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भोजपुरी कहानिया

लघु कहानी 'परीक्षा'

लघु कहानी     परीक्षा
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"अपने बेटे राघव को दसवीं कक्षा की परीक्षा में इन्टरनेट पर फेल देखकर गुस्साए रघुपति ने जोर से उसे डाँटते हुए कहा -"नकारा,फेलियर ,।
समाज में मेरा नाक कटवा दिया ।अब मैं किसी को क्या जवाब दूँगा ?पेट काट- काट कर तुम्हारी फीस जमा किया था मैंने ।हर विषय का ट्यूशन लगवा था ।स्कूल आने -जाने मे असुविधा न हो इसलिए बाईक भी खरीद दिया था । गाँव की पुश्तैनी जमीन छोड़कर तुम्हें पढाने के लिए शहर में किराए का मकान लिया था ।सब मिट्टी में मिल गया। "
बेटे के एकेडमिक परीक्षा फल पर घोर निराशा मे डूबे रघुपति उत्तेजना में न जाने क्या-क्या बोल रहे थे ये उन्हें भी नहीं पता था ।
राघव उन्हें कैसे बता पाता कि मैथ्स का पेपर के दिन राघव जैसे ही कुछ दूर बाईक से गया था, उसने सड़क पर एक महिला और उसके लगभग तीन साल की बेटी को सड़क दुर्घटना के बाद छटपटाते हुए देखा।यह दृश्य देखकर वह रूक गया एवं अपने बाईक पर दोनों को जैसे-तैसे एडजस्ट करके हास्पीटल के इमर्जेंसी वार्ड में भर्ती कराया था । लगभग चार घंटे इंतजार करने के बाद डाक्टर्स ने दोनों, मां -बेटी को खतरे से बाहर होने की रिपोर्ट उसे दे दिये थे ।
कहीं घर पर डांट न पड़ जाए इसलिए उसने इस घटना की जानकारी नही दी ।
भले ही राघव एकडमिक रूप से हार गया था मगर जिंदगी से जंग में उसने दो लोगों जीता दिया था । समाज के नजर में वह फेल था मगर खुद के नजर में पास था ।

नीरज मिश्रा
बलिया ।
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