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भोजपुरी कहानिया

लघु कथा - "फेसबुक फ्रेंड" "हाय! आई एम सुजैन । आई वांट टू डू फ्रेंडशिप वीद यू।"

लघु कथा -    फेसबुक फ्रेंड    हाय! आई एम सुजैन । आई वांट टू डू फ्रेंडशिप वीद यू।
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फेसबुक पर स्मार्ट एक ही धर्म का लड़का,मोईन का तस्वीर और प्रोफाइल में वर्किंग एज इंजिनियर देखकर उसके मैसेंजर बॉक्स में सुजैन ने फ्रेंडशिप के लिए रिक्वेस्ट भेजकर उपरोक्त संदेश भेजा ।उधर से मोईन ने रिस्पांस दिया -
"हैलो! आप कौन?
-"जी, मैं भी इंजीनियरिंग की स्टूडेंट हूँ ।आपकी दोस्त बनना चाहती हूँ ।"
-"ओके जी ।"
सुजैन और मोईन चैटिंग करते हुए कब एक दुसरे को दिल दे बैठे दोनो को पता ही नहीं चला ।दोनों पूरे दिन और पूरी रात स्मार्ट फोन पर, लैपटॉप पर एक दूसरे से चैटिंग करते हुए ही गुजारने लगे ।यह बात सुजैन के घर वालों को पता चल गया ।
सुजैन के माता-पिता सुजैन को मोबाइल, लैपटाप पर जब भी देखते, डांटने लगते।एक दिन सुजैन के पिता ने उसे समझाते हुए कहा -"देखो, बेटी! तुम बहुत ही समझदार लड़की हो ।इस तरह से आँख मूंद कर शोसल मीडिया जैसे आभासी दुनिया के लोगों पर विश्वास नहीं करते ।हम तुम्हारे लिए होनहार लड़का खोज रहे हैं ।"
इतना सुनते ही सुजैन गुस्से से तमातमा गयी -" डैड, प्लीज ।मेरे पर्सनल मामले में आप दखल न दे तो ही ठीक है ।मुझे अपना बुरा -भला पता है ।मैं बहुत सोच-समझकर मोईन से दोस्ती की हूँ ।
वह एक धर्म का है, देखने में स्मार्ट है, प्रोफेशन से इंजिनियर है ।मुझे और अब क्या चाहिए? "
इतना सुनते ही उसके पिता को गुस्सा आ गया, -"तुमको जो अच्छा लगे वही करो। "
आज से घर में तुम्हें कोई नहीं टोकेगा ।कुछ दिन बाद मोईन और सुजैन घर से भाग कर लिये।
इधर सुजैन के परिवार वालों का रो रोकर बुरा हाल हो गया था ।मगर साथ में अपनी बेटी के किये गये कुकृत्य पर क्रोध भी था ।
सुजैन की मां ने अपने पति से कहा, -"बेटी के गुमशुदा होने की रिपोर्ट पुलिस थाना में जाकर करते क्यों नहीं?
-"मुझे उससे कोई मतलब नहीं है ।"

शादी के कुछ दिन बाद सुजैन अपने पति से बोली-'डार्लिंग तुम कब से आफिस जाओगे! '
इस पर मोईन ने कहा, -" आफिस! कैसा आफिस? ??"
-"तुम इंजिनियर हो न! "
आश्चर्य से सुजैन ने मोईन से पूछा।
-"इंजिनियर !! कौन इंजिनियर है? ??
मैं एक प्राईवेट कम्पनी में सिक्यूरिटी गार्ड हूँ ।"
"क्या ?तुम एक सिक्यूरिटी, ,,,,,
मगर तुम्हारे फेसबुक स्टेटस पर तो,,,,! !!
इस बात पर मोईन हंस पड़ा और बोला -"ओओओओ तो ये बात है ।तुमको मुझसे नही मेरी नौकरी से प्यार था । मैडम जी अब भी कुछ नहीं बिगड़ा। अपने घर जा सकती हो ।"
इतना सुनते ही सुजैन के कानों में अपने माता-पिता की सारी बातें गुंजने लगी कि फेसबुक एक आभासी दुनिया है ।
अब सुजैन के पास सिर्फ पछतावे के कुछ नहीं बचा था ।उसने अपने पापा को फोन लगाया, -"हैलो !पापा आप सही थे।"
यहकहकर सुजैन फूट-फूट कर रोने लगी ।
-"कोई बात नही बेटा ।अक्सर बच्चों से गलतियाँ हो जाया करती हैं ।जब जागो तभी सबेरा ।"

नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश )।
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