धूम्रपान से होने वाले रोग और उसका नेचरोपैथी उपचार – प्रोफेसर (डॉ.) योगेन्द्र यादव

गाँव हो या शहर हर जगह धूम्रपान करते हुए लोग देखे जा सकते हैं। बूढ़े हों, जवान हों या किशोरावस्था के बच्चे सभी धूए के छल्ले बनाते हुए देखे जा सकते हैं । धूम्रपान की आसक्ति की वजह से सिगरेट और बीड़ी ने उद्योग का रूप धरण कर लिया है । यह बहुत आसानी से हर जगह उपलब्ध होता है। पैकेट या बंडल से लेकर एक या दो बीड़ी या सिगरेट रीदने की सुविधा है। उसे सुलगाने और कस लगाने की सुविधा दुकानदार अलग से मुहैया कराते हैं। किशोरावस्था में बढ़ती लत की वजह से स्कूल, कालेज के आसपास भी इसकी दूकाने पाई जाती हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरी दुनिया के 12 प्रतिशत भारत के लोग धूम्रपान करते हैं। इसी कारण हर वर्ष लाखों लोगों की मौत होती है । दिल्ली, कानपुर, चेन्नई, कोलकाता और बंगलौर जैसे बड़े शहरों में फेफड़े के कैंसर या उससे संबन्धित बीमारियों में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है । धूल, धुए और रासायनिक गैसों के कारण यहाँ का वातावरण अधिक प्रदूषित होता है । जिससे इसकी तीक्षणता और बढ़ जाती है ।
आइये सबसे पहले हम उन सभी रोगों पर विचार कर लेते हैं, जो धूम्रपान करने वाले को होते हैं। दरअसल मनुष्य के शरीर में श्वसन नली और फेफड़ा एक महत्त्वपूर्ण अंग है। जो भोजन पचाने से लेकर उसे ऊर्जा में परिवर्तित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस कारण धूम्रपान से होने वाली बीमारियों की संख्या इस प्रकार है -
1. ब्रोंकाइटिस – अधिक और लंबे समय तक धूम्रपान करने वाले का फेफड़ा संक्रमित हो जाता है, या जरा सा किसी प्रकार के संक्रमण के बाद खांसी आने लगती है । धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में यह खांसी कुकुर, काली, सूखी और खूनी खांसी में परिवर्तित हो जाती है ।
2. सीओएलडी – यह एक ऐसी बीमारी है, जो केवल और केवल धूम्रपान करने वाले को ही होती है । इस रोग में रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है । वह ठीक से सांस नहीं ले पाता है, जिससे कभी-कभी सांस उखड़ जाती है और रोगी की मृत्यु हो जाती है ।
3. निमोनिया – अधिक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति में निमोनिया की बीमारी आम है।
4. कोलेस्ट्राल में वृद्धि – अधिक धूम्रपान करने की वजह से बैड कोलेस्टरल बड़ी तेजी से बढ़ता है। जिसकी वजह से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है ।
5. हाई ब्लड प्रेशर – जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी एक सामान्य बात होती है ।
6. हार्ट अटैक – लगातार और लंबे समय तक धूम्रपान करने की वजह से हार्ट अटैक की बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है ।
7. नसों में खून के थक्के जमना – जो लोग अधिक मात्रा में और लंबे समय से धूम्रपान करते हैं, उनके पैर की नसों में खून के थक्के जमने लगते हैं, जिसकी वजह से उन्हें काफी तकलीफ होती है ।
8. गैंग्रीन – लंबे और अधिक मात्रा में धूम्रपान करने की वजह से लंबे समय से आ रही नसों की बीमारी गैंगरीन में परिवर्तित हो जाती है ।
9. ब्रेन स्ट्रोक – अधिक और लंबे समय तक धूम्रपान करने वाले को ब्रेन स्ट्रोक होने का खतरा अधिक रहता है । जो लोग चेन स्मोकर होते हैं, उन्हें दिमागी दौरा पड़ता है ।
10. दमा – दमा रोग का एक प्रमुख कारण धूम्रपान करना है । अगर दमा का मरीज धूमरपन भी करता है, तो उसको तकलीफ बहुत तेजी से बढ़ जाती है ।
11. थकान – जो लोग धूम्रपान अधिक करते हैं, जरा सा शारीरिक श्रम करते ही उन्हें थकान महसूस होने लगती है। एक अवस्था ऐसी भी आती है, बिना कोई काम किए भी वे थक जाते हैं ।
12. भूख की कमी – धूम्रपान करने वालों की डाइट धीरे – धीरे कम होती जाती है, और भूख भी कम लगती है ।
13. वजन घटना – जो लोग अधिक धूम्रपान करते हैं, जैसे ही उन्हें कोई बीमारी होती है, उनका वजन बड़ी तेजी से गिरने लगता है ।
14. सीने में दर्द – अक्सर बुढ़ापे में धूम्रपान करने वालों के सीने में दर्द की अधिक शिकायत पाई जाती है।
15. गला बैठना – जो लोग अधिक और लंबे समय से धूम्रपान कर रहे होते हैं, उनका गला बहुत जल्दी बैठ जाता है। प्राथमिक अवस्था में उनकी आवाज बदलती है, फिर धीरे-धीरे उससे आवाज आना बंद हो जाती है ।
