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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सार्थक नसीहत : प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सार्थक नसीहत : प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
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इस समय देश चतुर्दिक संकट से गुजर रहा है। कोरेना वायरस के संक्रमण से पूरा देश आक्रांत है। केंद्र और सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद संक्रमित मरीजों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है । इसकी वजह से लोगों के मन में भय व्याप्त है। हर रोज नए इलाके क्वारंटीन किए जा रहे हैं। संक्रमित मरीजो की बेतहाशा वृद्धि की वजह से सरकार द्वारा किए गए तमाम इंतजाम नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं ।

चीन की दोगलेबाजी की वजह से एलएसी की सुरक्षा को लेकर भी लोग बेहद चिंतित है। जिस तरह से धोखेबाज़ी करने उसने देश के 20 सैनिकों को शहीद कर दिया, उसके बाद जहां एक ओर केंद्र सरकार जागी, वहीं दूसरी ओर यहाँ के हर नागरिक के मन में चीन के खिलाफ आक्रोश जागृत हुआ है । जम्मू कश्मीर को अशांत बनाए रखने के लिए पाकिस्तान लगातार आतंकवादियों की घुसपैठ करा रहा है। सीज फायर का उलङ्घ्न कर रहा है । आज तो यह भी समाचार प्राप्त हो रहा है कि कई आतंकवादी देश की राजधानी में भी प्रवेश कर गए हैं। जिसकी वजह से वहाँ हाई एलर्ट घोषित कर दिया गया है और आने-जाने वाले वाहनों की बारीकी से जांच की जा रही है । नेपाल, जो भारत का अभिन्न मित्र माना जाता है। जहां आने-जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती थी, चीन के उकसावे में आकर भारत के साथ सीमा विवाद खड़ा कर रहा है ।

भारतीय लोकतन्त्र में इस प्रकार की सभी समस्याओं का समाधान देश के प्रधानमंत्री का कर्तव्य माना जाता है। नरेंद्र मोदी, जो इस समय देश के प्रधानमंत्री हैं। कोरेना संक्रमण से देश की जनता को बचाने के लिए जहां एक ओर गरीब, मजबूर और मजलूम के खाने की व्यवस्था के लिए मुफ्त अनाज वितरण की व्यवस्था की गई है । वहीं दूसरी ओर कोरेना संक्रमित मरीजों के लिए इलाज के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों से निरंतर वार्ता करके जहां एक ओर जमीनी स्थिति और उठाए गए कदमों की जानकारी ले रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एक सार्थक कदम उठाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं । भारत चीन सीमा पर स्थित गलवान घाटी में जिस तरह से एक षड्यंत्र के कारण हमारे 20 सैनिक शहीद हुए । इसके बाद से प्रधानमंत्री सहित पूरी सरकार सक्रिय हुई और आवश्यक कदम उठाते हुए सेना के अधिकारियों को हालात के मुताबिक कदम उठाने की खुली छूट दी गई । जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा पोषित लगातार हो रही आतंकवादी गतिविधियों को नाकाम करने के लिए सेना के जवान लगातार आतंकवादियों को नेस्तनाबूत कर रहे हैं। पिछले एक वर्ष में सैकड़ों आतंकवादियों को उन्होने मौत के घाट उतारा है । पाकिस्तान सीज फायर का जब तक उलङ्घ्न कर रहा है । नेपाल भी हमें आनहके तरेर रहा है। लेकिन देश के विदेशमंत्री के अनुसार उसके साथ भी बातचीत हो रही है। और इसी से नेपाल और भारत के मसले सुलझा लिए जाएँगे, ऐसा आश्वासन दिया जा रहा है । लेकिन इसके बावजूद कुछ न कुछ कमी अवश्य रह गई है। जिसके कारण 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह को पत्र लिखना पड़ा। साथ ही यह पत्र मीडिया में भी जारी किया। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने इस पत्र में कई ऐसे चिंतनीय बातों का उल्लेख किया है, जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता है । आइये इस लेख में उसी पर विचार करते हैं –

1. प्रधानमंत्री का कर्तव्य और दायित्व – पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पत्र मे भारतीय लोकतन्त्र का उल्लेख करते हुए कहा कि लोकतन्त्र में ऐसे मसलों को हल करने का उत्तरदायित्व देश के प्रधानमंत्री के कंधों पर होता है। मनमोहन सिंह के शब्दों में - आज हम इतिहास के नाजुक मोड़ पर खड़े हैं। हमारी सरकार के फैसले और कदम इस बात को तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व प्रधानमंत्री का है।

2. संयमित और सीमित बयान –मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत देते हुए कहा कि ऐसे समय में देश के प्रधानमंत्री को बेहद गंभीर हो जाना चाहिए। जब दो देशों में इस प्रकार का विवाद उत्पन्न होता है, तो उस पर संयुक्त राष्ट्र संघ सहित विश्व के हर के देश की निगाह होती है। प्रधानमंत्री द्वारा दिये आए बयानों के आधार पर ही किसके पक्ष में खड़ा होना है, वे इसका निर्णय करते हैं । मनमोहन सिंह ने अपने इन भावों का इन शब्दों में अपने पत्र में उल्लेख किया है - प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और एलानों द्वारा देश की सुरक्षा एवं समारिक और भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए। चीन ने अप्रैल से लेकर अब तक लद्दाख की गलवान घाटी और पेंगोंग त्सो झील क्षेत्र में कई बार जबरन घुसपैठ की है।

3. भ्रामक प्रचार कूटनीति और मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं – पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत देखते हुए कहा कि कूटनीतिक मसलें पर भ्रामक बातें या बयानबाजी नहीं करना चाहिए । इससे गलत संदेश जाता है । भ्रामक प्रचारसे मजबूत नेतृत्व और कूटनीति का हिस्सा नहीं हो सकता है । मनमोहन सिंह ने अपने लिखे गए पत्र में इस प्रकार अपनी इस भावना को व्यक्त किया - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने बयानों से चीन के षड्यंत्रकारी रुख को ताकत नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को अपने शब्दों और घोषणाओं द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए। उन्होंने सरकार से कहा कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता।

4. ऐतिहासिक विश्वासघात – पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी से यह अपील की कि हम प्रधानमंत्री और सरकार का आवाह्न करते हैं कि वे इस मौके पर साथ आएं और कर्नल संतोष बाबू और हमारे शहीद जवानों के लिए न्याय सुनिश्चित करें जिन्होंने हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। इससे कुछ भी कम करना लोगों के विश्वास के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।

5. चीन के दुस्साहस का माकूल जवाब – मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जवानों की शहादत की याद दिलाते हुए यह अपील की कि चीन ने जो दुस्साहस किया है, उसका उसे माकूल जवाब देना चाहिए । यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट और संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सर्वोच्च त्याग के लिए हम इन साहसी सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञ हैं लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

डॉ. मनमोहन सिंह इस देश के आम नागरिक नहीं हैं। वे इस देश में 10 साल तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं। इस प्रकार उन्हें भी हर विषय की गहन जानकारी और अनुभव है । इसलिए अगर वे कोई बात कहते हैं तो वे तथ्यहीन नहीं हो सकता है। इस कारण उनके द्वारा उठाए गए सवालों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है । उस पर अमल करने की जरूरत है। कुछ आरोप जो लगाए गए हैं, वे सही भी प्रतीत होते हैं। सरकार के कई जिम्मेदार नेताओ और मंत्रियों द्वारा लगातार ऐसी बयानबाजी की जा रही है, जैसी बयानबाजी सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए या चुनाव के समय की जाती है। यह भी बात सही है कि भ्रामक बयानबाजी से न तो कूटनीतिक विजय प्राप्त की जा सकती है और न ही उससे सबल और सक्षम राष्ट्र होने का गौरव ही प्राप्त होगा । ऐसे समय में की गई हर प्रकार की बयानबाजी का दुनिया के अन्य देशों द्वारा गहन अध्ययन होता है। और उसके निहितार्थ निकाले जाते हैं । इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी ऐसे लोगों पर अंकुश लगाना चाहिये और बातें सीमित और एकअर्थी शब्दों द्वारा की जाना चाहिए । जिससे कोई उसकी अलग-अलग व्याख्या न कर सके । कांग्रेस के युवा नेता के ट्वीट और सवाल पूछने को लेकर जिस तरह की बयानबाजी और शब्दों का उपयोग भाजपा नेताओं, सरकार के मंत्रियों द्वारा किए जा रहे हैं। वे किसी से छिपे हुए नहीं हैं। ऐसे हालात में विपक्ष देश के प्रधानमंत्री के साथ खड़े होने के बाद भी सवाल तो करता ही है। जबकि अगर वास्तव में उन्हें महत्वहीन बनाना है, तो उस पर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं की जाना चाहिए । लेकिन राहुल गांधी के ट्वीट को लेकर जिस तरह से बवाल किया जाता है। इलेक्ट्रानिक्स मीडिया पर जिस तरह से चर्चाए चलाई जाती हैं, उससे तो यही लगता है कि सरकार और भाजपा दोनों ही राजनीति कर रहे हैं । साथ ही चीन के साथ हाथों से संघर्ष करते हुए वीरगति पाई है। जिस तरह से जवानों ने दोनों देशों के बीच हुए करार का पालन किया है। वह काबिलेतारीफ है। इसलिए उनकी शहादत को विशेष दर्जा देते हुए उनके परिजनों को विशेष मदद करना चाहिए । इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद ही संवेदनशील और राष्ट्र के प्रति निष्ठावान प्रधानमंत्री हैं । पूरी प्रक्रिया पर वे नजर रखे हुए हैं, और जो भी आवश्यक लग रहा है, वह कदम वे उठा रहे हैं । लेकिन एक बार मनमोहन सिंह मे पत्र पर भी निरपेक्षभाव से चिंतन आवश्यक है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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