Janta Ki Awaz
भोजपुरी कहानिया

" भदयवा आम.".............धनंजय तिवारी

 भदयवा आम..............धनंजय तिवारी
X
वैसे से त हमरा गाव में हर तरह के आम के फेड रहल सन पर दुगो भदयवा आम के पेड़ एकदम अलग और विशेष रहल सन. अलग ए वजह से की गाव के बारी में ना होके शिवजी के मंदिर के अहाता में रहल सन और विशेष ए वजह से की जब गाव जवार के सारा आम के फेड निझर जा सन त भादो में फेड पे फर के सबके मुह में पानी लियाव सन और शान से फेड में लटक सन. पूरा गाव केहू के हिम्मत ना रहे की गलती से भी ढेला चला देऊ. मंदिर त गाव के ही सम्पति ही रहे पर मंदिर के पुजारी, संचालक और व्यवस्थापक पलक दास जेकरा के सब केहू साधू बाबा के नाम से पुकारे, उनकर बड लोगन पर प्रभाव और बच्चन पर खौफ ही अइसन रहे. साधू बाबा कथा ना कहस, ना उ तंत्र मंत्र के ही ज्ञाता रहले. बस सबेरे नहा धोके मंदिर में रामचरित मानस के चौपाई पढस. पर मंदिर के रख रखाव बढ़िया कईला के वजह से तथा आपन पूरा जिंदगी मंदिर के प्रति ही समर्पित कईला के वजह गाव के लोगन पर उनकर विशेष प्रभाव रहे. उ ए मंदिर में जब मात्र आठ बरिस के रहले त अपना घर से भाग के आईल रहले और ओकरा बाद से आपन पूरा जिंदगी मंदिर खातिर समर्पित क देले रहले. उनकर गाव हमरा गाव से छः कोस दूर रहे. कुछ साल बाद जब उनका घर के लोग के पता चलल त उनके ले जाए के बहुत परयास कईल लोग उ पर ना गयिले ना ही शादी कईले.
गाव के लोगन के नजर में साधू बाबा के गाव खातिर इ त्याग रहे और एही वजह से उनकर स्थान गाव में सबसे उचा रहे. साधू बाबा भी गाव के लोग के खूब ख्याल रखस और हर दुःख सुख में शामिल रहस. मंदिर के अहाता में आम के अलावा कटहल के भी चार गो पेड़ रहल सन जवना के पकला पर उ पूरा गाव में बटवावस. भदयवा आम भी जब पाक जाऊ त तूरवा के अपना गजेडी चेला पनसा से चार चार गो आम सारा घर में बटवावस जेके गाव के लोग भगवान के प्रसाद समझ के ग्रहण करे. भदयवा आम के पेड़ जुड़वाँ भईला के अलावा आकार में भी बहुत विशाल रहल सन और पूरा गाव में बटला के बाद चार पाच टायर आम बच जाऊ जवन की फिर लाद के बाजार में बेचाउ. वोइसे मिलल पईसा से साधू बाबा यात मंदिर के विकास करस या फिर उ भजन कीर्तन में खर्च होखे.
गाव के बड लोग से जहा साधू बाबा के एतना अनुराग रहे, बच्चन से उनका भयंकर रूप से विरक्ति रहे. बच्चन के देखते उनके त्योरी चढ़ जाऊ और उनका लागे की इ सब उनकर संपत्ति लूट लिह सन. खासकर जब भदयवा आम फर जाऊ तब त उ मंदिर से हिलस तक ना जबले की आम गाव में बटा जाऊ और बाजार में चल जाऊ. उ दू महिना चाहे पत्थर पड़े या पाला उ मंदिर छोड़ के कही ना जास. गाव के बच्चा कुल भी साधू बाबा के व्यवहार से वाकिफ रहल सन और उनसे दूर ही रह सन. सामने आवत अगर उ लउक जास त रास्ता बदल द सन नात का पता साधू बाबा का सोच लिहे. एक बार उ कही से आवत रहले और उनका सामने भोलवा पड़ गईल. संयोगवश ओके खोखी आईल और उ खोखे के गलती का देहलस. पर साधू बाबा के लागल की उ उनका के चिढ़ावे खातिर खोखल सिह. फिर का पूरा गाव के सामने भोलवा के बाबूजी से भोलवा के अइसन पिटववले की ओकरा माई से ना सहायिल और उ उनका खिलाफ विद्रोह क देहलस. निस्तानी आदमी के औलाद के मोह का समझ में आई, इ आरोप उ लगवलस. हमनी के हमेशा सोची जा की साधू बाबा गाव के बच्चन से एतना काहे चिढ़े ले. वोइदीन पता चलल की निस्तानी (जेकरा औलाद ना होला) आदमी के बच्चन से बैर होला. खैर वोइदीन के बाद भोलवा के साथे पूरा गाव के बच्चा कुल प्रण लेहल सन की साधू बाबा से एकर बदला जरूर लियाई.
मंदिर के ठीक पीछे फील्ड रहे जहा की हमनी का फूटबाल खेली जा. गाव के बड लोग के त भदयवा आम के कवनो लालच ना होखे पर हमनी के अपना जीभ के रोकल असंभव होखे. बाल मन चंचल और लालची होला. आम के देख के मुह से लार चुवे लागे. हमनी के सामने प्रकृति के एतना नायाब चीज रहे पर ओके हमनी के छुवल त दूर, देखे के भी इजाजत ना रहे. चौबीस घंटा साधू बाबा के आँख हमनी पर ही रहे की हमनी के कवनो गलती करी जा और उ हमनी के घरे ले जाके' कुहवावस. गाव में चाहे केहु के भी आम के फेड होखे हमनी के ना डेराई जा और जब मन करे आम तूर ली जा. कभी केहू ओरहन देबे कभी ना, एकरा से ज्यादा कुछु ना होखे. पर गाव के बारी पर लागू होखेवाला सामान्य नियम साधू बाबा के आम पर ना लागू होखे. उनका भदयवा आम पर त गलती से भी आँख उठवला के मतलब की घर के मार से दयिब भी ना बचयिते. आम हर साल फरे और हमनी के मायूस होखी जा. सबसे ज्यादा खीस त ए बात के परे की गाव के संपत्ति भईला के वजह से ओ आमन पर हमनी के स्वाभाविक रूप से अधिकार रहे पर एगो विदेशी के वजह से हमनी के अपना अधिकार से वंचित रहनीजा. हमनी के साधू बाबा के विदेशी कही जा. हर साल आम चोरावे के योजना बने और ओके मूर्तरूप ना दिया पावे पर ए साल भोलवा के पिटाई के बाद बदला लिहल पक्का हो गईल चाहे ओकरा खातिर कवनो शहादत काहे ना देबे के पड़े.
पर समस्या इ रहे की उनसे बदला कईसे लियावु. गाव के सब लईका एही चिंता में फील्ड में बैठल रहल सन.
"काहे ना भदयवा आम तूरा जाऊ." मुन्नवा राय देहलस.
इ त एकदम बढ़िया सलाह रहे. अगर केहू से ओकर सबसे प्रिय चीज ले लिहल जाऊ त फिर ओकरा खातिर और बढ़ के दुःख का होई. साधू बाबा खातिर सबसे प्रिय भदयवा आम ही रहे. ए साल त सिर्फ एक फेड के फरले और मुश्किल से तीन बोरी आम रहला के वजह से उ और प्रिय हो गईल रहे.
"आम तूरल गाई के गजरा ह का. साधू के आम तूरल मतलब हड्डी गुड्डी तुडवावल बा." निकेश्वा कहलस.
"इ बिलकुल संभवे नइखे. हम ना शामिल होखेब एइमे" केदारवा हथियार डाल देहलस.
आम तुरला के बात से बच्चन के चेहरा पर आईल क्षडिक ख़ुशी गायब हो गईल. अधिकतर लोग केदरवा के हथियार डाल देहला से हतोत्साहित रहे. उ गाव के बच्चन के लीडर रहे. उ हिम्मत के साथे शरीर से भी मजबूत रहे. पर हम निराश न भईनी हमरा मालूम रहे की साधू बाबा से बदला लेबे में ताकत और हिम्मत के ना बल्कि बुद्धि के जरुरत बा. कुछ देर सोचला के बाद हम योजना के निष्कर्ष पर पहुच गईनी.
"साधू बाबा के आम जरूर तुराई." हम दृढ़ता से कहनी.
गाव के लड़िकन में एक बार वापस आशा के किरण जाग गईल. केदरवा के लगे चाहे केतना भी ताकत और साहस रहे पर सब केहू हमरा बुद्धि के कायल रहे. जब सब लड़का कुल के हिम्मत और ताकत फेल आ जाऊ त हमार बुद्धि काम करे और एकरा बदौलत हमनी के केतना लडाई जीतले रहनी जा.
"पर कवनिगा?" केदारवा अविश्वास से कहलस.
हम गाव के लड़िकन के आपन योजना समझवनी. ओकनी के आँख में चमक आ गईल.
"लेकिन?"
"ते आपन लेकिन छोड़ और चुपचाप ओतना कर जेतना कहल जाऊ." हम केदारवा के बात बिच में ही काट के खिसिया के कहनी. उ आगे कुछ ना कहलस और योजना पास हो गईल.
साधू बाबा चाहे बैराग्य लेके देस दुनिया के मोह माया से मुक्त हो गयील होखस पर अपना माई के प्यार ना भुला पावल रहले. माई के कवनो अनिष्ट के शंका मात्र से उनकर पूरा शरीर पाला हो जाऊ. जब भी उनका माई के संदेशा मिले नंगे पाँव दौड़ के जास. मंदिर छोड़े के एकमात्र तरीका उनकर माई के संदेशा हो सकत रहे. अगिला दिने ठीक चार बजे उनका माई के संदेशा मिल गईल. मुन्नवा एगो बटोही के हमनी के लिखल चिठ्ठी पकड़ा देहलस और कहलस की तनी अर्जेंट बा एके साधू बाबा के लगे पहुचावल. उ अनजान गाव के आदमी ख़ुशी ख़ुशी संदेशा ले जाके साधू बाबा के देहलस. अनजान आदमी से संदेशा देहवावला के वजह इ रहे की उ चिठ्ठी देके चल जाईत और फिर चिठ्ठी के दिहल एके पता ना चल पायित. अगर पता भी चलित त उ गाव के लड़का कुल के ना चिनहत रहे ए वजह से धरायिला के डर ना रहे. चिठ्ठी भी हम स्कूल से दूसरा गाव के लडिका से लिखवा के लियायिल रहनी. अगर भविष्य के कही साधू बाबा चिठ्ठी के लिखावट के मेल हमनी से करयिते तबो ना मिलित.
संदेशा में उनके माई के बेमार भईला के खबर रहे. माई के बेमारी के खबर सुनते साधू बाबा बदहवास हो गईले और सारा मंदिर के मोह माया गायब हो गईल. अबे पन्द्रह दिन पहिले ही उनके माई आके उनसे मिल के गईल रहली और भला चंगा रहली. पर हर बात के तर्क के कसौटी पे तौले वाला साधू बाबा के होश कहा रहे की कुछ सोचस. माई के दुलार में उ आपन डंडा और काख वाला छोरा लेके मंदिर पनसा के हवाले क के दौड़ पडले. जात जात पनसा के आमन के रखवाली और मंदिर ना छोड़ के हिले के हिदायत देहल ना भुलायिले.
हमनी के टकटकी लगा के उनका मंदिर से बाहर गईला के प्रतीक्षा में रहनी जा. जब गाव के सिवान पार क लेहले त आपन योजना कामयाब होत महसूस भईल. अबे हमनी के सामने एगो और बाधा पनसा रहे. हालाँकि ओके निपटावाल कवनो बडहन काम ना रहे. ओकर उपाय हमनी के पहिले ही सेट क देले रहनी जा. पप्पुआ जवन की हमनी के हमउमर और पनसा के संघतिया रहे ओके दू रुपया गाजा पिए खातिर दिया गईल रहे. पप्पुआ के खेल में कवनो रूचि ना रहे. बस ओकरा शौक रहे त सुरती और गाजा के. मंदिर के बाहर से ही पप्पुआ ओके आवाज देहलस और गाजा के लालच दिहलस. थोडा हीलाहवाली के बाद उ आम के रक्षा के गुरु के निर्देश के ताक पे रख के पप्पुआ के साथे बजारे निकल गईल. अब त मैदान एकदम साफ़ रहे. न केहू के डर ना केहू के चिंता. आज हमनी के आपन संपत्ति हमनी के हाथ रहे. भोलवा दौड़ के पेड़ पर चढ़ गईल. बोरा हमनी के पहले से ही ले गईल रहनी जा. चुकी आम कम रहे और एकदम पुलई पर रहे ए वजह से गिरला के डर रहे. पर भोलवा के कवनो डर ना रहे. आज त ओकरा अपना अपमान के बदला के आगे कुछ ना सूझत रहे. ठीक हनुमान जी खान उ पूरा लंका दहन क देहलस और अधपकल सारा आम टूट के जमीन पे गिर पडल.
मंदिर के छत पर हमनी के निकेश्वा के रखले रहनी जा की कही केहू आवे त ओकर खबर खातिर.
साधू बाबा मुश्किल से आधा कोस गईल होईहे की उनका गाव के अवधेश मिल गईले और बात सामने आ गईल. उनकर माई त एकदम भला चंगा रहली. अब उनका कुछ कुछ बात समझ में आवे लागल. उनका के सन्देश मंदिर से हटावे के खातिर दिहल रहे. मतलब केहू के नजर आम पर रहे और ओके तुड़े खातिर इ सारा खेला भईल रहे. उ अवधेश के साइकिल पर बैठ के मंदिर के तरफ भगले. हमनी के अबेले पूरा आम तिनगो बोरी में कस लेले रहनी जा की निकेश्वा साधू बाबा के आवत देख चिल्लायिल. लड़िकन में भगदड़ मच गईल और सब मंदिर के बाउंड्री से कूद कूद के भगल सन. निकेश्वा भी डर से छत से ही कूद पडल. गनीमत रहे की ओकर हाथ गोड ना टूटल. मंदिर में सिर्फ हम और भोलवा रह गईनी जा. संकट घबरयिला से और गहिरा हो जाला. हम एतना नजदीक पहुच के असफल ना होखे चाहत रहनी. हमनी के अपना मकसद में लगभग कामयाब हो गईल रहनी जा खाली समस्या आम के लुकवावल रहे. हम तेजी से ओके छिपावे के जगह सोचे लगनी की हमार नजर साधू बाबा के खोप पर गईल. इ त सबसे बढ़िया जगह रहे. गाव के लोग का साधू बाबा भी सपना में ना सोच सकत रहले की चोर, चोरी के सामान वोहिजा छिपवले बा. बाद में मौका मिलला पर उ बोरी कबो निकाल जा सकत रहे. हम और भोलवा हाल्दी हाल्दी सब बोरा खोप में घुसा देहनी जा. अबे साधू बाबा मंदिर से लगभग २०० मीटर दूर सड़क पर रहले. वोइजा से मंदिर के रास्ता मुड़े पर चुकी मंदिर और मोड़ के बिच तक कुछ घर रहल सन ए वजह से एने देखल मुश्किल रहे. हमनी के आसानी से फील्ड में पहुच गईनी जा. लडिका कुल हमनी के आवत देख भौचक हो गईल सन तथा हमनी के पकड़ाइल ना देख राहत के सास लेहल सन. केहू के कुछ शक ना होखे, हमनी के आपन फूटबाल खेलल चालू क देहनी जा.
साधू बाबा जैसे ही मंदिर में घुसले, चारो तरफ पल्लव बिखरल देख के जान गईले की उनकर आशंका सच साबित हो गईल रहे. मन के कवनो कोना में फिर भी विश्वास रहे की आम फेड पर होई जवना के तस्दीक करे खातिर उ फेड के देखले जहा की एको आम ना रहे. आम ना देख के उनकर दुःख रोवाई में फूट पडल. उ चिल्ला चिल्ला के रोवे लगले. अइसन क्रुन्दन त कवनो बच्चा अपना सबसे प्रिय खेलवना के टूट गईला पर ना करेल सन, अइसन विलाप त केहू के मौत पर भी ना होला जवन की साधू बाबा करत रहले. उनका आवाज फील्ड तक आवत रहे और ए आवाज से केतना ख़ुशी हमनी के मिळत रहे ओके शब्दन में नइखे लिखल जा सकत. सबसे प्रसन्न भोलवा रहे. हफ्ता ना बीतल की उ आपन बदला ले लेले रहे पर साधू बाबा से बच्चन जइसन व्यवहार के उम्मीद हमनी के ना कईले रहनी जा. हमनी के त खाली उनकर सुखल चेहरा देखे चाहत रहनी जा पर उ त रोके पूरा एके गिल क देले रहले. खैर साधू बाबा के शोक विलाप पूरा गाव में फयिल गईल और पूरा गाव के लोग मंदिर के अहाता में एकत्रित हो गईल. सबके पीछे पीछे हमनी के पहुचनी जा. अन्दर जाए से पहिले राज ना खोले के खातिर हम सबके माई के किरिया खिया देले रहनी.
गाव के मंदिर से आम चोरी हो जाऊ इ त पूरा गाव के प्रतिष्ठा पर कालिख लागे वाला बात रहे. भले आम के पूरा मलिकयी साधू बाबा के लगे रहे पर रहे त उ गाव के संपत्ति. भले साधू बाबा कबो चारगो से ज्यादा आम केहू के घरे ना भेजववले, लोग के आम के देख के मुह के पानी मुह में ही रह गईल रहे पर आज उ सारा आम गाव के लोगन के रहे और ओकनी के चोरी भईला से सब के इज्जत चल गईल रहे.
"साधू बाबा रउवा चुप हो जाई. भोलेनाथ के किरिया, रउवा के एक एक आंसू के बदले हज़ार आंसू ओ चोर के बहावे के पड़ी." गाव के सबसे बड़का लंठ और दबंग गिरिजा भईया गरजले. साधू बाबा के ढाढस मिलल और उ चुप हो गईले.
उनका गरज से गाव के लईका कुल में भय पैदा हो गईल. हम आँख से ही इशारा कईनी की डेरा सन मत, गरजे वाला बादल ना बरसे ला.
"गिरिजा एकदम सही कहतारे," हमरा गाव के दूसरा दबंग और ज्वार के बड़का दलाल उमा कहले " इ पूरा गाव के इज्जत के बात बा. चोर लोग के त दौड़ा दौड़ा के मारेब. साला ज्वार के केतना गाई भईस खुलली सन पर ओके जवार से बाहर ना जाए देहनी और हमरा गाव के आम हेला के लेके चल जाई लोग."
"बाहर कैसे जयिती सन जब तुही ओके खोलवावेल और फिर पैसा लेके खोजेल." सुबश्सवा बुदबुदायिल.
हम ओके आँख देखा के चुप रहे के कहनी.
"काल्ह तक अगर हम आम के खोज के मंदिर में ला लिया दिहनी त हम आपन मोछ मुडवा देब." मोछु काका आपन मूछ के अईठत कहले.
इ तिनु जाना हमरा गाव के बड़का लोग रहे और सबसे ज्यादा ए लोग के परेशानी रहे की ओ लोग के जानकारी के बिना जवार में इ नया चोर कवन पैदा हो गईल.
"हम त कह तानी की आम चोरी के रिपोर्ट थाना में दर्ज करा दिहल जाऊ." हमेशा नियम क़ानून के बात करेवाला पंडी जी आपन राय देहनी.
"हमनी के रहते गाव के मामला थाना में जाई?" गिरिजा कहले "पंडीजी अबे हमनी के जिन्दा बानी जा. तनी दू तिन दिन सबर क ली."
"पुलिस में गईला के मतलब की दुनिया भर के चोथाई और फालतू में पईसा के बर्बादी. जेतना के बाबू ना ओतना के झुनझुना." उमा कहले. पूरा लोगन में सहमती बन गईल और आम चोरन के पकडे के जिम्मा ए तिकड़ी के दिया गईल.
"वैसे रउवा केहू पर शक बा?" चले के समय बाबूजी पूछनी.
साधू बाबा हमनी के तरफ देख के मने मन कहले की हमरा त पूरा शक एकनी पर ही बा पर फिर इ सोच के बिना सबूत के आरोप लगावल ठीक नइखे, कुछु ना कहले.
वोही बेरा से गाव के सब रणबाकुरा लोग आम के खोजे में भीड़ गईल लोग. साधू बाबा भी ए लोग पर ना बैठ के अपना स्तर पर खोजे के प्रण लिहले. उनका शक त हमनी पे पहिले से ही रहे पर जब पनसा बतवलस की ओके बजारे पप्पुआ लिया गईल रहल ह त उनकर छठी इन्द्रिय जागी गईल. अगिला दिन रविवार रहे और हमनी के फूटबाल दस बजे दिन से ही चालू हो जाऊ. सबेरे से उ ओके पीछे पड़ गईले. तमाम तरह के लालच दिहले. एक तरफ जहा साधू बाबा ओकरा पीछे रहले, दूसरी तरफ हमनी के ओकरा प्रति एकदम निस्फिकर रहनी जा. पनसा के लालच में अयिला के बाद भी इ बात दिमाग में ना अयिला जब एगो गजेडी के पटावल जा सकेला त दूसरा के काहे ना. उ प्रलोभन में आ सकत रहे इ बात दिमाग में ही ना आईल. दस बजत बजत, उ सुरती और गाजा के लालच में साधू बाबा के सब बता देहलस. खोप में आम रखला के जगह त ओके मालूम ना रहे पर खोप कवनो एतना बढ़हन भी ना रहे की आम ना खोजा पाऊ. आम के बोरी मिलते ही साधू बाबा के परम आनंद मिल गईल. एतना ख़ुशी त उनका साक्षात् भगवान के दर्शन पर भी ना होईत. सारा जिंदगी गाव के बच्चन से उनकर बैर रहे और आज उनका लगे अइसन मौका रहे की सामूहिक रूप से सबके बोखार छोड़वयिते.
उ पूरा गाव के बोलावा देबे खुदे चल गईले. उनका मन में लेश मात्र के आशंका ना भईल फिर कुछ गड़बड़ हो सकेला.
एने हमनी का अपना जीत के जश्न में फूटबाल खेलत रहनी जा और भादो के महिना भईला के वजह से हलका बूंदाबादी होत रहे.
काल्ह के दू रुपया पनसा के ऊपर हमनी के कर्ज चढ़ा देले रहे. वैसे भी हमनी के ओके अकसर मदद क दी जा. साधू के उलट ओकरा हमनी से सहानुभूति रहे. पप्पुआ के छल से उ और क्रोधित रहे. साधू बाबा से चोरी के राज खोल के पप्पुआ गद्दारी कईल रहे और इ बात पनसा के मंजूर ना रहे. साधू बाबा जैसे ही मंदिर से निकलले उ दौड़ के फील्ड में आईल और एक सास में सारा बात कहलस. बरखा के पानी से गिल भईला के बाद भी मार के भय से सबके शरीर आग में जरे लागल. केदारवा फिर आपन होसियारी देखावल चालू क देहलस और सब लईका हमके कोसे लगल सन. पर हमार ध्यान ओकनी के बात में कहा रहे. अबे भी कुछु ना बिगड़ल रहे. साधू बाबा के पूरा गाव घुमे में कम से कम एक घंटा लागित एतना में आम त हटावल जा सकत रहे. अब त पनसा के भी साथ मिल गईल रहे. हम भोलवा के लेके मंदिर में घुस गईनी. आनन फानन में आम के बोरी निकाल के बगल में चौहान के खोप में डाला गईल.
फील्ड में आके फिर से सब लड़का कुल के समझावानी और खेल चालू हो गईल.
साधू बाबा बारह बजे तक पूरा गाव के नेवता देके अयिले और साढ़े बारह तक पूरा गाव मंदिर के अहाता में इकठ्ठा हो गईल.
"आम मिल गईल?" मोछु काका आश्चर्य और ख़ुशी से कहले. आम चौबीस घंटा के अन्दर मिल गईला से उनकर मोछ बच गईल रहे.
"साधू बाबा रउवा चोर के नाम बताई. आज उनकर मूडी फोर देब." गिरिजा भैया लाठी भजले.
"हमरा त विश्वास ही नइखे होत की एतना जल्दी आम मिल जाई." उमा अविश्वास से कहले. जाहिर रहे आम के मिल गईले उनकर महत्व कम हो गईले रहे और साथ ही कुछ कमीशन खाए के चानस भी चल गईल रहे.
"आम के चोरी राजू और गाव के बाकीहे लईका कईले रहल ह सन." साधू बाबा आँख चमकावत कहले.
"राजू?" बाबूजी अविश्वास से कहनी.
"राजू तहार एतना हिम्मत?" गिरिजा भैया आपन लाठी लेके हमरा तरफ दौडले.
"ख़बरदार गिरिजा !" माई बिच में ही दहडली " अगर तू हमरा लईका के छू भी देहल त अपना भाई कुल के बोलवा के तहरा मुह में करिखा पोत के पूरा गाव में गदहा पर घुमवायिब. ना कवनो गवाह ना कवनो सबूत और हमार लईका चोर."
माई के बात से गिरिजा जहा के तहा रूक गईले. हमरा मामा लोग के दबंगई ज्वार में मशहूर रहे.
"राजू तू सच्ची बताव. आम तहों लोग चोरवले बाड़." बाबूजी पूछनी.
"इ झूठ बात ह. हमनी के आम के बारे में कुछु पता नइखे." हम साफ़ इनकार क देहनी.
"तिवारायीन रउवा सबूत न चाही. रुकी हम देखावतानी.' साधू बाबा कहनी और खोप में घुस गईनी.
पाच मिनट बीत गईल पर साधू बाबा बाहर ना अयिले. आयिते भी कैसे. आम के बोरा के त कुछ पता ही ना रहे. पूरा पसेनिया गईल रहले. कुछ समझ में ना आवत रहे की आम के बोरी कहा गईल. पनसा से अन्दर से ही कई बार पूछले. पर उहो ना मे ही जबाब देहलस. खोप से उ निकलले त सारा आनंद गायब रहे. पूरा गाव के सामने उनकर बात झूठ साबित होत रहे. दूसरी तरह गाव के सारा लड़का और पनसा, हमनी के मुसकुरात रहनी जा.
"आम कहा बा साधू बाबा ?" पंडी जी पूछले.
"आम त एही खोप में रहल. रउवा सभे पप्पू से पूछ ली."
"ए गजेडी के बात के का विश्वास ?" विमला चाची कहली.
फिर साधू बाबा के झोरा में पडल चिठ्ठी के याद आईल. उ चिठ्ठी देखवले. गाव के सारा लड़का कुल के लिखावट से ओकर मिलान भईल पर उ ना मिलल. साधू बाबा के आखिर उम्मीद भी ख़तम हो गईल.
"हम त ओइदीन ही कह देहनी की इ निस्तानी हौवे और बच्चन से जरे ले." भोलवा के माई कहली "गाव के बच्चन कुल के पिटवावे खातिर सारा चाल चलले रहले ह."
पूरा गाव के लोग के बिच साधू बाबा के बुराई चालू हो गईल. जवन गाव उनका के एतना सम्मान देले रहे, उनकर वोइजा एतना बडहान स्थान रहे, आज झूठा साबित भईला पर सारा दिहल मान सम्मान ले लेबे चाहत रहे. अब उनका पक्ष में केहू ना बोलत रहे. केहू के उनका से अइसन आचरण के उम्मीद ना रहे. साधू बाबा के पास शब्द ना रहे पर उनकर आँख से बहत लोर उनका निर्दोष भईला के सबूत देत रहे.
गाव वाला के व्यवहार पे हमरा भी आश्चर्य भईल. हमनी के आम के चोरी खाली साधू बाबा के परेशान करे खातिर और हमनी के आम ना देहला के बदला लेबे खातिर कईले रहनी जा. पर अब त उनकर अपमान होत रहे. एकर त बिलकुल कल्पना ना भईल रहे. साधू बाबा चाहे लाख बच्चन से बैर रखस पर गाव के उ हीरो रहले और सबके दुःख सुख में साथे खड़ा रहल रहले. बचपन से ही उनकर आदर देख के गाव के बच्चा कुल उनका के आपन आदर्श मान सन. उनकर इज्जत कर सन. उनकर अपमान त सपना में भी ना सोचल जा सकत रहे. अब चुप रहल ठीक ना रहे.
"बाबूजी सारा गलती हमार बा." हम आगे बढ़ के कहनी " साधू बाबा सही कहत रहनी ह. आम के चोरी हमनी के कईले रहनिह जा. भोला आम के बोरी लियाव"
बाबूजी के और गाव के लोगन के त विश्वास ही ना भईल. भोलवा आम के तीनू बोरी चौहान के खोप से निकाल लियायिल.
"एतना बडहन झूठ. एतना बडहन चोरी." बाबूजी गिरिजा भैयाके हाथ से लाठी लेके हमरा और दौड़नी.
पर साधू बाबा लाठी बिच में ही पकड़ लेहनी.
"नाहीं भैया." साधू बाबा कहले "दोशी खाली इहे लोग नइखे. जवन कुल भईल बा ओइमे हमार भी दोष बा. हम गाव के त आत्मसात क लेहनी पर गाव के बच्चन से हमेशा दूर ही रहनी. अपना आम के नशा में चूर रहनी. हमके लागत रहल ह की मंदिर में भईला के वजह से इ हमार ह और एके जैसे चाहेब वैसे रखेब. कभी इ ना सोचनी की बाल मन का चाहेला. आपन बचपन भी याद ना कईनी. आम के देख के बच्चन के मुह में पानी आवे पर हम ओकर कभी ध्यान ना देहनी. सही में हम निस्तानी आदमी कभी बच्चन के इच्छा और मन के बात ना जान पवनी."
साधू बाबा के बदलल रूप पर विश्वास ना होखे पर उ वाकई में बदल गईल रहले. एको लड़का ना पिटाईल सन और वोइदीन के बाद मंदिर और आम के पेड़ गाव के बच्चन खातिर खुल गईल. अब भादो में आम के देख के मुह के पानी मुह में ना रखे के पड़े. हमनी के फेड पे चढ़ के मन भर आम खायी जा.
अब ना साधू बाबा ही बाड़े ना उ भदयवा आम के फेड ही पर अब भी गावे गईला पर जब मंदिर जानी त साधू बाबा और भदयवा आम के बात ताजा हो जाला.


धनंजय तिवारी
Next Story
Share it