16. फेफड़ों में संक्रमण – जो लोग धूम्रपान के आदी हो जाते हैं, फेफड़े में संक्रमण के कारण मौसम बदलते ही वे मौसमी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं ।
17. चक्कर आना – अधिक धूम्रपान करने वालों को एक समय के बाद चक्कर आने लगता है। अधिक धूप में चलने की वजह से उनकी आँखों के सामने अंधेरा छा जाता है, और उन्हें चक्कर आने लगता है ।
18. सर दर्द – अधिक दिनों तक धूम्रपान करने के कारण सरदर्द की बीमारी आम हो जाती है। जिसकी वजह से उसका स्वास्थ्य बड़ी तेजी से गिरने लगता है ।
19. आँख की रोशनी कम होना – धूम्रपान कम करने वाले की आँख की रोशनी बड़ी तेजी से कम होती है। जिनके माता-पिता धूम्रपान करते हैं, पैसिव स्मोकिंग की वजह से उनके बच्चों को चश्मा बहुत जल्द लग जाता है ।
20. स्तंभन दोष – जो लोग बचपन से ही धूम्रपान करते चले आ रहे हैं, उनमें स्तंभन दोष पाया जाता है। विवाह के कुछ दिनों बाद से ही उनके लिंग में तनाव नहीं बन पाता । जिसकी वजह से उनकी सेक्सुअल लाइफ समाप्त और पारिवारिक जीवन कलहपूर्ण हो जाता है ।
21. कल्पनाशीलता – जो लोग धूम्रपान अधिक करते हैं, वे कल्पनाशील हो जाते हैं। जिसकी वजह से उनकी क्रियाशीलता पर प्रभाव पड़ता है ।
22. दांतों के चारो ओर सूजन – जो लोग अधिक धूम्रपान करते हैं, उनके दांतों के चारो ओर सूजन हो जाती है ।
धूम्रपान से होने वाली बीमारियों का नेचरोपैथी उपचार – इस चिकित्सा पद्धति में पंच तत्वों आकाश, जल, अग्नि, वायु और पृथ्वी को आधार मानकर उपचार किया जाता है। मड बाथ, मिट्टी की पट्टी, वेट शीट पैक, हॉट आर्म एंड फुट बाथ, सन बाथ, कटि स्नान, स्टीम बाथ, एनीमा, स्पाइन स्प्रे बाथ, मॉर्निंग वॉक, जॉगिंग के अलावा उपवास, दूध कल्प, फलाहार, रसाहार, जलाहार का इलाज के दौरान प्रयोग किया जाता है। हर मानव के शरीर में रोगो से लड़ने और ठीक होने की क्षमता होती है। इसी सिद्धान्त पर काम करते हुए नेचरोपैथ अपनी चिकित्सा करता है।
धूम्रपान के कारण ऊपर उल्लेखित सभी बीमारियों का इलाज करते समय एक कुशल नेचरोपैथ पहले उसकी केस हिस्ट्री लेता है। उसकी जांच करता है, रोग किस स्टेज पर है, उसके अनुसार उसका इलाज करता है । सबसे पहले वह रोगी की धूम्रपान की आदत पर बंदिश लगाता है । इसके बाद उसकी दिनचर्या को व्यवस्थित करता है। उसकी कोशिश यही रहती है कि वह अकेले न रहे । इसलिए उसके साथ किसी न किसी को अटेंडेंट के रूप में रखता है। अकेले रहने पर उसकी धूम्रपान की इच्छा बलवती हो सकती है । सुबह उठ कर वह उसे एक गिलास गरम पानी पिलाता है । दीर्घशंका से निपटने के बाद वह उसे टहलने के लिए भेजता है। टहलते समय तेज-तेज सांस छोड़ने और लेने की हिदायत देता है। अनुलोम-विलोम, कपाल भांति से लेकर ऐसे योग करवाता है, जिससे श्वसन संबंधी उसके सभी आंतरिक अंग मजबूत बनें और श्वसन प्रक्रिया निर्बाध हो सके । टहल के आने के बाद वह रोगी को ऐसे व्यायाम करवाता है, जिससे उसकी हार्ट बीट रेट में सुधार आता है । षड नेति के प्रयोग से वह श्वसन नली को साफ करता है। इसे कराने में थोड़ा समय लगता है, लेकिन लगभग एक पखवाड़े में वह इसे सुचारु रूप से करने लगता है। जिससे उसे 75 प्रतिशत तक आराम मिल जाता है। उसकी श्वसन नली पूरी तरह साफ हो जाती है । मिट्टी की पुतलीस के साथ वह उसे गरम और ठंडे पानी से नहलाता है, या गरम या ठंडे पानी में चादर को भिगो और निचोड़ कर उसका उपयोग करता है । शुरू के दिनों में धूम्रपान छोड़ने की वजह के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के कारण वह उसे एनीमा देता है। जिससे उसका पेट पूरी तरह साफ हो जाता है। उसे प्रदूषण मुक्त जगह रखता है। तथा रात में कुछ देर तक खुले आसमान के नीचे सुलाता है, जिससे धूम्रपान से जनित सारे रोग ठीक हो जाते हैं । इसके साथ-साथ वह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले भोज्य पदार्थ भी देता है। जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और रोगी जल्दी ठीक हो जाता है। इसके साथ ही धूम्रपान करने की वजह से उसके शरीर में जो जहरीले पदार्थ इकट्ठा हो गए थे, उसे भी वह विभिन्न नेचरोपैथी क्रियायों द्वारा बाहर निकालता है। रात को सोते समय वह गुड और हल्दी मिला दूध देता है। जिससे सोते समय उसे कोई तकलीफ नहीं होती है । धूम्रपान से होने वाली बड़ी से बड़ी बीमारी होने पर भी अगर रोगी नौ महीने तक इलाज कराता है, तो वह ठीक हो जाता है ।
प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट