नरेंद्र मोदी के राष्ट्र सम्बोधन के निहितार्थ – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

ऐसे समय में जब सम्पूर्ण विश्व करोना संक्रमण से निजात पाने के लिए निरंतर चिंतन-मनन कर रहे हैं। उसे रोकने के लिए वैक्सीन निर्माण की दिशा में काम रहे हैं । हमारा देश भारत भी चुप नहीं बैठा है। देश के श्रमिकों को उनके गाँव तक पहुंचाने, फिर वहाँ पर उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटीन करने, स्थानीय स्तर पर उनके लिए रोजगार की व्यवस्था करने जैसे कई ज्वलंत समस्याओं के समाधान की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। उसकी झलक आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात में भी दिखाई पड़ी । आज हम उसी पर विश्लेषणात्मक अध्ययन करके उसके निहितार्थ पर प्रकाश डाल रहे हैं ।
1. पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मन की बात में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता पर बल दिया । कहीं न कहीं आज के करोना संकट के लिए पर्यावरण के साथ हुई छेड़छाड़ को ही जिम्मेदार ठहराता है। हमारे देश के प्रधानमंत्री भी उससे इत्तेफाक रखते हैं। उन्होने अपनी मन की बात में कहा कि नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक मिले, आसमान भी साफ-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं। 'जल है तो जीवन है- जल है तो कल है' लेकिन जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है। स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय हैI इसलिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी। विश्व पर्यावरण दिवस पर इस साल की थीम है- जैव-विविधिताI हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध जैव-विविधता को देखने का अवसर भी मिला हैI सालों बाद लोग अपने घरों में पक्षी की आवाज़ सुन रहे हैं।
2. टिड्डियों का हमला – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान की ओर से आए टिड्डियों के कारण हुए नुकसान और उनसे पेड़ पौधों और खेती को बचाने के लिए किए गए उपायों का भी उल्लेख किया । उन्होने कहा कि पूर्वी भारत तूफान से आई आपदा का सामना कर रहा है, दूसरी तरफ देश के कई हिस्से टिड्डियों के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। भारत सरकार, राज्य सरकार, कृषि विभाग, प्रशासन टिड्डी संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद के लिए, आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ भी ध्यान दे रहा है ।
3. प्राकृतिक आपदाएँ – महामारी के साथ – साथ इस समय हमारा देश प्राकृतिक आपदा का भी सामना कर रहा है। पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा में आए चक्रवती तूफान ने जहां एक ओर सब कुछ छीन लिया। पूरी तरह से उजाड़ दिया। वही पूर्वी भारत में भी आए दिन आ रहे तूफान, ओलावृष्टि और बारिश की वजह से भी पूरी दुनिया परेशान है। प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि एक तरफ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ हमें हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा में चक्रवात अम्फान का कहर देखा। स्थानीय लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है।
4. आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आयुष्मान भारत पर भी प्रकाश डाला । उन्होने कहा कि मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग को आयुष्मान भारत से नया जीवन मिला है। इससे गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है। पहले गरीबों को इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, एक अनुमान के अनुसार करीब-करीब 14 हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा अपनी जेब से खर्च करने पड़ते। आयुष्मान भारत इंसानों को दुख-तकलीफ को दूर करते हुए इस समस्या से भी निदान दिलाया है।इसके लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। आयुष्मान भारत योजना की बड़ी विशेषता पोर्टेबिलिटी की सुविधा भी है । पोर्टेबिलिटी ने देश को एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है । यानी बिहार का कोई गरीब अगर कर्नाटका में इलाज कराना चाहे तो वहाँ भी उसे वही सुविधा मिलेगी।
