भाजपा की वर्चुअल रैली के निहितार्थ और तेजस्वी-ममता-अखिलेश का कटाक्ष – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

सम्पूर्ण विश्व में आतंक का पर्याय बने कोरेना ने सिर्फ मानव जीवन शैली में ही बदलाव नहीं किया। अपने को स्वयंभू समझने वाली राजनीति में भी बदलाव करने के लिए विवश कर दिया । सोशल डिस्टेन्सिंग की कवायद परंपरागत चुनावी राजनीति में पूरी नहीं हो सकती है, इस कारण भाजपा ने वर्चुअल रैली से अपनी चुनावी रैली की शुरुआत की । इसकी बागडोर संभाली देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी महाभारत के सबसे बड़े पैरोकार गृहमंत्री अमित शाह ने । मैंने उनकी दो दिनों की दोनों वर्चुअल रैलियों को बड़े ध्यान से सुना। पहले दिन की वर्चुअल रैली जो बिहार से संबन्धित थी, उस दिन अमित शाह के तेवर और रणनीति अलग थी, क्योंकि वहाँ उनके समर्थन से नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है। यहाँ पर अमित शाह ने केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारों का महिमामंडन करते हुए अपनी बात रखी और विपक्ष पर तीखे हमले किए । वहीं दूसरे दिन की वर्चुअल रैली में उनके तेवर काफी तीखे दिखाई दिये । चूंकि पश्चिमी बंगाल में उनकी सरकार नहीं है, इस कारण उन्होने अपने तरकश के चुनिंदे वाणों का उपयोग किया ।
बात बिहार की कर लेते हैं। जहां पर उत्तर प्रदेश की तरह लालू प्रसाद और उनके लड़के तेजस्वी यादव उनके रेडार पर रहे । साथ में अपने सहयोग से चल रही वहाँ की सरकार की प्रशंसा इस प्रकार की, जिससे उसका अधिक से अधिक श्रेय भारतीय जनता पार्टी को जाए । इसके पीछे उनके कई निहितार्थ रहे हैं। इससे राज्य सरकार के प्रति लोगों के मन में अगर विरोधाभास हो, तो उसका दमन किया जाए। और वहाँ के मतदाताओं के मन में मोदी सरकार के रूप में एक आशा की किरण दिखाई जाए । बिहार में गृह मंत्री अमित शाह की वर्चुअल रैली से आगामी विधानसभा चुनाव का शंखनाद किया। देश की पहली वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए अपने सम्बोधन में ऐसे सभी तथ्यों को सम्मिलित किया। जिससे भाजपा के पक्ष में जन-मानस को तैयार किया जा सके । आइये ! उस रैली के निहितार्थ पर मंथन किया जाए । इस समय पूरा देश कोरेना संक्रमण के खिलाफ जंग कर रहा है। ऐसे में चुनावी राजनीति के मर्मज्ञ अमित शाह ने कोरेना और उसके खिलाफ सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि यह समय किसी राजनीतिक दल के गुणगान करने का नहीं है । मैं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को बधाई देता हूँ, जिन्होने 75 वर्चुअल रैली के माध्यम से जनता से जुड़ने का मौका दिया । यह रैली जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उनके हौसले बुलंद करने के लिए आयोजित की गई है । पूर्वी भारत के विकास का श्रेय देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। छह साल के अंदर पूर्वी भारत के करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश लाने का प्रयास प्रयास हुआ । जबकि इसके पहले सभी राजनीतिक दलों द्वारा पश्चिमी भारत के विकास को तरजीह दी गई थी । देश की जनता पर आज भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू विद्यमान है । इसी कारण उनके आह्वान पर जनता कर्फ़्यू लगा। जिसमें जनता ने स्वेच्छा से परिवार के साथ अपने घरों में कैद हो गए । चाहे मोदी जी ने थाली और घंटी बजाने को कहा, चाहे दीया जलाने को कहा, चाहे सेना के जवानों द्वारा आकाश से कोरोना वॉरियर्स पर फूल बरसाने की बात हो, देश की जनता ने उसका अक्षरश: पालन किया । बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा के मजदूर देश के कई हिस्सों में काम करते हैं। उनकी व्यावहारिक कठिनाइयों को समझते हुए देश के प्रधानमंत्री ने गत कैबिनेट में 'एक देश-एक राशन कार्ड' की व्यवस्था कर दी । इससे अब श्रमिक भाई-बहन अपना राशन, देश में कहीं पर ले सकेंगे।
