लघु कहानी - (सत्ता का रंग)
BY Suryakant Pathak11 July 2017 1:46 PM GMT

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Suryakant Pathak11 July 2017 1:46 PM GMT
राणा सुमेर सिंह अपने संसदीय क्षेत्र,नसीर पुर से प्रथम बार चुनाव लड़ रहे थे ।लोगों में अति हर्ष व्याप्त था क्योंकि वे उनसे बहुत सारे चुनावी वादे कर रहे थे।उन वादों में दो अति महत्वपूर्ण थे -
1- एक फैक्ट्री की स्थापना ताकि बेरोजगार युवक युवतियों को नौकरी मिले ।
2-दो कालेज की स्थापना जिसमें इंजिनियरिंग और मेडिकल जैसे प्रोफेशनल कोर्स की सुविधा हो ।
राणा सुमेर सिंह एक सम्मानित राज परिवार से थे एवं स्वतंत्रता आंदोलन में उनके दादा जी, स्वतंत्रता सेनानी राणा रणजीत सिंह का विशेष योगदान था । राजनीति में उन्होने अभी अपना पहला कदम रखा था एवं डी जे पी पार्टी से टिकट भी मिल गया था । चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी,चंदेरी शर्मा को लगभग दो लाख वोट से हराया ।केंद्र में डी जे पी की सरकार बनी एवं वे केंद्रीय मंत्री बनें।लेकिन मंत्री बनने के बाद अपने क्षेत्र का दौरा लम्बे समय तक नहीं किये । वहाँ के युवाओं ने मंत्री जी से मिलने का एवं उनको उनके द्वारा किए गये वादों को याद दिलाने का कार्यक्रम बनाया ।दिल्ली पहुंच कर जब वे सभी मंत्री जी के कार्यालय पहुँचे एवं उनसे मिलने के लिए उनके सांसद प्रतिनिधि,धर्मेन्द्र दास से को बोले तो
सांसद प्रतिनिधि ने कहा ,-"अभी मंत्री जी व्यस्त हैं । वो आपसे नही मिल सकते ।अपनी समस्या से मुझे अवगत कराइये ।जब वो खाली होंगे मैं तब उनको बता दूँगा ।"
सब ने एक साँस में चुनाव से पहले मंत्री जी के द्वारा जनता से किये वादे याद दिलाये ।जब मंत्री जी को फुर्सत मिला तब धर्मेन्द्र दास ने उन सभी युवाओं की कही बात को मंत्री जी के समक्ष रखा लेकिन जो उत्तर उसे मिला उससे वह हक्का-बक्का रह गया।
राणा सुमेर सिंह -"यदि हम वहाँ फैक्ट्री और कॉलेज खोल देंगे तो चुनाव प्रचार में हमारे पीछे बैनर और झंडा लेकर नारा बोलने वाले लोग कहां से मिलेंगे ? ऐसी बेवकूफी हम कभी नहीं करने वाले ।जाओ उन सभी को बोल दो कि अगली बार चुनाव जीतेंगे तब अपना वादा पूरा करेंगे ।हमको अपने एरिया के लोगों को बेरोजगार एवं अशिक्षित बना कर रखना है ।इन सभी को मूर्खता का पाठ पढा करके ही हमारे बाप- दादाओं ने राज किया ।समझे! "
धर्मेन्द्र दास -"समझ गया ।"
अपना सर नीचे करके अपने धीरे-धीरे कदमों से ड्राइंग रूम में बैठ अपने संसदीय क्षेत्र के युवाओं से फिर एक दुसरा झूठ बोलने धर्मेंद्र जा रहा था ।
सत्ता मिलते ही गिरगिट के तरह रंग बदलने वाला राणा सुमेर का असली चेहरा देखकर उसका प्रतिनिधि भी खुद हतप्रभ था ।
नीरज मिश्रा
बलिया यू पी ।
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