प्यारी रौताइन : अतुल शुक्ल
BY Anonymous1 Oct 2017 1:48 AM GMT

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Anonymous1 Oct 2017 1:48 AM GMT
आशा है कि तुम अब भी मुझसे उतनी ही नफरत करती होगी , बातचीत के आखिरी रोज जितनी किया करती थी । ये अच्छा है । ये मेरी उपलब्धि है । यदि नफरत का अंश कम महसूस हो रहा हो तो ये मान लो कि तुम मुझसे उतनी शिद्दत से मोहब्बत नही करती होगी , जितना करने का दावा करती थी । मैं तुम्हे आज भी उतनी ही शिद्दत से न याद करने , जबरदस्ती भूल जाने की कोशिश करता हूँ जितना आखिरी वार्तालाप के दिन करने का निश्चय किया था । अतः मैं मानता नही बल्कि विश्वास रखता हूँ कि मैं तुम्हे बेतरह चाहता रहा हूंगा ।
प्यार तो मुझसे बहुतों ने किया , ठीक उसी तरह जिस तरह मैनें बहुतों से किया है (सॉरी), लेकिन जितना मैं तुमसे लड़ा हूँ पूरी जिंदगी में किसी और से उतना नही लड़ सका । तुमने मेरे मानसिक सकून को लगभग पूरी तरह ध्वस्त करके मुझे जमीन पर घुटनों के बल बैठा दिया । मैं अपने सर के बाल नोचकर पूरी नफरत से तुम्हे बद्दुआएं दे चुका हूं , ठीक उस वक्त जिस वक्त मैं बेतरह तुम्हारे इश्क में मुब्तिला हुआ करता था । बड़ी बेचैनी से मैं कबूल करना चाहता हूं कि मैं तुम्हारा वो झगड़ना आजतक सबसे ज्यादा मिस करता हूँ । (ईश्वर रक्षा करें)
हालांकि मैं जानता हूँ कि मुझसे घबराकर या ऊबकर जब तुम अपने रास्ते चली गयी होगी तो तुमने कुछ वक्त तक प्रेम में चोट खाई नागिन , घायल हिरणी , मीना कुमारी टाइप विरहणी का रोल निभाने की भरपूर कोशिश की होगी.... लेकिन जितना कि मैं तुम्हे जानता हूँ , बहुत जल्द ही तुमने सोचा होगा कि 'व्हाट दिस नॉनसेंस?' और शीघ्र ही तुम उबरकर किसी सस्ते टाइप घाघ लेखक या दो कौड़ी की प्रेम कवितायें लिखने वाले चू(तत्व) कवि से 'फंस' गई होगी ।
तुम अपने वर्तमान प्रेमी से कितना भी प्रेम प्रकट करने का दिखावा कर लो लेकिन वास्तविकता ये है कि तुम दोनों एक दूसरे को धोखा दे रहे होंगे । उस घामड़ के पास तुम्हारे बौद्धिक स्तर लायक प्रेम ही नही होगा और तुम उस घामड़ को प्रेम दे नही पाओगी । उसकी वजह शायद तुमको पता न हो , लेकिन मुझे पता है । तुम्हारा सम्पूर्ण प्रेम एक पोटली में बांधकर तुमने मुझे दिया था , वो आजतक तुम वापस नही ले गयी हो । वैसे का वैसा मेरे पास पड़ा हुआ है । इसे वापस भी कर दूं , तो भी तुम उसे किसी ऐरे-गैरे को नही देने वाली ... अपने पास ही रखे रहोगी ।
तुम अब भी लड़ती हो ? जरूर दिखावटी तौर पर कोशिश करती होगी ! शायद कुछ अतिरिक्त प्रयास भी करती होगी पुनः प्रेम को जीने का... लेकिन तुमसे हो न पा रहा होगा । ऐसा करो कि पहले मुझसे नफरत करना कम करो ! सारा एफर्ट मुझ पर ही खर्च करती रहोगी तो तुम्हारे इस नए , कामचलाऊ , दिखावटी प्रेमी के लिये क्या बचेगा ?
लेकिन तुमसे हो न पायेगा । ऐसे ही रहो ।
अंत में तुम्हारा हालचाल पूछना रिवाज बनता है , तो बताना कैसी हो ? स्वस्थ हो न , प्रसन्न हो न ?? होगी ही ! वैसे तुमको अब ब्रेकअप कर लेना चाहिये । कितने दिन एक ही शख्स से बोर होवोगी ? प्यार व्यार की आड़ में टाइमपास कम करो । इसी आशा के साथ पत्र लिखना बन्द कर रहा हूँ ।
--तुम्हारा सताया हुआ एक 'इंसान' (राम रहीम वाला नही)
अतुल शुक्ल
गोरखपुर
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