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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक और उसके निहितार्थ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सर्वदलीय बैठक और उसके निहितार्थ
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वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद बने हालात पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत की 20 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद चीन को लेकर पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। इस बैठक में उन्हीं पार्टियों के प्रमुख नेताओं को बुलाया गया था, जिनके कम से कम पाँच सांसद हों । इस क्रायटेरिया के कारण कई राजनीतिक दल बैठक से स्वत: बाहर हो गए । बैठक प्रारम्भ होने के पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम मोदी सहित शामिल सभी नेताओं ने गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। देश की 20 राजनीतिक सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए हैं और अपने अपने विचार रखे । इसकी जानकारी लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष व युवा नेता चिराग पासवान ने दी है।

इस बैठक में शामिल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का रूख काफी आक्रमक रहा । उन्होने कहा कि सर्वदलीय बैठक बहुत पहले ही कर लेना चाहिए। इससे पूरा देश एक साथ खड़ा हुआ दिखाई पड़ती और प्रधानमंत्री को भी निर्णय लेने में सभी का समर्थन प्राप्त होता । इसके बाद कांग्रेस ने उन्हीं सवालों को यहाँ भी दोहराया, जो गाहे-बेगाहे कांग्रेस नेताओं द्वारा कहा जाता रहा है । इसके बाद सोनिया गांधी ने सवालों की झड़ी लगा दी। उन्होने कहा कि चीनी सैनिकों ने किस तारीख को घुसपैठ की? सरकार ने कब बदलाव के बारे में पता लगाया? क्या सरकार को सैटेलाइट पिक्स नहीं मिले? क्या खुफिया विभाग ने असामान्य गतिविधि की जानकारी नहीं दी है? माउंटेन स्ट्राइक कोर की वर्तमान स्थिति क्या है ? विपक्षी दलों को इसकी नियमित रूप से जानकारी दिया जाना चाहिए। जिससे मीडिया में दिखाये गए समाचार में सरकार और विपक्षी डालूँ में मतभेद न दिखाई पड़ें । इसके बाद सोनिया गांधी सहित सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों या प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने वाले नेताओं ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में अपनी निष्ठा व्यक्त की और समर्थन करते हुए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए अधिकृत किया । कांग्रेस पार्टी और पूरा विपक्ष एकजुट होकर अपने रक्षा बलों के साथ खड़ा है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि वे लड़ाई के लिए तैयार रहें। सरकार हमें नियमित रूप से संक्षिप्त जानकारी देगी । जिससे दुनिया को हमारी एकता और एकजुटता का एहसास भी हो सके।

कम्युनिष्ट विचारधारा पर काम करने वाले राजनीतिक दलों ने भारत के अमेरिका की ओर झुकाव का विरोध किया। भारतीय कम्युनिष्ठ पार्टी के डी राजा ने कहा कि हमें अमेरिका द्वारा उनके गठबंधन से जोड़ने के प्रयासों का विरोध करने की आवश्यकता है ।

कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया एम के नेता सीताराम येचूरी ने कहा कि चीन के साथ सीमा संबंधी विवाद सुलझाने के लिए पंचशील सिद्धांतों को आधार बनाना चाहिए । आज से 50 साल पहले 29 अप्रैल, 1954 को चीन और भारत के बीच में इस सिद्धान्त पर हस्ताक्षर किए गए थे । पंचशील सिद्धान्त में इन पाँच बातों का समावेश किया गया था - एक दूसरे की अखंडता और संप्रभुता का सम्मान, परस्पर अनाक्रमण, एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना, समान और परस्पर लाभकारी संबंध, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व । चीन में कम्युनिष्ट विचारधारा की सरकार होने के कारण भारत की कम्युनिष्ट पार्टियों के नेताओं ने चीन का पक्ष तो नहीं लिया। लेकिन साथ ही उनके ओर से जो विचार आए, उसमें यह बात थी कि वे चीन से टकराव नहीं चाहते हैं। शांतिपूर्ण सम्झौता चाहते हैं ।

बीजू जनता दल की प्रतिनिधि पिनाकी मिश्रा ने कहा कि हम पूरी तरह से और बिना शर्त सरकार के साथ खड़े हैं।

डीएमके के एमके स्टालिन ने कहा कि जब – जब देश की सुरक्षा और सरक्षा की बात आती है, हम सभी एकजुट हो जाते हैं। यही हमारी परंपरा और संस्कृति रही है । इस कारण हम सभी चीन के मुद्दे पर एक हैं और सरकार जो भी कदम उठाएगी, उसका समर्थन करते हैं। उन्होने प्रधानमंत्री द्वारा चीन के संबंध में व्यक्त किए गए विचारों का भी प्रशंसा की । टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना सीएम केसीआर ने कहा कि कश्मीर पर जिस सफगोई के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना विचार रखा, उसकी वजह से चीन नाराज हो गया है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब आत्मनिर्भर भारत की बात करना चीन की चिंता और आक्रामकता का कारण है । क्योंकि इससे भारत में करोड़ों डालर का व्यापार जो प्रभावित जो हो रहा था । हम सभी प्रधानमंत्री के साथ खड़े हैं । सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा प्रमुख और मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री पर पूरा भरोसा है। चीन के संबंध में वे उचित निर्णय ही लेंगे । अतीत में भी जब – जब राष्ट्रीय सुरक्षा की समस्या उत्पन्न हुई, तब- तब प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक निर्णय लिए।

एनसीपी प्रमुख और पूर्व रक्षा मंत्री शरद पवार ने कहा कि सैनिक हथियार उठाए या नहीं, इसका फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों से होता है और हमें ऐसे संवेदनशील मामलों का सम्मान करने की जरूरत है। आज की घड़ी में हम प्रधानमंत्री को अपना पूरा समर्थन देते हैं और उन्हें कोई भी निर्णय लेने के लिए अधिकृत करते हैं । मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथानगा ने ट्वीट कर कहा कि राज्य इस संकट की घड़ी में राष्ट्र के साथ खड़ा है। उन्होंने बैठक में शामिल होने की पुष्टि के साथ ही शहीदों को श्रद्धांजलि भी दी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री के साथ खड़े होने का आश्वासन देते हुए पार्दर्शिता की मांग की। उन्होंने कहा कि सीमा के हालात और भारत की अखंडता के लिए जो भी आवश्यक कदम है वह उठाएँ जाएँ । साथ ही सरकार विपक्ष समय-समय पर विपक्ष को इसकी जानकारी दे। देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक में शामिल सभी नेताओं को जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय सेना सीमा पर पूरी तरह मुस्तैद है । सीमा के हालात के अनुसार सेना को निर्णय लेने और कदम उठाने की आजादी दे दी गई है ।

इस बैठक में न बुलाएँ जाने पर राष्ट्रीय जनता दल के युवा नेता तेजस्वी यादव ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि भारत चीन विवाद को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में उनकी पार्टी को नहीं बुलाया गया। जबकि हमारे पास पाँच सांसद हैं । हमारी पार्टी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन हमें आमंत्रित नहीं किया गया । राजनाथ सिंह को इसका जवाब देना चाहिए कि राष्ट्रीय जनता दल को क्यों नही आमंत्रित किया गया । सर्वदलीय बैठक में आम आदमी पार्टी (आप) को नहीं बुलाया गया। जिस पर अपनी नाराजग व्यक्त करते हुए राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने नाराजगी जताई है और कहा कि ऐसे समय में एकजुट रहते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है।

गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच पहली बार झड़प नहीं हुई है। इसके पहले 15 जून, 1967 में नाथू ला में दोनों देशाओं की सेनाओं के बीच संघर्ष हुआ था। जिसमें चीन के 300 से अधिक और भारत के 80 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। जिस पर भारतीय सेना ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और अपने सैनिकों को तुरंत वापस बुलाने की मांग की है । जिस संबंध में दोनों देशों के बीच में कई राउंड की बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन चीन अपनी सेना हटाने को तैयार नहीं है । भारत और चीन के सीमा की लंबाई 3,488 किलोमीटर लंबी है। जिस पर चीन की ओर लगातार विवाद की स्थिति बनाई जाती है ।

लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि इस बार भारत भी बिना समाधान के पीछे हटने वाला नहीं है । वह हर हाल में चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाना चाहता है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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