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भारत चीन सीमा विवाद पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सुझाव

भारत चीन सीमा विवाद पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सुझाव
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चीन की दोगली रणनीति की वजह से भारत चीन सीमा विवाद सुलझता हुआ नजर नहीं आ रहा है। एक तरफ वह भारत के साथ सैनिक और सचिव स्तर की बातें कर रहा है, और दूसरी ओर भारत के खिलाफ जंग की तैयारी भी कर रहा है। वहाँ के अखबार भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। ऐसे तलवारे भाँज रहे हैं, जैसी तलवारें राम रावण युद्ध के समय राक्षस भाजा करते थे। ठीक उसी तरह से जैसे भारत कोई हलवा है, जिसे जब चाहे चीन मिट्टी में मिला देगा। बार-बार कई मोर्चों पर शिकस्त खा चुका चीन की स्थिति उस बिल्ली की तरह हो गई है, जो खिसियाने के बाद खंभे को नोचने लगती है । लेकिन भारत और उसकी खुफिया इंटेलिजेंस भी उसकी हर चाल पर नजर रखे हुए हैं। इसी कारण सीमाओं से अपनी सेनाएँ हटाने के बजाय भारत ने भी हर उस पॉइंट पर अपनी सेनाएँ बढ़ा दी है, जहां युद्ध होने की संभावना है। अपने लड़ाकू दस्तों के अलावा, वायु सेना और जल सेना को भी एलर्ट रहने का संदेश दे दिया है। भारत सरकार ने सेना अधिकारियों को सीमा पर उपजी परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने और माकूल जवाब देने के भी निर्देश दे रखे हैं ।

आज भारत ने चीन को साफ-साफ लफ्जों में चेतावनी देते हुए कहा कि अगर चीन ने बॉर्डर पर फौज बढ़ाने की कोशिश की, तो इससे न केवल शांति प्रक्रिया पर प्रभावित होगी, बल्कि दोनों देशों के संबंधों में भी खटास आ सकती है । चीन को साफ – साफ लफ्जों में चेतावनी दे दी गई है कि वह पूर्वी लद्दाख में अपनी गतिविधियां बंद करे।

बॉर्डर पर चीन के सैनिकों की हरकतों से दोनों देशों का एक दूसरे पर भरोसा कम हुआ है। इसके लिए पूरी तरह चीन ही जिम्मेदारी है । आगे क्या करना है? वह यह तय करे । साथ ही यह हिदायत दी गई कि चीन को भारतीय सैनिकों की नॉर्मल पैट्रोलिंग में रोक-टोक नहीं करनी चाहिए।

भारत ने यह साफ कर दिया है कि गलवान घाटी भारत का हिस्सा है । वह उस पर झूठा दावा करना छोड़े । भारत ने यह भी साफ किया कि वह जो भी ऐक्टिविटीज़ कर रहा है, वह एलएसी की सीमा के अंदर कर रहा है। जबकि चीन की ओर लगातार एलएसी का उलङ्घ्न किया जा रहा है । उसकी यही कोशिश रहती है कि सीमा का उलङ्घ्न करते हुए भारतीय सीमा में अपनी गतिविधियां करता रहा है। जो भारत को कतई बर्दाश्त नहीं है।

यहाँ उलटा चोर कोतवाल को डांटे, कहावत चरितार्थ हो रही है । भारत में चीन के राजदूत सुन वेडॉन्ग ने कहा कि बॉर्डर पर तनाव कम करने की जिम्मेदारी भारत की है। इस पर भारत की ओर से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा गया कि सीमा पर अभी जो स्थिति बनी है उसके लिए चीन जिम्मेदार है। अप्रैल और मई में लद्दाख में एलएसी पर चीन की एक्टिविटीज बढ़ गई थीं, इससे हमारे जवानों को नॉर्मल पैट्रोलिंग में भी दिक्कतें हुईं और तनाव की स्थिति बनी। जिस दिन से भारत चीन सीमा पर तनाव की स्थिति बनी, उसी दिन से पूरा देश और विपक्षी दल एकजुट हैं। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी हर एक गतिविधि पर अपनी नजर रखे हुए हैं । जिस दिन भारतीय सैनिकों का समाचार उन्होने सुना, तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि चीन के साथ झड़प में हमारे देश के अनेक जवानों के शहीद होने की ख़बर हर देशवासी को दहलानेवाली है । शहादत को सलाम । साथ ही उन्होने सरकार से भी सवाल किया कि अभी तक सरकार भारत चीन सीमा पर उत्पन्न स्थिति को लेकर जो जवाब दे रही है, उससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है , इसलिए सरकार अब तो सच बोले ।

दूसरे दिन अपने नेताओं के साथ विचार-विमर्श करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि चीन के हिंसक व्यवहार को देखते हुए भारत सरकार को सामरिक के साथ-साथ आर्थिक जवाब भी देना चाहिए । चीनी कंपनियों को दिए गए ठेके तत्काल प्रभाव से निलंबित होने चाहिए और चीनी-आयात पर अंकुश लगाना चाहिए । सरकार के ऐसे किसी भी प्रयास में समाजवादी पार्टी देशहित में सरकार के साथ है ।

उन्होने फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश की जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि आज पूरा देश व हर दल, चीन और एलएसी पर प्रधानमंत्री जी के इस कथन के साथ पूरे विश्वास के साथ खड़ा है कि "न कोई हमारे इलाके में घुसा है और न ही किसी पोस्ट पर कब्ज़ा किया है." अब सरकार को ये सुनिश्चित करना होगा कि देश की सीमाओं के साथ ही जनता के इस विश्वास की भी शत-प्रतिशत रक्षा हो ।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सिर्फ सीमा और सरकार पर ही अपनी दृष्टि नहीं जमाये हुए हैं, चीन और भारत की सीमा को लेकर भारतीय जनता के बीच में किस प्रकार की चर्चा हो रही है, इसकी भी जानकारी भी रख रहे हैं । इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होने नरेंद्र मोदी से पूछा कि प्रधानमंत्री जी के भारत-चीन एलएसी कथन से भ्रमित होकर जनता पूछ रही है कि यदि चीन हमारे इलाक़े में नहीं घुसा तो फिर हमारे सैनिक किन हालातों में शहीद हुए और क्या इस कथन से चीन को 'क्लीन चिट' दी जा रही है।

भारत चीन पर वर्तमान स्थिति पर अपना समीक्षात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन का सवाल बहुत महत्वपूर्ण है। समाजवादी पार्टी ने हमेशा यही माना है कि भारत को पाकिस्तान से ज्यादा चीन से खतरा है। कई मौके पर हमारी पार्टी के नेताओं ने कहा कि चीन कभी भी धोखा दे सकता है। भारत की धरती पर भारत के जवान शहीद हो गए। हमें डोकलाम के समय ही सावधान हो जाना चाहिए था। आज के समय में जब इतनी टेक्नॉलजी है। इंटेलिजेंस को जानकारी रही होगी, इसके बावजूद धोखा हो जाना। इस मुद्दे पर हम भारत सरकार के साथ हैं। सरकार को जनता को सच बताना चाहिए कि आखिर हुआ क्या है। भारतीय जनता पार्टी सच के अलावा सब बताना चाहती है। आज की जो खबरें आ रही हैं कि किस तरह चीन की सीमा लगातार फौज बढ़ रही है, टेंट लगाए जा रहे हैं। यह हमारी नेशनल सिक्यॉरिटी का बड़ा सवाल है। भारत मां लहुलुहान हो जाए, सच्चाई हम ना जानें। समाजवादी पार्टी ने पीएम को सलाह दी है कि लॉन्ग टर्म स्ट्रैटजी होनी चाहिए। चाहे लिपुलेख की बात हो, समाजवादी पार्टी ने हमेशा कहा है कि सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छी होनी चाहिए। फौज को जो भी जरूरत हो, उन्हें उपलब्ध करा दिया जाए तो चीन का मुकाबला कर लेगी हमारी फौज। प्रधानमंत्री द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक में मेरी तरफ से पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव जी शामिल हुए थे। उन्होंने बैठक में सारी बातें रखीं कि किस तरह चीन धोखा देता है। किस तरह से हमें बाजार को बचाना है, हम अपने उद्योगपतियों को बचाएं। ऐसे फैसले ना ले लें कि कारोबार ठप हो जाए। भारत सरकार के पास एक्सपर्ट हैं, उनसे राय लें।

इसलिए इसका जरूर विरोध होना चाहिए। सामान का आयात रोकना चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि भारत सरकार ने ही कितनों को लाइसेंस दिया होगा। सवाक यह भी उठता है कि क्या भारत सरकार ने जो 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज में से चीन के साथ व्यापार करने वाले उद्योगपतियों को मदद देगी? जिससे उनका कारोबार ना बंद हो।

इससे साफ जाहीर है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ही पूरी पार्टी विशेषकर सपा के संस्थापक अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और प्रोफेसर राम गोपाल के साथ इस मुद्दे पर वे लगातार विचार-विमर्श भी कर रहे हैं । इसी कारण उन्होने अपने एक ट्वीट के साथ नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह का लोकसभा में चीन के संबंध में दिये गए एक वक्तव्य का वीडियो भी संलग्न किया था। ऐसे में भारत सरकार और विशेषकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे विपक्ष के नेताओं के सुझावों पर ध्यान दें, साथ ही चीन का चरित्र के अनुरूप सीमा पर तनाव घटाने के लिए कदम उठाए । अभी तक के अनुभव के अनुसार चीन जो कहता है, उस पर अमल बिलकुल नहीं करता है। अपनी बादशाहत कायम रखने के लिए वह बार-बार ऐसी हरकतें करता है, जिससे उसके सीमावर्ती देशों के मन में एक भय उत्पन्न हो, और वह अपने सीमावर्ती देशों की सीमाओं पर बलात कब्जा करता रहे, अपने यहाँ बनी वस्तुओं से दूसरे देशों का बाजार पाटता रहे। सस्ते दामों पर वस्तुएं उपलब्ध करा कर वहाँ के उद्योग धंधों के विकास पर विराम लगाता रहे । ऐसे में देश के हर नागरिक, चीन की वस्तुएं बेचने वाले व्यापारी और सरकार तीनों को मिल कर चीन के सामानों के बहिष्कार का निर्णय लेना पड़ेगा । तभी चीन के मंसूबों पर भारत पानी फेर सकता है। नहीं तो वह हमारे देश ही पैसा भी कमाता रहेगा और उसी पैसे से हमारे देश की सीमाओं पर अशांति भी कायम करता रहेगा ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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