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"गोरख पाण्डेय छात्रावास पार्ट-2" देवेन्द्रनाथ तिवारी

गोरख पाण्डेय छात्रावास पार्ट-2     देवेन्द्रनाथ तिवारी
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गोरख पांडेय छात्रावास। यह ऐतिहासिक छात्रावास जिला अस्पताल की तर्ज पर बना है। इसके पड़ोस में भव्य बिरसा मुंडा छात्रावास अपनी हरियाली पर गुमान करता शान से खड़ा है। वर्धा में गुटका चबाने और मदिरा पीने पर पूर्णत: पाबंदी है मगर गोरख पांडेय के हर कोने में गुटका-खर्रा की निशानी दिखती है। स्वच्छ भारत अभियान वाले इस देश में शोधार्थियों के जूठे बरतन हर ब्लॉक में महीनों पड़े रहते हैं। कहने को तो यहाँ के शोधार्थी 'मोदी से लेकर ट्रंप तक' को सीख देते रहते हैं लेकिन गांधी की इस पवित्र भूमि वर्धा में स्वच्छता की सीख खुद नहीं सीख पाये हैं। जीपीएच में अगर आप 'जॉकी' जैसे ब्रांड के अंत:वस्त्र पहनते हैं तो विशेष सावधानी की जरूरत है। आँख रहते बनियान गायब हो जाती है यहाँ से।

खैर, इसी गोरख पांडेय के 55 नंबर कमरे में रहते बाऊ साहेब। बाऊ साहेब, गुणों के खान हैं। साफ-सफाई पसंद इंसान बाऊ साहेब, कमरे में पोंछा मारते-मारते एकदम चिक्कन कर दिये हैं। खाना बनाने, विशेषत: पियाज छिलने और बात छानने में बाऊ साहेब को विशेषज्ञता हासिल हैं। जबसे बाऊ साहेब की बलिया-वाली भौजी मंत्री बनी हैं, इनके अंदर का नेता जाग गया है। जिंस-कुर्ता और काला चश्मा लगा बाऊ साहेब ललित की चाय दुकान पर राजनीति 'छांटते' अक्सर बरामद हो जाते हैं।

बाऊ साहेब मूलत: समाजशास्त्री हैं लेकिन इंटर-डिसिप्लीनरी के चक्कर में डायस्पोरा के विशेषज्ञ बनने की कगार पर पहुंच गए हैं। फूको, रूसो, देरिदा, कांट व सात्र को बाऊ साहेब घोर कर पी गए हैं, इसलिए वे बात-बे-बात किसी भी घटना का समाजशास्त्रीय विश्लेषण-विवेचन करने लगते हैं। फेसबुक पर अपने सिंगल रिलेशनशीप स्टेटस को 'इन ए रिलेशनशीप' में बदलने के लिए वे बीते तीन साल से प्रयासरत हैं लेकिन सफलता नहीं मिली है।

सच्चे प्यार की तलाश में कभी-कभी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा निकल जाता है, और वो नहीं मिलता है। उम्र बचपन का साथ छोड़कर यौवन का हाथ पकड़ने को बेताब होती है तब मनचाहे प्यार की तलाश सब करते हैं बाऊ साहेब भी आज तक एक अदद प्यार की तलाश में हैं।

लेकिन बाऊ साहेब की जिंदगी में शुकुल और तिवारी रूपी दो राहु-केतु का साया लगातार बना रहा है। जिसकी वजह से उन्हें लगातार नाकामी हासिल हुई है। फिलहाल केतु की महादशा छँटी है, वो कैंपस से दूर हैं लेकिन आज भी बाऊ साहेब की प्रेम डगरिया में राहु कुंडली मार कर बैठा है।

इस स्थिति के समाजशास्त्रीय विवेचन के बाद वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि किसी कैंपस में रिलेशनशीप स्टेटस चेंज करने के लिए, बाइक का होना अनिवार्य तत्त्व है। सो अबकि बार वे यूपी 60 नंबर की बाइक इस यकीन के साथ के लेकर आये हैं कि सावन-भादो के महीने गुलजार वर्धा में इस बार उनका रिलेशनशीप स्टेटस जरूर बदेलगा।

#जीपीएचनामा


देवेन्द्रनाथ तिवारी
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