परनाम डार्लिंग, आई वांट टू मैरी विथ बबिता, विल यु गिभ मी द परमिशन?

आलोक पाण्डेय का मिजाज मस्त है। इतने खुश हैं कि सुबह से चौदह बार खा चुके हैं। पंद्रहवीं बार जब उन्होंने अर्धांगिनी से खाना माँगा, तो पिनकी हुई देवी ने कहा- घर में सिवाय बेलन और झाड़ू के और कुछ खाने लायक नहीं बचा, कहो तो वही दे दूँ?
पर आलोक पाण्डेय को आज ऐसी वक्रोक्तियों से भी कोई भय नहीं, वे जैसे हवा में उड़ रहे हैं। वे इतने खुश हैं, जितने शुशील मोदी नितीश और लालू का गठबंधन टूटने पर नहीं हुए। ख़ुशी के मारे कभी हनी सिंह का गीत बजा कर भरतनाट्यम करने का प्रयास करते हैं, तो कभी भीमसेन जोशी के गाये मालकौंस पर ब्रेक डांस करते हैं। सुबह से शाम हो आई पर उन्होंने अब तक अपने बारहमासी खजुअट को हाथ तक नहीं लगाया, जैसे वे अपनी सारी पीड़ा भूल गए हैं। कभी गाते हैं, कभी नाचते हैं, कभी मुस्कुराते हुए पत्नी का पैर छू कर कहते हैं- परनाम डार्लिंग, आई वांट टू मैरी विथ बबिता, विल यु गिभ मी द परमिशन?