5. योग, प्राणायाम और आयुर्वेद – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मन की बात में योग और प्राणायाम का भी उल्लेख किया - कपालभाती' और 'अनुलोम-विलोम', 'प्राणायाम' 'भस्त्रिका', 'शीतली', 'भ्रामरी' जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके अनेक लाभ भी हैं। इस वर्ष आयुष मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया है । बीमारी संबंधी कई प्रकार की चिंताओं को दूर करने के लिए आयुष्मान भारत ने कई योजनाएँ शुरू की हैं।योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में और ज्यादा जानना चाहा है। कितने ही लोग ऑनलाइन योगा क्लास से जुड़ गए हैं या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से योग सीख रहे हैं। कोरोना संकट के इस समय में योग इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि यह रेस्पिरेटरी सिस्टम को सबसे अधिक प्रभावित करता है। योग में तो रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं।
6. आत्मनिर्भर भारत – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में एक बार फिर आत्मनिर्भर भारत का उल्लेख किया । उन्होने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से गांवों में रोजगार, स्वरोजगार, लघु उद्योगों से जुड़ी विशाल संभावनाएं खुली हैं। अगर हमारे गांव, कस्बे, जिले, राज्य, आत्मनिर्भर बनेंगे, इससे आज की स्थिति का हम अधिक कारगर ढंग से सामना कर पाएंगे । आत्मनिर्भर भारत अभियान इस दशक में देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।
7. श्रमिकों की पीड़ा – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रमिकों की पीड़ा और उसे दूर करने के लिए किए जा रहे उपायों का भी उललेख किया । उन्होने कहा कि आज देश के पूर्वी हिस्से में हम श्रमिकों की पीड़ा को देख सकते हैं। इस कारण पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है। उनकी समस्या को दूर करने के लिए कहीं श्रमिकों की स्किल मैपिंग का काम हो रहा है, कहीं स्टार्टअप्स इस काम में जुटे हैं, कहीं माइग्रेशन कमीशन बनाने की बात हो रही है।
8. कोरेना योद्धा के रूप में रेलवे कर्मचारी – देश के प्रधामन्त्री नरेंद्र मोदी ने श्रमिकों को उनके जन्मभूमि तक पहुंचाने में जो भूमिका रेलवे ने निभाई है, उसकी प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में रेलवे के कर्मचारी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं भी दिन-रात मेहनत कर रही हैं। ये सभी अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं। लाखों श्रमिकों को ट्रेनों, बसों से सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में क्वारंटीन केंद्रों की व्यवस्था, सभी की टेस्टिंग, चेकअप, उपचार की व्यवस्था, यह सब काम लगातार चल रहे हैं और बड़ी मात्रा में चल रहे हैं। श्रमिक और अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा खुल गया है। ऐसे में और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है।
9. नए इनोवेशन – देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करोना के खिलाफ चल रहे अभियान में जनता की भागीदारी करने के लिए जो नए – नए इनोवेशन किए जा रहे हैं, उसका भी उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी लैब्स में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है और हम सबकी आशा भी। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है। कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है। ऐसे में नई चुनौतियां, परेशानियां का अनुभव कर रहें हैं। कई दुकानदारों ने दो गज की दूरी के लिए दुकान में बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं। जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं और दूसरी छोर से ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं। इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। ऑनलाइन क्लासेज, वीडियो क्लासिज, उसको भी, अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है। संकट की इस घड़ी में इनोवेशन। गांवों से लेकर शहरों तक, छोटे व्यापारियों से स्टार्टअप तक, हमारी लैब्स कोरोना लड़ाई में नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं, नए इनोवेशन कर रहे हैं। डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया सब सेवा कर रहे हैं, सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है। देश के सभी इलाकों से वूनेम सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से गांवों, कस्बों में बहनें-बेटियां हर दिन मास्क बना रही हैं। दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति में कोई डिप्रेशन या तनाव, कभी नहीं दिखता। जीवन के संबंध में उनके नजरिए में भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में इस बार हर उन बिन्दुओं पर चर्चा की, जो वर्तमान करोना संकट से उबरने के लिए आवश्यक हैं। एक ओर जहां उन्होने पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता की बात, नए इनोवेशन की बात की। वहीं सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी चर्चा की ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट