कोरेना संकट, लॉक डाउन और मिनी महात्माओं का दौर – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

पिछले चार महीने से पूरा विश्व कोरेना महामारी और उससे निजात पाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है। कोविड – 19 वायरस के संक्रमण की कोई कारगर मेडिसीन और वैक्सीन न होने की वजह से पूरा विश्व उसके सामने घुटने टेक चुका है । जब तक उचित मेडिसीन और वैक्सीन नहीं बना ली जाती, तब तक लॉक डाउन करके लोगों को समझाने और बचाने का प्रयास किया जा रहा है । हर देश के अलग-अलग परिवेश, परिस्थितियाँ हैं। भारत की तो बिलकुल विलग हैं। जनसंख्या के आधार पर भारत जहां विश्व का दूसरा बड़ा देश है। वहीं भौगोलिक भिन्नता होने के कारण आर्थिक विकास के केंद्र भी यत्र – तत्र बिखरे हुए हैं । गरीबी अधिक होने के कारण एक क्षेत्र के मजदूर और नौकरीपेशा लोग देश के दूसरे प्रदेशों में जाकर अपना और अपने परिवार का भरण – पोषण कर रहे हैं । इस कारण जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉक डाउन घोषित किया, तो प्रथम लॉक डाउन के बाद सभी कल-कारखाने, काम-धंधा, परिवहन के साधन बंद होने के बावजूद लोग अपने गाँव की ओर पैदल ही रवाना हो गए। न उन्हें अपने खाने की चिंता थी, और न ही वे इतनी दूरी कैसे तय करेंगे, इसकी चिंता थी । यह एक ऐसा दौर था, जो भी उनकी हालत देखता, वही द्रवित हो जाता ।
उनकी यह हालत देख कर देश के हर कोने में तमाम मिनी महात्मा पैदा हुए। लॉक डाउन के दौरान इन मिनी महात्माओं ने जहां एक ओर हर मजदूर, मजलूम और गरीबों के लिए अपने घर से भोजन बनवा कर खिलाया। वहीं दूसरी ओर रास्ते से गुजर रहे भूखे, थके-हारे लोगों के लिए लोगों ने भोजन, पानी और अन्य जरूरी सामानों की व्यवस्था की । उनका और उनके परिवार का कल क्या होगा ? इस बात पर विचार नहीं किया। उनके पास जो कुछ था, उसका वितरण करने में ही उन्हें आनंद आ रहा था । कम या ज्यादा का सवाल नहीं है । लेकिन इस संकट में एक बार पूरे देश ने देख लिया कि भारत के लोगो को चाहे जितना बांटने का प्रयास किया जाए, लेकिन विपदा या महामारी आने पर लोगों ने सब कुछ भुला दिया और उन्मुक्त भाव से मानवता की सेवा की । भारत का वह स्वरूप दिखाई पड़ा, जिस पर हर कोई गर्व कर रहा है ।
ऐसे में ही इन मिनी महात्माओं के एक नाम की विशेष चर्चा होने लगी। उस मिनी महात्मा का नाम है – सोनू सूद । सोनू सूद पेशे एक फिल्मी कलाकार हैं। लॉक डाउन के दौरान उनके अंदर का महात्मा जाग उठा । मुंबई में रह रहे प्रवासियों को अपने खर्चे पर उनके घर भेजने के लिए के लिए उन्होने बसों की व्यवस्था की। क्षेत्रवाद से ऊपर उठ कर जहां के लोगों का उनसे संपर्क हुआ, सभी को उनके घर भेजा । उनके इस कदम की पूरे देश में सोशल मीडिया के माध्यम से सराहना होने लगी। जिसे भी मौका मिला, उनकी इस परोपकार की भावना के लिए दो शब्द जरूर लिखा ।
लॉकडाउन के चलते देशभर में परवासी मजदूरों के पास पैसे की किल्लत हो गई। जो कुछ उनके पास था, वह खा-पीकर वे खत्म कर चुके थे। इस कारण मरता क्या न करता ? लोग अपने गांव की तरह कूच करने लगे । प्रवासी मजदूरों ने हजारों किलोमीटर का सफर पैदल ही शुरू कर दिया। सोनू सूद को प्रवासी मजदूरों की यह तकलीफ देखी नहीं गई। इस कारण अपने संसाधनों से वे रात-दिन उनकी मदद करने लगे ।
लोग सोशल मीडिया पर ही सोनू सूद से मदद मांग रहे हैं और वह लोगों की मदद कर भी रहे हैं । सोनू सूद ने लोगों की मदद के लिए एक नंबर भी जारी किया था और इस पर अपने पता और जाने वाले लोगों का नाम बताने के लिए कहा था । बाद में सोनू सूद ने अपने मोबाइल फोन का एक वीडियो शेयर किया । वीडियो को शेयर करते हुए सोनू सूद ने लिखा कि आपके संदेश हमें इस रफ्तार से मिल रहे हैं । मैं और मेरी टीम पूरी कोशिश कर रहे हैं हर किसी को मदद पहुंचे । लेकिन अगर इसमें हम कुछ मैसेजेस को मिस कर दें, उसके लिए मुझे क्षमा कीजिएगा ।
सोनू सूद ने बताया कि एक बार मैंने और मेरी बचपन की दोस्त ने एक परिवार को देखा और उन्हें घर पहुंचाया। इसके बाद मैंने सोचा कि मैं खुद से इन लोगों की मदद कर सकता हूं। फिर मैंने लोगों के लिए बहुत सारी बसों की व्यवस्था की। इसके बाद लोग जाने शुरू हुए तो एक अलग तरह का माहौल बनना शुरू हुआ। बहुत सारे लोग रुक गए और उन्होंने हमसे संपर्क करना शुरू कर दिया। यह सब हमारे लिए चुनौतीपूर्ण था। हम करीब 15-16 हजार लोगों से मिल चुके हैं और अभी करीब हमारे पास 40- 45 हजार लोगों की लिस्ट है। जब आप पहला कदम रखते हैं तो लोग आपसे धीरे-धीरे जुड़ने लगते हैं। ऐसे ही मेरे बहुत सारे दोस्त मेरे साथ जुड़े। किसी ने कहा कि वह आधी बस के मजदूरों की जिम्मेदारी उठा सकता है तो किसी ने उनके खाने की व्यवस्था कर दी।
इस तरह लोग हमसे जुड़ते चलते गए। दूसरे शहरों के लोग फोन करके बोलने लगे कि आप जहां भी हैं जिस शहर में है मजदूरों को खाना खिलाने का सहयोग करें। मैंने जब यह पहल शुरू की तो बहुत लोग और मेरे दोस्त आगे आए। उन्होंने मुझसे कहा कि वो भी मेरे साथ हैं। हर कोई मजदूरों की मदद करना चाहता था लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह कैसे मदद करें और हम लोगों ने विश्वास बनाया। इसी वजह से हम लोगों की मदद कर पा रहे हैं उन्हें घर पहुंचा पा रहे हैं। सोनू सूद सर प्लीज़ हेल्प । ईस्ट यूपी में कहीं भी भेज दो सर । वहां से पैदल अपने गांव चले जाएंगे । सोनू सूद ने उत्तर दिया - पैदल क्यों जाओगे दोस्त? नबंर भेजो । ऐसे सभी लोगों के लिए सोनू सूद ने सिर्फ बसों का ही इंतजाम नहीं किया, अपितु बस में खाने-पीने की व्यवस्था उन्होने ही की । उन्हें पता था कि इनके पास तो कुछ नहीं है, अगर खाने-पीने की व्यवस्था नहीं करूंगा तो ये लोग भूख कब तक सहन कर पाएंगे ?
