कोरेना महामारी में शिवपाल द्वारा राजनीतिक उत्तरदायित्व का निर्वहन

समाजवादी राजनीति में एक अहम कद रखने वाले शिवपाल सिंह यादव एक ऐसे नेता हैं, जिनके नाम के साथ अनेक प्रसंग जनता के बीच तैरते रहते हैं। उसमें से अधिकांश प्रसंग मन गढ़ंत हैं। मित्रों के मित्र और दुश्मनों के दुश्मन के रूप में उनकी प्रतिष्ठा है। मंचों पर भले ही अपनी बात बहुत प्रभावी ढंग से नहीं रख पाते हों, लेकिन आम बातचीत में बेबाक हैं । समाज से लेकर राजनीति तक उनकी समझ बहुत गहरी है। विपरीत से विपरीत परिस्थितियों मे भी वे अपना संतुलन नहीं खोते हैं। अपनों के बेचे में जब होते हैं, तो मज़ाकिया लहजे में ही बातें करते हैं। अगर कोई अनजान व्यक्ति उनकी बातचीत को सुन ले, तो यह कह ही नहीं सकता कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी राजनीति का यह इतना माहिर खिलाड़ी है। सत्ता में हो या न हों, राजनीति में उनकी उपस्थिति हमेशा बनी रहती है। जीवन हो या राजनीति, उनके अपने सिद्धान्त हैं। अपने अनुभवों में जैसा मैंने पाया वे उन्हीं का अनुपालन करते हैं। भले ही अपने जीवन में आई विपरीत परिस्थितियो में उन्हें नई पार्टी खड़ी करना पड़ी हो, लेकिन उनके मन में कभी भी अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के प्रति न तो आदर कम हुआ और न ही अखिलेश के प्रति कभी प्रेम में ही कमी आई । उनके दिल हमेशा यही कहता रहा कि जब भी उन्हें मौका मिलेगा, मुख्यमंत्री तो अखिलेश को ही बनाएँगे । हालांकि उनका अपना भी लड़का है – आदित्य यादव अंकुर । पार्टी खड़ी करते समय उन्होने अंकुर को महासचिव जरूर बनाया । पर इतना सक्रिय कभी नहीं होने दिया, जिससे अखिलेश की छवि पर कोई प्रभाव पड़े । मैं विषयांतर न हो जाऊँ, इसलिए मूल विषय पर आता हूँ ।
इस समय पूरा देश कोरेना संक्रमण और लॉक डाउन, अनलॉकडाउन के बीच झूल रहा है। भारत की अपनी विशेषता है। इस देश में कहीं मैन पावर अधिक है, तो कहीं प्राकृतिक । इस कारण विकास समरूप न होकर विविधतापूर्ण है । इसी कारण जहां मैन पावर अधिक है, वहाँ के लोग काम धंधे की तलाश में उन स्थानो पर चले जाते हैं, जहां पर प्राकृतिक संसाधन के कारण विकास हुए हैं । लॉक डाउन के दौरान काम –धंधे बंद होने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई कि ऐसी जगहों पर काम कर रहे लोग अपने घरों की ओर लौटे। जिससे स्थिति सरकार के नियंत्रण के बाहर हो गई । सरकार द्वारा की गई तमाम व्यवस्थाएं नाकाफी सिद्ध हो गई । ऐसे समय में शिवपाल सिंह यादव ने एक स्वस्थ विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करते हुए कहीं सरकार को घेरा, तो कहीं नसीहत दी । आइये बिन्दुवार उन्हीं पर विचार करते हैं -
1. जनप्रतिनिधियों की आजादी की मांग – प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कोविड महामारी के दौरान लगाई बन्दिशें हटाने की मांग की । उन्होने कहा कि कोविड – 19 की आड़ में जनप्रतिनिधियों के अधिकार सीज हैं। आपदा का हवाला देकर मुझे विभिन्न जिला कारागारों में बंद निरुद्ध कैदियों से मिलने से रोका जा रहा है। 14 दिन बीत चुके हैं, आखिर जन प्रतिनिधियों का क्वारंटीन कब खत्म होगा ? लोकतन्त्र को आईसीयू या वेंटिलेटर पर जाने से बचाएं ! कारागारों में मिलने वाली सुविधाओं में भ्रष्टाचार व्याप्त है। निरुद्ध कैदियों के साथ अमानवीय प्रताड़ना की शिकायत भी प्राप्त हो रही है।आपदा की आड़ में जनप्रतिनिधियों व परिजनों को मुलाकात से रोका जा रहा है। विश्वसनीय न्याय प्रणाली हेतु पारदर्शी व निष्पक्ष कारागार व्यवस्था आवश्यक है।
2. आजीविका का संकट – प्रसपा प्रमुख ने लॉक डाउन और कोरेना महामारी से रोजगार और बंद होते कारखानों के संबंध में अपनी चिंता जाहीर करते हुए इस संबंध में केंद्र और प्रदेश सरकार से अपील की है कि इस दिशा में सरकारें प्रभावी कदम उठाएँ । उन्होने कहा कि आर्थिक मंडी से उत्तर प्रदेश में एटलस कंपनी ने अपना साहिबाबाद का प्लांट बंद कर दिया है । लगभग 40 लाख सालाना सायकिल बनाने वाले इस प्लांट में उत्पादन बंदी की खबर बेहद चिंताजनक है । हजारों मजदूरों के सामने आजीविका का संकट है। बंद होते कारखाने मेक इन इंडिया का ख्वाब कैसे पूरा कर सकते हैं ।
3. अधिवक्ताओं की गंभीर आर्थिक समस्या – लॉक डाउन के दौरान सभी न्यायालय बंद होने की वजह से अधिकांश वकीलों के सामने भी भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया है । इसे उठाते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि कोविड – 19 की वजह से जारी लॉकडाउन में कोर्ट बंद होने से बहुसंख्यक अधिवक्ताओं व उनके निजी सहायकों को पारिवारिक दायित्व के निर्वहन में गंभीरआर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार से अपील है कि अधिवक्ताओं को समुचित आर्थिक भत्ता व मुआवजा प्रदान किया जाए।
4. शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नियमावली के पालन की अपील – इस समय प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया लंबित है। शिवपाल सिंह यादव को पता चला कि इस भर्ती में आरक्षण नियमावली का पालन नहीं हो रहा है। इस पर आरक्षण की आवाज बुलंद करते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि प्रदेश में हो रही 69,000 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नियमावली का पालन होना चाहिए। इसके साथ ही क्योंकि भर्ती प्रक्रिया को शुरू हुए 2वर्ष बीत चुके हैं, बहुत से अभ्यर्थियों के फोन नंबर आदि बदल गए हैं, ऐसे में उन्हें अपनी अद्यतन जानकारी के संशोधन का अवसर भी दिया जाना चाहिए।
5. दुर्घटनाओं में मारे गए प्रवासी मजदूरों के लिए मुआवजे की मांग – लॉक डाउन के दौरान मजदूरों के अपने घरों की आवाजाही में कई ऐसी दुर्घटनाएँ हुई, जिसमें कई जाने गई, और कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए। घायलों के समुचित इलाज और मृतक परिजनों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि इटावा में ट्रक व पिकअप की टक्कर में 6 किसानों की दर्दनाक मृत्यु अत्यंत दुखद है! मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। उत्तर प्रदेश सरकार से अपील है कि पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करें। यूपी के औरैया में हुए भीषण सड़क हादसे में 24 प्रवासी मजदूरों की मृत्यु दुखद, दुर्भाग्यपूर्ण व हृदय विदारक है। श्रद्धांजली! आज इन गरीब प्रवासियों के हिस्से में लूटपाट, पुलिस की पिटाई, फटकार, अपमान, भूख व दुर्घटनाएं हैं और मांग सिर्फ यह है कि घर पहुंचा दो! इतनी असंवेदनशीलता क्यों?
6. देवालयों के खोलने की मांग – बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवपाल एक आस्थावान व्यक्ति हैं। पूजा-पाठ और दर्शन आदि में उनकी गहरी आस्था है । लॉक डाउन में सभी देवालय बंद रहे। इसलिए उन्हें खोलने की मांग करते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि मदिरालयों में भीड़ है व देवालय सूने पड़े हैं । लॉक डाउन के बावजूद कोविड – 19 का विस्तार जारी है। जब मानवीय सामर्थ्य व सीमाएं चूकने लगे तो बेहतर हो कि सभी उपासना स्थलों में स्वास्थ्य निर्देशों के साथ पूजा व इबादत की इजाजत दी जाए। शायद ईश्वर ही इस वैश्विक आपदा से निजात दिला सके ।
7. प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था – लॉक डाउन के दौरान अपने घरों को लौट रहे मजदूरों के लिए साधन और भोजन पानी की व्यवस्था करते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि सीमाएं सील हैं, प्रवासियों हेतु आवागमन साधन व भोजन पानी की उपलब्ध्ता सुनिश्चित कराने में प्रशासन विफल हैं। 50 दिनों से ये प्रवासी जन सहयोग पर निर्भर है। प्रशासनिक बदइंतजामी व उपेक्षा का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश में पिछले 10 दिनों में कोविड – 19 से अधिक मजदूरों ने सड़कों पर प्राण गंवा दिये हैं । उत्तर प्रदेश की विभिन्न सीमाओं पर कड़ी धूप में भूखे प्यासे खड़े प्रवासियों की भारी भीड़ नजर आ रही है। पिछले 50 से भी अधिक दिनों से ये परवासी प्रशासनिक अधिकरियों की लापरवाही व संवेदनहीनता की मार झेल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देशों के बावज्दूद प्रशासन मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना कर रहा है । ऐसे में को पंजीकृत व गैर पंजीकृत श्रमिक व दिहाड़ी मजदूरों और अंत्योदय परिवारों को न्यूनतम मासिक बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा संचालित कम्युनिटी किचन को और भी अधिक सुदृढ़ व पारदर्शी बनाए जाने की जरूरत है।
8. सार्वजनिक चिकित्सा केन्द्रों पर चिकित्सकों की उपस्थिति – प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कोविड के अलावा आपातकालीन मरीजों के इलाज की व्यवस्था के लिए सरकार से अपील करते हुए कहा कि प्रदेश में नॉन कोविड चिकित्सा केंद्र भयानक उपेक्षा के शिकार हैं। आपातकालीन सेवाओं में सन्नाटा पसरा है, मरीज भटक रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को आपातकालीन सेवा के मरीजों की तत्काल कोविड – 19 जांच की व्यवस्था कर निजी व सार्वजनिक चिकित्सा केंद्रों पर चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अलावा प्रदेश के तमाम हिस्सों से कोविड – 19 क्वारंटीन सेंटर की बदहाली की तस्वीर आ रही है। कहीं बिस्तर पर मरा हुआ चूहा मिल रहा है तो कहीं गंदगी का अंबार लगा नजर आ रहा है। भोजन को लेकर भी अव्यवस्था की खबरें आ रही हैं। स्वास्थ्य निर्देशों के साथ आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें ।
9. श्रम क़ानूनों में आलोकतांत्रिक बदलाव का विरोध – कोरेना महामारी और लॉक डाउन की वजह से उभरी परिस्थितियों से लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश का विरोध करते हुए शिवपाल सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से श्रम कानूनों में किए गए अलोकतांत्रिक व अमानवीय बदलावों को तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। मज़दूरों के अधिकारों की रक्षा करने वाले 'श्रम-क़ानून' के अधिकांश प्रावधानों को 3 साल के लिए स्थगित कर दिया गया है। क्या आपदा की कीमत केवल मजदूर चुकायेंगे?
10. वाजिब दाम पर खाद्य वस्तुएं उपलब्ध कराने की अपील – प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने जन मानस की समस्याओं को उठाते हुए अपील की कि लॉक डाउन से उपजी परिस्थितियों में सब्जी, फल व दुग्ध उत्पादक, मुर्गीपालक, मत्स्य पालक और लघु पशुपालक भयानक आर्थिक चुनौतियों से लड़ रहे हैं। उत्पाद का वाजिब दाम न मिलने से किसानों को वैश्विक आपदा की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश सरकार वाजिब दाम व बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
11. जीएसटी में छूट देने की अपील – सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने कोरेना महामारी से लड़ने के लिए जरूरी संसाधनों पर जीएसटी हटाने की अपील करते हुए कहा कि कोविड – 19 के विरुद्ध जंग में आर्थिक तौर पर कमजोर तबका भी अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा स्वच्छता उत्पाद पर खर्च कर रहा है। ऐसे में सरकार को मास्क, सेनीटाइजर, हैंड वाश, फिनायाल जैसे स्वच्छता उत्पाद पर लग रहे 5 से 18 फीसदी जीएसटी को हटा कर इन्हें जीएसटी मुक्त करना चाहिए ।
12. छोटे व्यवसायियों के लिए कर्जमाफ़ी और छूट – प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने छोटे व्यापारियों की समस्या उठाते हुए कहा कि कोविड – 19 से छोटे व मध्यम व्यवसायी बुरी तरह से प्रभावित है। रोजाना कमाई कर परिवार का भरण-पोषण करने वाले रेहड़ी – पटरी वालों के सामने रोजी-रोटी का भयानक सनक्त आ खड़ा हुआ है। टैक्स में छूट व कर्जमाफी जैसे उपायों केसाथ ही इस वर्ग को एक बड़े आर्थिक पैकेज व संरक्षण की जरूरत है ।
13. कोरेना योद्धाओं पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील – प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने कोरेना संकट के समय अपने जीवन को खतरे में डाल कर लोगों की मदद कर लोगों पर हमले की घोर निंदा करते हुए कहा कि कोविड-19 से जंग लड़ रहे अग्रिम पंक्ति के योद्धाओं पर हमला दुर्भाग्यपूर्ण है। पीड़ितों की सेवा में लगे चिकित्साकर्मियों व आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही पुलिस के जवानों, प्रशासनिक अधिकारियों व विभिन्न संस्थाओं के स्वयंसेवकों पर हमला करने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की जानी चाहिए।
14. स्वेच्छा से क्वारंटाइन कराने की अपील – प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव ने देश और प्रदेश के सभी नागरिकों से अपील की कि अगर उनमें कोरेना के लक्षण हों, तो वे आगे आकर खुद को क्वानटाइन करें । उन्होने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद दिल्ली में निजामुद्दीन इलाके में स्थित तबलीगी मरकज में मौजूद 24 लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद संक्रमण की आशंका गहरा गई है।अब आवश्यक है कि जमात में शामिल होकर विभिन्न राज्यों में वापस लौटे लोग स्वयं को सेल्फ कवैरंटाइन करें और प्रशासन को इसकी सूचना दें।
करोना महामारी के विरुद्ध पूरा देश संकल्पबद्ध है। इस महामारी की एक बड़ी कीमत समाज का वंचित तबका चुका रहा है, ऐसे में यह भी सुनिश्चित करें कि हमारे आस पास कोई भी भूखा न रहे। सरकार को अगर स्वयंसेवकों की आवश्यकता पड़े तो प्रसपा के कार्यकर्ता इसके लिए तैयार हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि एक राजनेता / विधायक के रूप में शिवपाल सिंह पहले दिन से ही सम्पूर्ण परिदृश्य पर अपनी नजरें गड़ाए हुए थे, और हालात के अनुरूप जन समस्याओं को उठाते हुए कभी सरकार के साथ तो कभी सरकार के विरोध मे खड़े होते दिखाई पड़ते रहे ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट