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भोजपुरी कहानिया

"जेकर काम, ओही के भावे, दूजा करे त लंका ढावे"

जेकर काम, ओही के भावे, दूजा करे त लंका ढावे
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"बाबा एकर मतलब का होला?" गुड्डूआ फतींगन बाबा से पूछलस. शाम के लईका कुल बाबा के घेरले रहल सन.
"बाबू हम तहके एकर अर्थ समझावे से पाहिले एगो किस्सा सुनावतानी. फिर एकर अर्थ भी बताएब" बाबा कहनी. सब लईका गिल हो गईल सन. ओकनी खातिर एकरा ले नीमन बा का हो सकत रहे.
"एगो राजा के मंत्री रहले. राजा उनके बहुत मानस और उनका सूझ बूझ, बुद्धिमानी के सब केहू तारीफ बडाई करे. मंत्री के एगो छोट भाई रहले. संयोग से उनका लगे कवनो काम धंधा ना रहे.एक त बेकारी और और ऊपर से भाई के अतना ठाठ बाट. एके लेके उ हमेशा क्रुद्ध रहस और हमेशा अपना भाई से झगड़ा करस. अपना माई बाबूजी से कहस की हम काहे मंत्री नईखी बन सकत. उ लोग समझावे पर उ ना मानस. रोज के झगडा से तंग आके एक दिन मंत्री जी कहले की ठीक बा. हम आज से घरे रहत बानी और तूही, मंत्री के काम कर. उ एगो पत्र राजा के लिखके उनका साथे भेज देहले की उनकर तबियत ख़राब बा और उनका भाई के मंत्री रख लिहल जास. ख़ुशी खुसी उनकर छोट भाई पत्र लेके गईले और राजा के उ पत्र दे देहले. राजा के पढके आश्चर्य भईल पर इ सोच के कि मंत्री के लगे जरूर कवनो कारण होई तबे उ फैसला लेले होई. उनकर बात मान लेहनी. पर मंत्री के पद अईसन भी त नानू होला के केहू के दिया जाऊ. ऐ वजह से तनी ओकर परीक्षा लिहल ठीक रही. इहे सोच के उ पूछ्ले की तू रास्ता में का देखल ह ?
"हुजुर हम हेतना बड़ा खरहा देखनी ह. " मंत्री के भाई अपन दाया हाथ उठा के कहलस. राजा और बाकी दरबार के लोग के घोर अचम्भा. भाई अतना बड कवन खरहा होला.
"ओकरा आगे का देखल ह?" राजा अगिला सवाल पूछले.
हुजुर एगो हिरन खड़ा रहल ह और एगो शिकारी ओकरा दाया पैर में गोली मरल सिह त दाया खुर के साथे ओकर दाया कान भी उड़ गईल ह"
राजा और पूरा दरबार परेशान की भाई अईसन कवन शिकारी और गोली होई जवन की एके साथे, खुर और कान दुनु उड़ा दी. रजा साहब के पता चल गईल की इ झूठ बोलता और इ कवनो काम के नईखे. उ तुरंते सैनिक कुल के बोलवा के काल कोठरी में डलवा देहले.
एने मंत्री और बाकी घर के लोग इ सोच के खुश रहे की भाई मंत्री गईल होई. पर जब कुछ दिन भईल के बाद भी ओकर कुछ खोज खबर ना आईल त घर के लोग परेशां भईल. घर वाला लोग के दबाव में मंत्री वपास राज दरबार पहुचले भाई के हाल चाल पूछे.
राजा पहिले त उनके डटले की काहे अपना मुर्ख भाई के भेजल ह और फिर बतवले की का भईल रहे.
मंत्री के बड़ा दुःख भईल भाई के हाल जानके पर अब ओके बाहर त निकाले के रहे. फिर कुछ देर बाद उ कहले कि राजा साहब उ दुनु बात सही कहले बा.
राजा की फिर आश्चर्य. इ कईसे सही हो सकेला.
"भला अतना बड़ा खरहा होला ?" उ पूछले.
"हुजुर उ बात एकदम सही कहले रहे बस ओकर गलती इ रहे की दाया हाथ के निचे उ बाया हाथ ना लगव्लस. जवना के वजह से की जवना खरहा के उचाई एक फीट होखे के चाही उ 5 फीट के हो गईल और रउवा ओकर बात गलत लागल. शिकारी वाला बात भी ओकर एकदम सही रहे. दरअसल जब उ हिरन के गोली मरलस त ओ समय हिरन आपन कान खुर से खुज्लावास रहे. ऐ वजह से उ गोली खुर और कान दुनु में छेद क देहलस."
"ओ इ बात" राजा उनका बात पर संतुष्ट होक कहले "फिर एके पूरा बात बतावे के चाही नु. तू एके वापस गावे भेज द. अईसन आधा अधूरा बात करेवाला आदमी, काम कईसे पूरा करी. आदमी के अपना योग्यता के अनुसार ही काम करे के चाही, जेकर काम, ओही के भावे, दूजा करे त लंका ढावे."
मंत्री के भाई के छोड़ दिहल गईल और ओके इ बात बुझा गईल हर आदमी के काम ओकरा योग्यता अनुसार होला और अगर दुसर केहू करे त ओकर परिणाम ख़राब निकलेला."
"अब तह लोग बात के मतलब समझ गईल लोग या.."
"अब हमनी के समझ गईनी जा बाबा एकर पूरा मतलब" सब लईका एक साथे कहल सन और अपना अपना घरे चल दिहल सन


धनंजय तिवारी
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