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होम आइसोलेशन कितनी हकीकत, कितना फंसाना – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

होम आइसोलेशन कितनी हकीकत, कितना फंसाना – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
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जहां विश्व में कई देशों में कोरेना संक्रमित मरीजों की कमी आ रही है, कई देशों ने कुछ ऐतिहात के साथ लॉक डाउन खोलने का ऐलान कर दिया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आज देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग करके सभी जरूरी पक्षों पर विचार-विमर्श करने वाले हैं । प्रधानमंत्री के निर्देश पर भारत कोरेना के खिलाफ चौतरफा जंग का ऐलान किया है । एक तरफ उन्होने देश को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बाँट रखा है। वहीं दूसरी ओर उन्होने अस्पतालों, स्कूलों और होम आइसोलेशन की व्यवस्था भी की है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से इसके लिए समय –समय पर गाइड लाइन भी जारी की जाती रही है । आज फिर एक बार प्रधानमंत्री की संस्तुति के बाद अपनी नई गाइड लाइन जारी कर दी है। जिसके अनुसार होम आइसोलेशन की अवधि 17 दिन निर्धारित कर दी गई है । दिनों की गिनते प्री-सिम्पटोमैटिक मामलों में सैंपलिंग के दिन से गिनी जाएगी। अगर इस अवधि में होम आइसोलेशन मरीजों को 10 दिन से बुखार नहीं आया, तो उनकी आइसोलेशन की अवधि समाप्त हो जाएगी और इसके बाद उन्हें कोरेना का टेस्ट भी करवाना जरूरी नहीं होगा । वह स्वैच्छिक होगा। अगर संक्रमित व्यक्ति चाहे तो करवाए, चाहे तो न करवाए । इसके अलावा होम आइसोलेटेड मरीजों के लिए निम्नलिखित गाइड लाइन जारी की गई है। जिसका अनुपालन होम आइसोलेटेड संक्रमित व्यक्ति के लिये करना जरूरी है -

1. होम आइसोलेटेड व्यक्ति को हर वक्त ट्रिपल लेयर वाला मेडिकल मास्क पहनना होगा। उसे हर 8 घंटे में बदलना होगा। लेकिन अगर इसके बीच में मास्क गंदा या गीला हो जाता है, तो उसे तुरंत बदल लेना चाहिए ।

2. मास्क को डिस्कार्ड करने से पहले 1% सोडियम हाइपो-क्लोराइट से बार – बार संक्रमण रहित करना होगा।

3. होम आइसोलेटेड मरीज को अपने कमरे में रहना होगा। परिवार के अन्य सदस्यों से दूरी बनाए रखना होगा ।

4. संक्रमित व्यक्ति को खूब आराम करना चाहिए और भोजन के रूप में अधिक से अधिक तरल पदार्थ लेना चाहिए ।

5. सांस की स्थिति का अवलोकन करते रहना चाहिए । अगर सांस लेने में कठिनाई हो, तो तुरंत नजदीकी के डाक्टर से संपर्क करना चाहिए ।

6. साबुन-पानी या अल्कोहॉल सैनिटाइजर से कम से कम 40 सैकंड तक हाथ धोना चाहिए।

7. इस्तेमाल की हुई व्यक्तिगत चीजें दूसरों को नहीं देना चाहिए ।

8. टेबलटॉप, दरवाजों के कुंडी और हैंडल आदि को अगर छू दिया हो तो उसे 1% हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन से साफ करना चाहिए।

9. डॉक्टर द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन और समय से दवाओं का सेवन करना चाहिए ।

10. संक्रमित व्यक्ति प्रतिदिन अपने शरीर के तापमान की जांच करेगा। इसके अलावा अन्य सभी लक्षणों से जो महसूस होंगे, उससे डाक्टर को अवगत कराएगा ।

इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने होम आइसोलेटेड व्यक्ति के परिजनों के लिए भी गाइड लाई जारी की है –

1. होम आइसोलेटेड कमरे में जाने वाले हर व्यक्ति को ट्रिपल लेयर वाला मास्क पहनना आवश्यक है। जो साफ – सूत्र और डिसकार्ड किया हो ।

2. कमरे में जाने वाले किसी व्यक्ति को अपना चेहरा, नाक और मुंह नहीं छूना चाहिए ।

3. कमरे से बाहर निकलने के बाद हाथों को अच्छी तरह 40 मिनट तक धोना चाहिए।

4. खाना बनाने, खाना खाने, टॉयलेट जाने के पहले और बाद में हाथ को अच्छी 40 सेकंड तक तरह धोना चाहिए।

5. हाथ धोने के बाद उसे डिस्पोजेबल पेपर नैपकिन या साफ तौलिया से पोंछना चाहिए।

6. संक्रमित व्यक्ति के शरीर को साफ करते यह छूते समय हाथों में ग्लव्स पहनने चाहिए और उतारने के बाद भी हाथों को 40 सेकंड तक धोना चाहिए ।

7. संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रयोग में लाई गई किसी वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।

8. उसे खाना उसी कमरे में खिलना चाहिए।

9. गलव्स पहन कर उसे खाना देना चाहिए, उसके वर्तन उठाना चाहिए और गलव्स पहन कर ही उसे साफ करना चाहिए, इसके बाद गलव्स उतारने के बाद फिर अपने हाथों को 40 सेकंड धोना चाहिए ।

10. ट्रिपल लेयर मास्क और गलव्स पहन कर ही मरीज के कमरे की सफाई करना चाहिए और उसे उतारने के बाद अपने हाथों को 40 सेकंड धोना चाहिए।

11. संक्रमित व्यक्ति को समय से दवाएं खिलाते रहना चाहिए ।

12. घर के व्यक्तियों को भी अपने शरीर के तापमान की रोज जांच करते रहना चाहिए।

लेकिन होम आइसोलेशन की भी अपनी सीमा है। यह मात्र चंद ऐसे लोगों के लिए है, जिसके पास दो से अधिक कमरे का घर हो। परिवार के सभी सभी सुशिक्षित हों। उन्हें मेडिकल जैसे थर्मामीटर से तापमान मापने और मास्क को स्ट्रेलाइज करने की विधि मालूम होना चाहिए । प्राथमिक चिकित्सा के लिए जो जरूरी सावधानियाँ हैं, उसका ज्ञान होना चाहिए । लेकिन भारत जैसे विविधता भरे देश में ऐसे कितने लोग हैं । इस पर विचार करना पड़ेगा। जहां की ग्रामीण जनता को तो छोड़ दीजिये, शहरों में अधिकांश लोगों के पास एक ही कमरे का घर है। झुग्गी – झोपड़ियों और गरीब, अशिक्षित लोग तो होम आइसोलेटेड हो ही नहीं सकते हैं । न ही उनके पास इसकी व्यवस्था है, और न ज्ञान ही है । ऐसे में होम आइस्लोलेटेड सिर्फ सम्पन्न लोगों के लिए है। वही इसका लाभ उठा सकते हैं। सरकार द्वारा इस प्रकार की गाइड लाइन जारी की जाती चाहे न जारी की जाती, जो लोग होम आइसोलेशन के लिए समर्थ हैं, वे पहले भी अपना ट्रीटमेंट में ऐसे ही विधियों का उपयोग करते थे। स्वास्थ्य विभाग ने जो गाइड लाइन जारी की है, उसी के अनुरूप आचरण करते थे। ऐसे मौकों पर तो बहुत लोग तो प्रशिक्षित नर्सों को हायर कर लेते हैं।

सवाल इस देश के 80 करोड़ से अधिक गरीब लोगों का है, मजदूरों का है, मज़लूमों का है । जिसके पास न संसाधन हैं, और न ही इन सबकी जानकारी है। सरकार की तरफ से ऐसे किसी आवेयरनेस प्रोग्राम की मुझे जानकारी नहीं है, जिसके माध्यम से गरीबों, मज़लूमों, मजदूरों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा हो । सिर्फ उनकी भूख मिटा देने से ही काम नहीं चलने वाला है। बल्कि उसे प्रशिक्षित करने की जरूरत है। जिसकी व्यवस्था न तो राज्य सरकार की ओर से की जा रही है, न ही केंद्र सरकार की ओर से । भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिर्फ गाइड लाइंस जारी कर देने से क्या होगा ? भारत और प्रदेशों के स्वास्थ्य विभागों को समूहिक रूप से मिल कर यहाँ के प्रशिक्षित डाक्टरों, चिकित्सक सहायकों , नर्सों आदि को लेकर पूरे देश में एक आवेयरनेस प्रोग्राम चलाने की जरूरत है। जिससे देश का बच्चा कोरेना क्या है ? उसके लक्षण क्या हैं ? संक्रमित व्यक्ति से बचने के उपाय क्या हैं ? संक्रमित व्यक्ति के इलाज के लिए कहाँ-कहाँ और क्या – क्या व्यवस्था है ? इससे समस्त जानकारी उसे कहाँ मिल सकती है, उसका टोल फ्री नंबर क्या है ? अपने मोहल्ले या क्षेत्र में उसका वालेंटियर कौन है, उसका मोबाईल नंबर क्या है ? ऐसी तमाम जानकारियाँ देश के प्रत्येक नागरिक के पास होना चाहिए । क्योंकि कोरेना संक्रमण का प्रभाव कुछ दिनों में ही समाप्त नहीं होने वाला है। उसे समाप्त होने में समय लगेगा। इसलिए बहुत दिनों तक हम लॉक डाउन में भी नहीं रह सकते हैं । वैसे ही लॉक डाउन के कारण पूरे देश की सभी आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं। मजदूरों, कामगारों, और आम आदमी के पास काम ही नहीं है। सबको अपनी रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। हर आदमी यही सोच रहा है कि अगर इसी तरह लॉक डाउन चलता रहा, तो वह अपने परिवार, अपने बच्चो को खिलाएगा क्या ? एक आशाभरी दृष्टि से सरकार की ओर देख भी रहा है। 45 दिन के बाद ही सारी सरकारी और समाजसेवियों द्वारा चलाई जा रही गरीबों के लिए भोजन व्यवस्था ठप्प पड़ गई है। शराब की बिक्री और खाली हाथ और दिमाग अपराध को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में सरकार के सामने दूसरी समस्याएँ भी शुरू हो गई हैं । जो लूट रहा है, जो सताया जा रहा है, जिसके साथ अन्याय हो रहा है, उसकी न तो प्रशासनिक अधिकारी सुन रहे हैं, और न ही पुलिस अधिकारी सुन रहे हैं। सभी कोरेना संक्रमण के भये से एक-दूसरे से दूरी बनाए हुए हैं। पूरे देश में एक भय का माहौल व्याप्त हो गया है। ऐसे में सरकार के सामने एक ही चारा बचता है कि वह लोगों को कोरेना संक्रमण और उससे बचने के लिए सभी आवश्यक जानकारी देना चाहिए, व्यापक स्तर पर आवेयरनेस प्रोग्राम चलाना चाहिए। क्योंकि बचाव ही इस रोग का निदान है ।

प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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