लघु हास्य : बबीतेश्वर पुराण -3
BY Suryakant Pathak30 July 2017 7:42 AM GMT

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Suryakant Pathak30 July 2017 7:42 AM GMT
बबीता के विरह वेदना में तड़पते हुए आलोक पाण्डेय जी का वह दशा हो गया था जैसे नीतीश से धोखा खाने के बाद लालू का हुआ है ।अपने गौशाला मे भैंस पर बैठकर बेचारे पाण्डेय जी बबीता के खून लिखे लभ लेटर को पढ़-पढ कर भोकर-भोकर कर रो रहे थे ।उनके साथ कभी ऐसा भी हो सकता है,कभी सपने मे भी सोचा नहीं होगा कि उनसे बबीता बिछड़कर किसी और की हो जायेगी ।अभी आलोक पाण्डेय जी ग्यारहवां पत्र पढ़ ही रहे थे कि उनकी लूंगी में बंधी हुई फोन की घंटी बजी ।
-" ट्रिंग ट्रिंग, ट्रिंग ट्रिंग।"
पांडेय जी ने अपने कमर में बंधे फोन को हाथ में लिया और रिसीव किया ।
-"हैलो" मद्धिम स्वर में पांडेय जी ऐसे बोल रहे थे जैसे लग रहा था कि डिस्चार्ज हो रहे बैट्री पर कोई डीजे की आवाज हो ।
-"हैलो, आलोक जी ।
उधर से बबीता की आवाज सुनकर पांडेय जी खुशी से उछल गये और यह भूल गये कि वे भैंस पर बैठे हैं ।अनबैलेंस होकर जमीन पर गिरने का चोट भी बबीता के आवाज की खुशी के आगे कम पड़ गया।
-" मैं आपसे मिलना चाहती हूं! दो घंटे के अंदर मेरे घर आ जाइये।"
इतना सुनते ही फटाफट पाण्डेय जी घर जाकर तैयार होने लगे । बबीता जी से मिलने के उतावलेपन में वे डव शैम्पू के जगह बर्तन धोने वाला वीम बार लिक्विड ही हाथ मे लेकर सर पर रगड़ने लगे ।मात्र एक घंटे में ही तैयार होकर वे बबीता जी के घर के दरवाजे पर थे ।डोरबेल बजाते ही बबीता जी ने दरवाजा खोला।
वर्षों बाद दोनों प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को देखकर भाव विह्वल हो गये ।जब दोनों सामान्य हुए तो बबीता जी ने पांडेय जी का हाथ पकड़कर घर के अंदर खींचते हुए कहा ,-" आप तो मुझे भूल ही गये थे! मेरे शादी के बाद एक मिसकाल भी नहीं किये ।"
इतना सुनते ही आलोक जी के आँखो में आँसू आ गया । अपनी भावनाओं को समेटते हुए उन्होने बबीता जी को देखते हुए कहा,-"अब फोन करने से क्या फायदा ।अब तुम दुसरे की अमानत हो। सुना है तुम्हारा पति बी डी ओ है!"
यह सुनकर बबीता जी रोने लगीं और बोलीं नहीं नहीं उसका नाम ही बी डी ओ है ,"बरमेश्वर दास ओसवाल"।
-"क्या? ??????"
इतना सुनते ही पाण्डेय जी का मुँह भाखड़ा नांगल बाँध के गेट की तरह खुला का खुला रह गया ।
किसी तरह हिम्मत बटोर कर उन्होने बबीता जी से पूछा, -"वो काम क्या करते हैं?"
बबीता जी सर झुकाकर धीरे से बोली ,"मार्केट में पीढ़ा पर बैठकर बाल-दाढ़ी बनाते हैं ।"
नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश )।
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