अमित शाह ने राष्ट्रीय जनता दल पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में हम लालटेन युग से एलईडी युग, लूट एंड ऑर्डर से लॉ एंड ऑर्डर तक, जंगल राज से जनता राज तक, बाहुबल से विकास बल, चारा घोटाले से डीबीटी तक की यात्रा मोदी जी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक तय की गई। अमित शाह ने अपनी इस रैली में राहुल गांधी के बहाने कांग्रेस पर भी जम कर अपने तरकश के तीर चलाये । उन्होने कहा कि राहुल गांधी हमेशा कहते थे कि किसानों का कर्ज माफ करो। हमने करीब तीन करोड़ किसानों के 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किए । वहीं दूसरी ओर किसानों को सीधे लाभ देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर किसान सम्मान निधि के तहत 9.5 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 72,000 करोड़ रुपये हर साल डालने की व्यवस्था की गई है । अमित शाह ने बिहार के मजदूरों की जम कर प्रशंसा की। उन्होने कहा कि देश का कोई भी कोना हो, उसके विकास की नींव में बिहार के व्यक्ति के पसीने की महक है। जो लोग उन्हें अपमानित करते हैं वो प्रवासी मजदूरों के जज्बे को नहीं समझते हैं।
अमित शाह की दूसरी वर्चुअल रैली पश्चिमी बंगाल में सम्पन्न हुई, यहाँ भी इसी साल चुनाव होने हैं । इस रैली में सम्बोधन करते समय उनकी भावभंगिमा से लेकर उनके द्वारा चयनित शब्द भी बदल गए। बिहार की रैली में कम आक्रामक दिखाई देने वाले अमित शाह अपनी पूरी लौ में आ गए । उनके सम्बोधन के निहितार्थ इस प्रकार हैं -
अपनी वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने पश्चिमी बंगाल के योगदान से अपनी बात शुरु करते हुए कहा कि इस भूमि में रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महापुरुषों ने भारतीय संस्कृति को दुनिया में फैलाने का काम किया है। किसी समय बंगाल देश का नेतृत्व करता था। किसी समय कहा जाता था कि जो बंगाल आज सोचता है वह देश 50 साल बाद सोचता है। यहां रवींद्र संगीत की धुन सुनाई देती थी । आज बंगाल क्या हो गया कि यहाँ बम धमाके सुनाई देते हैं। ममता दीदी हिंसा का कीचड़ जितना फैलायेगी, कमल उतना ही खिलेगा। कोविड और अम्फान मारे गए लोगों की आत्मा की चिर शांति के लिए मैं प्रभु से कामना करता है। बंगाल में परिवर्तन के लिए 2014 में 100 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं ने जान गंवाई, उन सभी के परिजनों को सलाम करता हूँ । उनका त्याग सोनार बंगला के निर्माण में काम आएगा। जब कभी बंगाल का इतिहास लिखा जाएगा तो आपके परिवार के त्याग और बलिदान को याद किया जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 75 रैलियों द्वारा हमने देश की जनता से संपर्क करने का अभियान शुरू किया है। भले ही भाजपा को देश भर में 300 से ज्यादा सीटें मिली हैं, लेकिन हमारे जैसे कार्यकर्ताओं के लिए बंगाल की 18 सीटें अहम है। हम यहाँ राजनीतिक अभियान चलाने के लिए नहीं आए। सोनार बंगाल बनाने के लिए आए हैं। नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, 2019 में बहुमत मिला और फिर प्रधानमंत्री बने। इन 6 सालों में हमारा स्केल और स्किल दोनों बढ़ा। हमने चतुर्दिक प्रगति की । भाजपा ने 60 करोड़ गरीबों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया है। जनधन योजना के अन्तरगत 31 करोड़ गरीबों के बैंक अकाउंट खोले गए।
भारत 100 उपग्रह छोड़ने वाला पहला राष्ट्र बना। 30 राज्यों में एक साथ जीएसटी बिक्री सुधार लागू किया गया। उड़ी और पुलवामा हमले के जवाब में एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक की गई। कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाया गया । जनता की इच्छा के अनुरूप अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनने जा रहा है । मुस्लिम बहनों को न्याय दिलाने के लिए ट्रिपल तलाक हटाया गया। तमाम विरोध के बावजूद सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट लागू किया गया ।
भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस दिन सीएए लागू हुआ। वे गुस्से से लाल हो गई थीं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि मतुआ समुदाय ने आपका क्या बिगाड़ा है। दलितों ने आपका क्या बिगाड़ा है। बांग्लादेश से आए शरणार्थियों ने आपका क्या बिगाड़ा है। आप सीएए का विरोध कर रही हैं। आप याद रखिएगा कि जब मतपेटियां खुलेंगी तो यहां की जनता आपको राजनीतिक शरणार्थी बना देगी। लॉकडाउन में 4300 ट्रेनों की मदद से लोगों को घर भेजा गया। बंगाल से ही सबसे कम सिर्फ 236 ट्रेनें चली। जिन ट्रेनों का नाम श्रमिक स्पेशल रखा गया । ममता दीदी ने उसे कोरोना एक्सप्रेस कह कर । श्रमिकों के जख्म पर नम छिड़कने का काम किया। लेकिन अमित शाह द्वारा दुष्यंत कुमार की प्रसिद्ध कविता से अपनी बात समाप्त करते हुए यह दर्शाने का प्रयास किया है कि उसने झारखंड चुनाव से सबक लेकर इन बिहार और पश्चिमी बंगाल के विद्धहनसभा में उतरने जा रही है।
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में ही नहीं तेरे सीने में,
हो कहीं भी आग, पर अब आग जलनी चाहिए।
देश के गृहमंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता द्वारा की जा रही वर्चुअल रैली का विपक्ष द्वारा बहुत ही सतही विरोध किया गया। जबकि भाजपा बिहार और पश्चिमी बंगाल को लेकर बहुत ही आक्रामक मूड में दिखाई दे रही है । थोड़ी सी आक्रामकता अगर किसी में दिखाई पड़ी, तो वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में । उन्होने तीखा व्यंग करते हुए इसे खर्चुअल रैली का नाम दिया । उन्होने कहा कि सुना है बिहार की तरह पश्चिमी बंगाल में भी अरबों रुपये खर्च करके विश्व रिकार्ड बनाने वाली एक खर्चुअल रैली हो रही है । दावा किया जा रहा है कि यह चुनावी रैली नहीं है, तो फिर इसे बूथ स्तर तक पहुँचने का प्रयास क्यों किया जा रहा है । दरअसल भाजपा झूठ का विश्व रिकार्ड बना रही है । झारखंड में बुरी तरह हार चुकी भाजपा बिहार में भी जनता का विरोधी रुख समझ रही है । इसलिए वह 150 करोड़ खर्च करके वर्चुअल रैली करके विपक्ष का मनोबल तोड़ना चाहती है । बिहार में भाजपा का तथाकथित गठबंधन गुटबाजी और परस्पर अविश्वास का त्रिकोण बन गया है । करोड़ों लोगों की जिंदगी वापस लाने के बजाय भाजपाई चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं । शर्मनाक !
राष्ट्रीय जनता दल की ओर से मुख्यमंत्री पद के दावेदार व युवा नेता तेजस्वी यादव ने उनकी रैली पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हमने संकल्प लिया है कि 11 जून को गरीब सम्मान दिवस के रूप में मनाएंगे । कम से कम 72 हजार गरीब लोगों को खाना खिलाएँगे । हम 144 करोड़ रुपये खर्च करके 72 हजार एलईडी नहीं लगाते, बल्कि गरीबों को भोजन कराने का प्रयास करते हैं । राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप ने पार्टी कार्यकर्ताओं संग थाली बजाकर इस वर्चुअल रैली का विरोध किया । उनका आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी प्रवासी मजदूरों के हालातों को सुधारने के बजाय चुनाव पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही है । इस कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क जैसे जरूरी नियमों का पालन किया गया ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट