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भोजपुरी कहानिया

लघु हास्य कथा बबितेश्वर पुराण की महिमा -4

लघु हास्य कथा     बबितेश्वर पुराण की महिमा -4
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बबिता की शादी बीडीओ,हरिहर ठाकुर से हुए दो वर्ष हो चुके थे मगर आलोक पाण्डेय इस सदमे से उबर नहीं पाये थे ।अब आलोक पाण्डेय के जीवन का एक ही लक्ष्य था और वह था बीडीओ को रास्ते से हटाना ।इसके लिए वे अपना पतरा, सत्यनारायण भगवान और त्रिलोकी भगवान तथा शंख बेचकर महाशिवरात्रि के अवसर पर मेहदार मेले से एक रामपूरी चाकू भी खरीद लिए ।अच्छा चाकू की पहचान करने के लिए पाण्डेय जी गोपालगंज से सर्वेश तिवारी श्रीमुख को भी बुलवा लिए थे ।इसी अगस्त माह में अपने जन्मदिन के दिन ही बीडीओ को मारने का प्रोग्राम बनाये ।इस घटना को अंजाम देने के लिए अपने जन्मदिन का बहाना बनाकर ये छत्तीसगढ से कुमार अरविन्द को दिल्ली से Nityanand Shukla को मुंबई से Siddharth Priyadarshi को भी बुलवा लिए थे ।लेकिन जैसे ही शुक्ला जी ने इनसे घर पर बर्थ पार्टी की कोई तैयारी नहीं होने का कारण पूछा तो इन्होने कह दिया कि मेरा जन्मदिन बबिता के ससुराल में मनेगा ।
रात के दस बजे चारों लोग बीडीओ के घर के तरफ चल दिये ।
मगर पाण्डेय जी का तीन फुट का रामपूरी चाकू को शुक्ला जी ने देख लिया और पूछा, -"इ काह हो भैया?

सभी को अपनी चमचमाती रामपूरी चाकू दिखाते हुए कहा,-"एही से केक काटब ।"

जैसे ही पाण्डेय ने चाकू सभी को दिखाया ।
बीडीओ के गाँव के ही निवासी महेश्वर मिश्र ने शोर मचा दिया, -चोटी कटवा, !चोटी कटवा गैंग! "
इतना सुनते ही आलोक पाण्डेय एवं इनके टीम के सदस्य भागने लगे ।मगर कुछ ही दूरी पर इन सभी को ग्रामीणों ने दौड़ाकर पकड़ लिया ।अरविंद, नित्यानंद शुक्ल और सिद्दीर्थ ने आलोक पाण्डेय के द्वारा धोखे से बुलाकर बर्थडे केक को बबिता के घर पर काटने की बात बताई।तीनों तो बच कर निकल गए मगर रात भर आलोक पाण्डेय को पीट-पीटकर आंवले का मुरब्बा बना दिया गया ।और सुबह इनको बाल मुड़ाकर ,मुँह काला कर बिना पोंछ वाले घोड़े पर पूरे गाँव में घुमाया गया ।

नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश )।
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