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आशीष रमेश पाण्डेय - फोटोग्राफी विधा का ध्रुवतारा – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

आशीष रमेश पाण्डेय - फोटोग्राफी विधा का ध्रुवतारा – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव
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पृथ्वी पर जन्म लेने वाले हर बच्चे के अंदर एक ऐसा गुण होता है, जिसे कार्य रूप में परिणित होने पर उसे असीम आनंद और शांति का अनुभव होता है। अगर माता-पिता अपने बच्चे के इस गुण को पहचान लें, और उसी को उसकी आजीविका और संतोष का जरिया बना दें, तो उस बच्चे का पूरा जीवन सुखमय और शांतिमय व्यतीत होता है । पुरातन काल में समाज में यह परंपरा रही । लेकिन धीरे-धीरे इसका इतना ह्रास हो गया कि हर माता-पिता अपने बच्चे की शिक्षा दीक्षा देने के लिए ऐसे प्रोफेशन चुनने लगे। जिससे उसे संतोष मिले या नहीं, उसका जीवन सुखमय और शांतिमय बने या नहीं। वह धनार्जन कैसे करे ? इस प्रवृत्ति के कारण समाज में भोगवादी संस्कृति तो बढ़ी, लेकिन जीवन से सुख और शांति तिरोहित हो गई । लेकिन सभी माँ-बाप अपने पुत्रों के साथ ऐसा करते हों, यह जरूरी नहीं है। समाज में बहुत ऐसे प्रबुद्ध और व्यावहारिक व्यक्ति हैं, जो अपने बच्चे के शौक का ध्यान रखते हुए उसकी शिक्षा दीक्षा का प्रबंध करते हैं। हो सकता है कि अपने मनमाफिक प्रोफेशन मिलने पर वह पैसे कम कमाएं, लेकिन उसके जीवन में सतोष और शांति दोनों पाये जाते हैं। अकूत संपत्ति के मालिकों की अपेक्षा उसका जीवन ज्यादा सुखी प्रतीत होता है। एक ऐसे ही व्यक्ति की आज मैं इस लेख में चर्चा कर रहा हूँ, जिनके माता-पिता ने अपने बेटे आशीष रमेश पांडेय के आंतरिक हुनर को पहचाना और और तदनुरूप उसकी शिक्षा दीक्षा की व्यवस्था की ।





आशीष मूल रूप से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मूल निवासी हैं। जैसा कि मुझे पता चला है कि आशीष में बहुत शरारती थे। बचपन से ही कला के छेत्र में आशीष की रुचि रही है। साथ ही वो मनमोहन या आकर्षित करने वाले दृश्यों को घंटों निहारा करते थे। ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे हर दृश्य को वह अपने चक्षु पटल पर उकेर लेना चाहते हैं। अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद अपने बेटे की रुचि को देखते हुए उनके पिता रमेश चंद्र पांडेय ने अपने बेटे को पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया जहां पर उन्हें ये लगा कि उसकी कला का असली पैमाना वो वहीं नाप सकता है। लेकिन आशीष की रुचि पत्रकारिता के साथ रंगमंच में भी बहुत थी तो वो रंगमंच की तरफ आकर्षित हुए लेकिन आशीष के रंगमंच से उनके पिता पहले खुश नहीं हुए लेकिन अच्छा अभिनय खुद देखने के बाद उन्होंने कहा कि तुम्हे जो ठीक लगे वो करना साथ ही पत्रकारिता की पढ़ाई करते हुए आशीष को उनके पिता ने एक कैमरा दिला दिया और इसके बाद आशीष मानो अपनी आँखों से गुजरने वाले हर दृश्य को अपने कैमरे में समेट लेना चाहते हों । सिर्फ प्रकृतिक दृश्य ही नहीं, विभिन्न आयोजनों, घटनाओं और प्रतिघटनाओं को भी आशीष पांडेय ने अपने कैमरे का विषय वस्तु बना लिया ।





कैमरे के अलावा जब अच्छी क्वालिटी के एंड्रयड फोन आ गए तो आशीष पांडेय अपनी रुचि के विषय फोटोग्राफी के लिए उसका भी इस्तेमाल करने लगे । इस तरह से जो भी फोटो वे खीचते, उसे वे अपने फेसबुक साइट पर पोस्ट करते। धीरे-धीरे उनके फोटोग्राफ़्स पर जब नजर प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्र के महारथियों के साथ इस विषय के मर्मज्ञों की पड़ी, और तमाम लोगों ने उनके सोशल मीडिया साइट से उनके खीचे चित्र चुराना शुरू कर दिया और अपने कार्य में उसका प्रयोग करना शुरू कर दिया । लेकिन डिजिटल चोरी करने वाले के परिचितों को भी यह पता होता है कि यह ठीक से कैमरा तो पकड़ नहीं सकता है, फोटो कहाँ से खीचेगा ।





आशीष पाण्डेय ने अपनी इसी रुचि के अनुसार अपने इसी हुनर को अपनी रोजी-रोटी का जरिया भी बनाया और पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद आशीष ने पत्रकारिता जगत में एक मुक़ाम हासिल करने की ज़िद मान कर उसी में जुट गए। आज तक वे कई प्रसिद्ध और बड़े मीडिया ग्रुपों के साथ काम कर चुके हैं। इसके अलावा सामाजिक और मांगलिक कार्यों की फोटोग्राफी करने के लिए लोग उन्हें बुला कर ले जाते । चाहे प्रकृति हो, या सांस्कृतिक आयोजन हों, या पत्रकारिता हो। फोटोग्राफी करते समय वे अपनी सुध-बुध तक भूल जाते हैं। ऐसे कार्यक्रमों में जब वहाँ बजते संगीत के अनुरूप लोगों के शरीर में स्वत: मूवमेंट शुरू हो जाता है, आशीष पाण्डेय फोटोग्राफी में ऐसे रम जाते, मानो वहाँ कुछ हो ही नहीं रहा हो ।





फोटोग्राफी का कार्य अपने शौक के लिए शुरू करने वाले आशीष रमेश पाण्डेय के जीवन का अब यह एक मिशन बन गया है। प्रदेश में होने वाले विभिन्न आयोजनों में चाहे उन्हें बुलाया जाये या न बुलाया जाए अपने इस पैशन को पूरा करने के लिए अपने किराए भाड़े से वहाँ पहुँच जाते हैं । पिछले साल जब प्रयागराज में कुम्भ मेला लगा। सरकार की ओर से उसका भव्यतम आयोजन किया गया। वहाँ के दृश्यों को अपने कैमरों में समेटने के लिए आशीष पाण्डेय खुद को रोक नहीं पाये, वे प्रयागराज के कुम्भ मेले पहुँच गए और फोटोग्राफी में रह कर कुम्भ मेले को सजीव कर देने वाली कुछ ऐसी तस्वीरे खीची, जिसे उत्तर प्रदेश के संस्कृति और सूचना प्रसारण मंत्रालय ने अपने विभाग से निकलने वाली चित्रात्मक पुस्तकों में किया । दरअसल आशीष कुम्भ में जाने का पूरा क्रेडिट अपने आइडियल पुलिस विभाग के एडिशन sp राहुल श्रीवास्तव को देते हैं। जिन्होंने कई साल आशीष के काम को अपनी नज़र में रखा और जब आशीष को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी काम की उस वक़्त उन्होंने कृष्ण बनकर आशीष की मदद के साथ ही कुम्भ मेला पुलिस की कॉफी टेबल बुक में आशीष की खींची तस्वीरों पर उनका नाम दिया । और शौक के लिए अनवरत किए गए श्रम दान का उन्हें पारितोषिक मिल गया । इसके बाद आशीष रमेश पाण्डेय किसी परिचय के मोहताज नहीं रह गए। उत्तर प्रदेश की कॉफी टेबल बुक में से कई पुस्तकों में आशीष रमेश पांडेय का नाम शामिल है।

इतना ही नहीं, आशीष पाण्डेय की सोच भी अत्यंत उद्दात है। वे हर दृश्य के प्रति अपनी मौलिक सोच रखते हैं और उसकी मौलिक और उद्दात्त चिंतन करने के लिए फोटोग्राफी करते हैं। उन्हें वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी का भी काफी शौक है। वह घंटों जगलों, पहाड़ियों पर पड़े रहते हैं। उन्हें न खुद के भूख की चिंता होती है और न प्यास की । उस दृश्य को वे बार बार तब तक खीचते रहते हैं, जब उन्हें नहीं लगता कि उस फोटोग्राफ़्स में उनकी सोच साकार हो रही है। जब उस स्तर की फोटो वे खीच लेते हैं, तो उनके चेहरे पर मुस्कान की एक पतली लकीर खेल उठती है और चेहरे पर आत्म संतोष झलकने लगता है । इसके बाद उनकी आँखें फिर नया स्पॉट खोजने लगती। कभी कभार वे फोटोग्राफी में इतने रम जाते कि उन्हें समय का भी ध्यान नहीं रहता ।





उनके इसी हुनर की वजह से उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने अयोध्या दीपोत्सव, चित्रकूट व वाराणसी की देव दीपावली के लिए उनका चुनाव किया और आशीष पाण्डेय ने भी अपने अधिकारियों की सोच और डिमांड के अनुरूप फोटो खीच कर अपना लोहा मनवाया ।

प्रसिद्धि और सम्मान मिलने के बाद आशीष पाण्डेय अपने इस प्रोफेशन के प्रति और संजीदा हो गए। अब फोटोग्राफी करते समय वे और गंभीर हो गए और अब वे फोटोग्राफी करते समय एक योगी की तरह समाधिस्थ हो जाते हैं, और जब तक संतुष्ट नहीं होते, तब तक उनकी यह समाधि नहीं टूटती । आशीष रमेश पाण्डेय और उनके इस फोटोग्राफी हुनर की ओर मेरा ध्यान मेरे अभिन्न मित्र आदरणीय सूर्यकांत पाठक जी ने दिलाया । उनके द्वारा खीचे गए तमाम फोटोग्राफ़्स और उनके जीवन के बारे में चर्चा की, इसके बाद ही मैं उन्हें शब्द रूपी पंख दे सका। लेखक की ओर से फोटोग्राफर आशीष रमेश पाण्डेय के उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

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