थी लेकिन गौरव शाब्दिक मजे लेना छोड़ना नही चाहता था और इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुऐ कहा " अच्छे से देख लिजिऐ अगले साल काम आऐगा वैसे नाम क्या बताया आपने"
लड़की " पता कर लिजिऐगा और चल के जाना पसंद करेंगे या उठाकर...कितनी लड़कियों के नाम याद कर चुके है"
गौरव " नाम तो एक ही याद करना है लेकिन कोई बता नही रहा"
इधर छत के नीचे अचानक चहल पहल बढ़ गई थी शायद ऊपर दीपक का उजाला देख कोई गार्ड या महिला कर्मचारी कुछ समझ गई थी...
नीचे चहल पहल बढ़ता देख जल्दी से प्रक्रिया पुरी की गई और लड़कीयाॅ धड़ाधड़ नीचे भागीं....
इधर छत पर गौरव अभिषेक और वो दो लफांटुस बचे हुऐ थे...वे दोनो झट छत से कूद दिवाल के उस पार हो लिऐ !!
बचे गौरव और अभिषेक....इन दोनो ने भी तय किया की अखबार में आने से अच्छा है की अस्पताल पहुॅचा जाऐ इतना तय कर ये दोनो भी कूदे और दिवाल फांद उस पार हो लिऐ...!!
3km सीधा भागने के बाद दोनो मुड़कर देखा तो छत पर लाईटें जल रही थी...
दोनो जैसे तैसे हास्टल पहुॅचे तब तक अभिषेक वाली का फोन आ गया !
अभिषेक " इतना लेट क्यु फोन किया ? कुछ हुआ तो नही किसी ने देखा तो नही"
उधर से आवाज आई "सब ठीक है"....
इधर गौरव बाहर निकल चांद को देखकर सोच रहा था की नंबर तो फेक आऐ है ! उठायी होगी या नही !
कुछ देर गौरव की घंटी बजती है फोन उठाने पर आवाज आता है " पुरे घोड़े कि तरह भागते है कुछ टुटा या सही सलामत पहुॅच लिऐ"
पार्ट -4
सुबह उठ गौरव मुॅह में ब्रश घुसाऐ बाहर लगे अखबार देख रहा था जिसमें एक पेज पर खबर थी " गर्ल्स हास्टल में पानी पिलाने घुसे मजनू...प्रशासन ने की जमकर दैहिक समीक्षा" हालांकी ये खबर दुसरे जगह की थी लेकिन गौरव इसको पढ़कर मन ही मन मुस्कुराता आगे की खबरें पढ़ने लगा....!!
- विशाल "अज्ञात"
जौनपुर उ○ प्र○
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