पान के सामाजिक एवं धार्मिक आयाम

पान की विभिन्न किस्मों को पांच प्रमुख प्रजातियों बंगला, मगही,सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पत्ती के नाम से जाना जाता है।दरअसल पान पाईपरेसी कुल से सम्बंधित हैं. जिसका अंग्रेज़ी नाम बीटल और वनस्पतिक नाम 'पाईपर बीटल' हैं. इसे ताम्बुल पत्र भी कहा जाता हैं. आयुर्वेद के मुताबिक, पान के पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के सिद्धांतों के मुताबिक पान का पत्ता पचने में आसान और गर्म तासीर का होता है। यह भी माना जाता है कि रोजाना पान खाने से वात और कफ दोष दूर होते हैं। इसके अलावा पान का पत्ता विटमिन सी, थियामीन, नियासीन, राइबोफ्लैविन कैरोटिन , अमीनो अल्म, और विटामिन 'ए' , के साथ ही कैल्सियम, और कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता हैं.
2012 में पान के पत्तों पर एक शोध किया गया था, जिसके अनुसार इसमें कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो जो क्रॉनिक माइलॉइड ल्यूकेमिया (CML) से लड़ने में मददगार हैं। इस शोध को इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल बायॉलजी के अलावा दो अन्य भारतीय संस्थानों ने भी किया था। इस रिसर्च में सामने आया था कि पान के पत्तों में ऐसे गुण होते हैं जो बोन मेरो कैंसर को खत्म करने में मदद करता है।
पान खाने से हमारी पाचन क्रिया भी बेहतर होती है। जिन लोगों को कब्ज की परेशानी रहती है उनके लिए पान की पत्ती चबाना अच्छा है। यह बॉडी के मेटाबॉलिजम रेट को बढ़ाता है। इसके अलावा यह गैस्ट्रिक अल्सर को ठीक करने में भी मददगार है।
पान के पत्तों में शामिल कुछ तत्व बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करते हैं। जिन लोगों के मुंह से दुर्गंध आती है उन्हें इसका सेवन करना चाहिए। जो लोग पान खाते हैं उनके लार में एस्कॉर्बिक एसिड का स्तर सामान्य बना रहता है, जिस वजह से मुंह संबंधी कई बीमारियां होने का खतरा कम हो जाता है। मसूड़ों में किसी तरह की गांठ या सूजन है वो भी इसके सेवन से कम हो जाती है।
हिन्दू धर्म से सम्बद्ध साहित्यों के विवेचन के अनुसार हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ काम किया जाए उसमें ताम्बूल अर्थात पान के पत्ते को जरूर रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार समुद्र मंथन के वक्त देवताओं ने पान के पत्ते का प्रयोग कर पूजन किया था। पान खाना, दान करना और देवी-देवताओं को भेंट करना बहुत शुभ फलदायी होता है।
हिन्दू माइथोलॉजी से संबद्ध अनेक ज्योतिष शास्त्रीय व्याख्याएं बताती हैं कि पापों से मुक्ति और अच्छे समय को निमंत्रण देने के लिए समय-समय पर पान का दान करना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद पान का पत्ता, चूना और कत्था खाने से अपराध लगता है, दरिद्रता और दुर्भाग्य में जीवन कटता है। एकादशी और श्राद्ध के दिन पान नहीं खाना चाहिए।
टैंशन फ्री होने के लिए मंगलवार अथवा शनिवार को हनुमान जी को पान का बीड़ा चढ़ाएं, इस उपाय से संकटमोचन सदा के लिए आपका बीड़ा उठाएंगे। जिस व्यक्ति की रक्षा स्वयं हनुमान जी करेंगे, उसे कभी कष्ट हो नहीं सकता। इस उपाय से कभी भी शनि की टेढ़ी नजर आप पर नहीं पड़ेगी। हनुमान जी के लिए पान बनवाते समय उसमें कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बुरा और सुमन कतरी डलवाएं। ध्यान रखें पान में चूना, तंबाकू एवं सुपारी नहीं होनी चाहिए।
सोमवार के दिन भोले बाबा को कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बुरा और सुमन कतरी डाल कर पान चढ़ाएं। इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है तथा हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं।
रविवार को जेब में पान का पत्ता रखकर घर से निकलने पर बिगड़े काम बन जाएंगे।
सपने में स्वयं को पान खाता देखें तो समझ जाएं जल्दी आपके जीवन में कोई सुंदर स्त्री आने वाली है।
श्री राधाकृष्ण को मीठा पान बहुत भाता है। भगवान की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रतिदिन पान चढ़ाएं।
लक्ष्मी कृपा के लिए शुक्रवार को लक्ष्मी मंदिर में पान चढ़ाएं
पिंटू जायसवाल