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लॉक डाउन, प्रवासी मजदूर और रेलवे की भूमिका – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

लॉक डाउन, प्रवासी मजदूर और रेलवे की भूमिका – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव
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सम्पूर्ण विश्व के सभी देशों ने एकमत से कोरेना वायरस के साथ ही जीने के लिए तैयार हो चुका है । भारत जैसे देश के लिए यह अग्नि परीक्षा है। लेकिन फिर भी पूरे देश की समस्त गतिविधियों को ठप्प करके वह बहुत दिनों तक लॉक डाउन की अवस्था में नहीं रह सकता था। इस कारण देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमितशाह ने सभी मुख्यमंत्रियों से चर्चा करके लॉक डाउन खोलने की दिशा में कदम उठा लिया है। सभी के निर्णय पर गृह मंत्रालय ने अनलॉक का पहला चरण शुरू कर दिया है । गृहमंत्रालय के अनुसार आज से क्या खुलेगा, क्या नहीं, इसकी सूची प्रदेश सरकारों के निर्देश पर प्रशासन ने जारी कर दिया है ।

इसके अनुसार एसेसरीज, घड़ी, बैग, अटैची, ड्राई क्लीनर, फ्लैक्स प्रिंटिंग, प्रिन्टिंग प्रेस, केमिकल से संबंधित, लेदर गुड्स से संबंधित, अन्य वस्तुओं से संबंधित आवश्यक वस्तुओं की दुकानें, बेकरी मिठाई की दुकान प्रात: 7 बजे से रात्रि 8 बजे तक प्रतिदिन खुल खुलेगी। मिठाई की दुकानें बैठाकर खिलाने की व्यवस्था की अनुमति नहीं है। बिक्री के समय प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर की व्यवस्था के साथ, फेस मास्क , फेस कवर , ग्लव्स व सोशल डिस्टेन्सिंग के मानकों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। वाहनों के सर्विस सेन्टर, रिपेयरिंग की दुकान, मछली - मीट की एकल दुकानें भी खुलेगी । बाजार सुबह 9.00 बजे से रात्रि 8.00 बजे तक खुलेंगे । इसके बाद सुबह 5.00 बजे तक निषेधाज्ञा जारी रहेगी । थोक सब्जी मंडी सुबह 4.00 बजे से प्रात: 7.00 बजे तक खुलेंगी । सब्जी की खुदरा बिक्री सुबह 6.00 बजे से सुबह 9.00 बजे तक होगा । फल सब्जी मंडिया प्रात: 8.00 बजे से रात 8.30 बजे खुलेंगी। शादी के लिए पूर्व अनुमति लेना आवश्यक होगा। 30 लोगों से ज्यादा की अनुमति नहीं होगी। बारात घर में शस्त्र ले जाना वर्जित होगा, उल्लंघन करने पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। ठेले-खोमचे, फुटपाथी दुकानदार फेसमास्क , फेसकवर , ग्लव्स एवं सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए अपनी दुकाने लगा सकेंगे । सैलून / ब्यूटी पार्लर बुधवार, शुक्रवार एवं रविवार को सोशल डिस्टेन्सिंग एवं सैनिटाइजेशन की व्यवस्था के साथ खोलने की अनुमति दी गई है । मेडिकल स्टोर, अस्पताल, नर्सिंग होम, इमरजेन्सी सेवाएं प्रतिदिन खुलेंगी। इन पर समय सीमा का बन्धन लागू नहीं है । राजस्व ग्राम / मजरा यदि कन्टेनमेंट जोन, खेती की जमीन पर रोपाई / बोआई हेतु न्यूनतम आवश्यकता एवं कृषि मशीनरी जैसे ट्रैक्टर आदि के उपयोग की छूट होगी। लॉकडाउन में बिजली का बिल जमा न करने की छूट 31 मई को खत्म हो गई। अब सात दिनों की मोहलत के बाद कनेक्शन काटने की प्रक्रिया शुरू करेगा । बसों के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है । बसों की सभी सीटों पर यात्री बैठाए जाएंगे।

इसके साथ ही प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुँचाने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है । लॉकडाउन के प्रारम्भिक काल में प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने को लेकर सभी सरकारें उदासीन रहीं। उनके लिए न तो ट्रेन की व्यवस्था की गई और न बस की । कोई व्यवस्था न होने पर मजदूरों ने अपनी जान जोखिम में डाल कर भूखे-प्यासे पैदल जाने की कोशिश की तो पुलिस प्रशासन ने लॉक डाउन के नियमों का हवाला देकर उन्हें परेशान किया । आखिर में केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाकर मजदूरों के घर भेजने की व्यवस्था की । भोजन और पानी की व्यवस्था न करने की से ट्रेन यात्रा के दौरान 80 लोगों से अधिक श्रमिकों की अभी तक मौत हो चुकी है । लेकिन रेलवे अधिकारियों ने केवल 80 प्रवासी मजदूरों की मौत स्वीकार किया । इसके अलावा रेलवे की लापरवाही की के कारण कई श्रमिक ट्रेने रास्ता भटक गई। जिन्हें 36 घंटों में अपने गंतव्य पर पहुँचना चाहिए था, अधिकतम 60 घंटे का समय ले लिया । इस कारण भी प्रवासी श्रमिकों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे संज्ञान में लेकर रेलवे विभाग सहित संबन्धित विभागों के अधिकारियों और विभागों को नोटिस जारी किया । राष्ट्रीय मानवाधिकार की इस नोटिस में श्रमिकों के भूख – प्यास से मरने का जिक्र किया गया है । केंद्र सरकार के अनुसार श्रमिकों को उनके घर भेजने के लिए अभी तक 3700 ट्रेने चला चुकी है । इन ट्रेनों द्वारा करीब 91 लाख मजदूरों को उनके घर भेजा जा चुका है । प्रवासी मजदूरों के संकट की गंभीरता से संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि प्रवासी मजदूरों से बस या ट्रेन घर भेजने के लिये कोई पैसा नहीं लिया जाए ।

रेलमंत्री पीयूष गोयल के अनुसार लॉकडाउन के बाद रेलवे 200 यात्री ट्रेनें आज से शुरू कर रहा है। इन ट्रेनों में बिना रिजर्वेशन कोई नहीं बैठ सकेगा। वेटिंग टिकिट वालों की एंट्री नहीं हो सकेगी। जनरल बोगियों में भी सीटों की संख्या से ज्यादा लोगों को चढ़ने नहीं दिया जाएगा। जैसे-जैसे डिमांड बढ़ेगी, ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी बाद में निजी ट्रेनें भी चलाएंगे।

अधिकांश ट्रेन अभी भी फुल नहीं जा रही हैं। पुराने सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। सिर्फ केटरिंग का चार्ज कम किया है।

देश के कोने-कोने तक सामान और श्रमिक पहुंचें यहीं प्राथमिकता है।

अभी तक राज्यों ने जितनी भी ट्रेन मांगी, हमने दी हैं। पहले हमने काउंटर बुकिंग शुरू नहीं की थी, आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ही बुकिंग की सुविधा थी। फिर कई राज्यों की रिक्वेस्ट मिली कि यहां कई लोग इंटरनेट चलाना नहीं आता है। लॉकडाउन के दौरान दो महीने में 16 करोड़ टन माल का परिवहन किया है। अनाज, खाद और कोयला, दूध, कोयला, लोहा, आयात-निर्यात आदि सामान की ढुलाई इस दौरान हमने की है।

फिलहाल हमारी प्राथमिकता है कि समय पर सबको सामान मिले और श्रमिक अपने घर पहुंचे । रेलवे के वेतन में करीब 90 हजार करोड़ और पेंशन में 50 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च होते हैं। यह पिछले पांच वर्ष में लगभग डबल हो गया है।

मैं दिन में तीन बार श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेन की स्थिति की समीक्षा करता हूं। 30 मई तक देश में 4,040 श्रमिक एक्सप्रेस के माध्यम से करीब 54 लाख से अधिक श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचा गया है। ट्रेनों के भटकने या सात या नौ दिन में पहुंचने की बात बेबुनियाद है। सिर्फ 71 ट्रेन यानी 1.75% ट्रेन डायवर्ट हुईं। वह भी राज्यों के कहने, अधिक संख्या में एक ही स्टेशन पर ट्रेन के पहुंचने जैसे कारणों से हुई। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु, भूख या प्यास के कारण नहीं हुई है। रेलवे ने 1.19 लाख खाना और 1.5 करोड़ बोतल पानी श्रमिकों के बीच दिया।

लेकिन रेलवे विभाग द्वारा उठाए गए सभी कदम नाकाफी सिद्ध हुए । एक ही बार में अपने घर पहुँच जाने की मंशा ने केंद्र और राज्य सरकारों के सामने समस्या खड़ी कर दी । ट्रेन या बस न मिलने के कारण लोगों ने इंतजार नहीं किया। पैदल चलना शुरू कर दिया । जिसकी वजह से अफरा-तफरी मच गई । राज्य सरकारों के पास पर्याप्त संख्या में बसे होने के बावजूद उनका संचालन नहीं किया गया। रेलवे चाहे जो आकड़ें पेश करे, लेकिन लोगों को असुविधा हुई। ट्रेनों को घुमावदार रास्ते से ले जाने की वजह से यात्रियों को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ा। राज्य सरकारों पर ठीकरा फोड़ने से केंद्र सरकार का ज़िम्मेदारी कम नहीं हो जाती है। एक बात तो तय है, ऐसे राज्यों में जहां भाजपा की सरकारें नहीं थी, उनके साथ समन्वय स्थापित नहीं किया जा सका। जिसकी वजह से ही यह सब विसंगतियाँ उत्पन्न हुई। अब जब अनलॉक के पहले चरण में हम पहुँच गए हैं। रेलवे ने भी अपनी प्रायिकता बढ़ा दी है । आने वाले कुछ ही दिनों में सभी प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा दिया जाएगा। लेकिन एक बात तो तय है कि अब देश के प्रत्येक नागरिक का यह स्वत: यह कर्तव्य है कि वह कोरेना संक्रमण से अपने को, अपने परिवार को और समाज और देश को बचाने के लिए अतिरिक्त सावधानियाँ बरते । नही तो स्थिति भयावह हो सकती है। अनलॉक की प्रक्रिया तो प्रारम्भ हो चुकी है। लेकिन करोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इसलिए लिए हर व्यक्ति को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी और केंद्र और राज्य सरकरों द्वारा प्रचारित नियमों का पालन करना चाहिए ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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