Janta Ki Awaz
भोजपुरी कहानिया

लघु हास्य लेख - बबितेश्वर पुराण की महिमा (पार्ट -2)

लघु हास्य लेख -    बबितेश्वर पुराण की महिमा   (पार्ट -2)
X
वैसे तो उत्तर प्रदेश प्रांत अवस्थित बलिया जनपद का नाम बहुत से कारणों से प्रसिद्ध है ।मगर यह जनपद सबसे ज्यादा तब चर्चा में आया जब आलोक पाण्डेय जी का प्रेम बबीता जी से हुआ ।न केवल भारत का बल्कि पूरे विश्व में इस प्रेम प्रसंग की चर्चा बहुत जोरों पर होने लगी । अमेरिका में प्रकाशित फोर्ब्स पत्रिका में इस प्रेमी युगल की प्रेम कहानी को सातवाँ स्थान मिला था । पाण्डेय जी इस सत्य को नहीं पचा पा रहे थे कि उनकी प्रियतमा अब पेशे से बी डी ओ,हरिहर ठाकुर की जीवनसंगिनी बन चुकी हैं।बबीता जी से बिछड़ने का गम पाण्डेय जी सह नहीं पाये और परिणामस्वरूप उन्हें बहुत बार आगरा(मेंटल हास्पीटल ) जाना पड़ा था । पाण्डेय जी कभी सोचे भी नहीं होंगे कि जिस बबीता जी के साथ वो कभी प्रेम का प्रतीक ताजमहल घूमेंगे उनसे बिछडने के बाद भी उसी शहर का चक्कर लगाना पडेगा ।
सोते-जागते,उठते-बैठते सिर्फ उनके जुबान पर बबीता नाम ही रहता था ।
भृगु नगरी, बलिया में ददरी मेला लगा था। आलोक पाण्डेय जी मुँह में लॉलीपॉप लेकर कटघोडवा पर गोल-गोल घूम ही रहे थे कि अचानक उनकी नजर एक शादीशुदा जोड़े पर पड़ी ।और उनके मुंह से लॉलीपॉप नीचे गिर गया।-"अरे! इ त हामार दिलवा के धड़कन, बबीतवा है! "यहकर कटघोडवा से कूदकर ये जाकर उस महिला का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचने लगे ।
पाण्डेय जी सही थे ये बबीता जी ही थी जो अपने पति बी डी ओ के साथ ददरी मेला घुमने आयीं थीं ।
-"हट! हट!हट्ट! हाथवा छोड़! दूर! दूर! " कहकर बबीता जी ने पाण्डेय जी के मजबूती से पकड़े हुए पंजे से अपना कोमल हाथ छुड़ाया और सहमते हुए अपने पति बी डी ओ से चिपक गयीं ।
-"इ कवन ह! "बबीता के पति ने आश्चर्य से पूछा ।
-"हम नइखी जानत! "बबीता जी अनजान बनते हुए बोली ।
बी डी ओ ने पाण्डेय जी को डांटते हुए कहा -" ओए मिस्टर ! यह मेरी पत्नी है । आपको कोई गलतफहमी हुई होगी ।"
-"ना साहेब! इहे हामार परान हमार जान हई! पीलीज इसे हमारा लिए छोड़ दीजिए!" दोनो हाथ जोड़कर आलोक पाण्डेय बी डी ओ के सामने गिडगिडाये ।
-"भागते हो कि नहीं! कि पुलीस को बुलाएं! " जब पाण्डेय जी नहीं माने तो बी डी ओ ने धमकी देते हुए कहा । इतना सुनते ही आलोक पाण्डेय तुरंत धोती कुर्ता खोलकर लंगोट पर आ गए और जंघा ठोकते हुए बी डी ओ को ललकारे -"तो हो जावे कुश्ती ! जे जीता बबीतवा ओकर हो जावेगी !"
कुश्ती चैम्पियन बी डी ओ भी पाण्डेय जी से दो दो हाथ करने को तैयार हो गया ।पास ही खड़े होकर सारा तमाशा देख रहे सर्वेश तिवारी श्रीमुख रेफरी की भूमिका में आ गए । कुछ ही देर में
बी डी ओ और पाण्डेय जी पाटका पटकी प्रारंभ कर दिये । बी डी ओ ने धोबिया पाट दाव का प्रयोग करके आलोक पाण्डेय को एक सौ साढ़े अडसठ बार पटका ।और फिर शर्त के मुताबिक बबीता जी बी डी ओ की हुई ।
बबीता को जीत कर बी डी ओ गाजे बाजे के साथ चल दिये ।इधर असंख्य पटखनी खाने के बाद आलोक पाण्डेय धीरे-धीरे ऐसे चल रहे थे मानो लंगोट में पीली किरांती कर दिये हों।

नीरज मिश्रा
बलिया (उत्तर प्रदेश ) ।
Next Story
Share it