इसी बीच अभिनेता से मिनी महात्मा बने सोनू सूद के बढ़ते प्रभाव को लेकर राजनीति भी होने लगी। कुछ दलों को ऐसा लगने लगा कि सोनू सूद के पीछे कोई है, जिसके कहने पर वे यह सब कर रहे हैं। आने वाले समय में राजनीतिक दृष्टिकोण से वे उनके लिए खतरा न बन जाएँ ? शिवसेना ने इस बात को बड़ी गंभीरता से उठाया। चूंकि इसके पहले हाल में ही सोनू सूद ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी मिल चुके थे। इस दौरान राज्यपाल ने सोनू सूद द्वारा प्रवासी मजदूरों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाने के लिए उनकी तारीफ की और हर तरह का सहयोग देने की बात भी कही। उनके इस कदम से राजनीतिक दलों की शंका को और बल मिला । ऐसी आलोचनाओं के बाद भी सच्चे महात्मा के रूप में सोनू सूद ने जो कदम उठाया, उसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी ।
वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य और मंत्री असलम शेख से उनके आवास मातोश्री पर जाकर मिले। यहाँ भी उनके बीच कोरेना राहत और उसके कार्यों पर चर्चा हुई । महाराष्ट्र सरकार और उसके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी उनकी सेवा भावना को भाँप उन्हें हर संभव सहायता करने का आश्वासन दिया । इस मिलन के बाद दोनों तरफ से ट्वीट और रीट्वीट करके अपनी भावनाओं का प्रकटीकरण किया गया । सोनू सूद ने लिखा कि मिलकर बहुत अच्छा लगा, मेरे प्रवासी भाइयों को उनके परिवारों से मिलाने में मदद के लिए दिए गए हर तरह के समर्थन के लिए आपका धन्यवाद।
दूसरी ओर आदित्य ठाकरे ने लिखा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सोनू सूद से मिलकर खुशी हुई और दोनों ने सबकी ओर से किए जा रहे कोविड राहत कार्यों को लेकर चर्चा की। गलतफहमियों की कोई जगह नहीं है, लेकिन जो है वो लोगों की मदद करने की प्रतिबद्धता है। इसके पूर्व संजय राऊत ने सोनू सूद पर तंज़ कसते हुए लिखा था कि वे भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं । अभिनेता को 'महात्मा' सूद बनाने की तैयारी चल रही है। वे जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाकर मिलेंगे और 'मुंबई के सेलिब्रिटी मैनेजर' बन जाएंगे। यह सब एक मिलीभगत है, सोनू सूद को हीरो बनाकर पेश किया जा रहा है, ताकि महाराष्ट्र सरकार को कमजोर दिखाया जा सके । शिवसेना नेता संजय राउत ने को कहा कि सोनू सूद बेहतरीन अभिनेता हैं। फिल्मों के लिए एक अलग निर्देशक होता है। उन्होंने जो काम किया है वह अच्छा है लेकिन इस बात की संभावना है कि उनके पीछे एक राजनीतिक निर्देशक हो। सोनू सूद एक अभिनेता हैं, वो पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अभिनय करना ही उनका पेशा है।
मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी संजय राऊत का गुस्सा शांत नहीं हुआ, उन्होने इस प्रकार ट्वीट कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया - आखिर सोनू सूद को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पता मिल ही गया, वो मातोश्री पहुंच गए। जय महाराष्ट्र। इसके सोनू ने दो ट्वीट करते हुए अपनी मंशा जाहीर की । उन्होने लिखा कि वे मैं सभी राज्य सरकारों को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस प्रक्रिया में मेरा साथ दिया l मुझे और मेरे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए मैं उनका बहुत आभारी हूं। जय हिन्द । मेरे सभी प्रवासी भाइयों और बहनों के साथ मेरी यात्रा सबसे खास रही है । यह सीधे मेरे दिल से है। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक जब भी किसी ने मुझ तक पहुँचने की कोशिश की, मैंने अपने पूरे प्रयासों को उन्हें उनके परिवारों के साथ पुनर्मिलन की मदद में लगा दी और यह मैं करते रहूँगा ।
सिर्फ सोनू सूद ही नहीं, ऐसी परिस्थिति में ऐसे तमाम मिनी महात्मा अपने – अपने घर से निकल कर बाहर आए, और अपनी हैसियत से अधिक उन्होने सेवा की । यह हो सकता है कि इस सेवा सेतु के निर्माण में उनकी भागीदारी राम सेतु की गिलहरी की रही हो। किसी राजनीतिक दल के लिए चुनौती न बनने की वजह से उन्हें प्रचार प्रसार न मिला हो, लेकिन सेवा की उनकी उच्च भावना और अपना सब कुछ लुटा कर सेवा करने की उत्कंठा से उनका भी महत्व एक मिनी महात्मा के रूप उभरे सोनू सूद से कम नहीं है । ऐसे सभी मिनी महात्माओं को लेखक नत – मस्तक होकर नमस्कार करता है ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट