देवी प्रदोष व्रत:- (निरंजन मनमाडकर)

ॐ श्री मात्रे नमः
देवी गीतामें पर्वतराज हिमालय पूछते है की भगवती आपके प्रियतम स्थान कौन कौनसे है तथा आपके व्रत कौन कौनसे है?
तब माँ भगवती स्वयं कहती है!
सर्वं दृश्यं ममस्थानं सर्वेकालाव्रतात्मकाः |
उत्सवाः सर्वकालेषु यतोऽहं सर्वरूपिणी ||
हे नगाधिप! तुम जो भी स्थान देखते हो वह सब मेरे ही स्थान है! सभी काल सभी समय व्रतात्मक है तथा सभी कालोंमें मेराही उत्सव किया जाता है क्यों की मैं सर्वरूपिणी हूँ!
तथापि भक्तवात्सल्य के हेतु किञ्चित किञ्चित कहती हूँ!
तत्पश्चात माँ भगवती स्वयं व्रतोंका वर्णन करती है! उन सभी व्रतोंमें वर्णन आता है प्रदोष व्रत का.
................ चैव प्रदोषव्रतमेव च |
तिथीओंमें प्रदोष व्रत का वर्णन भगवती करती है! तथा इस के उपर टीका करते हुए नीलकण्ठाचार्यजी अपनी देवीभागवततिलक टीका में कहते है!
यत्र प्रदोषकाले!
निशामुखे रजनीमुखे तस्मात्प्रदोषव्रतं देव्याः शिवस्य च सिद्धम् |
प्रदोष काल में याने की रात्रीके शुरूआत में जैसे भगवान शिव का प्रदोष पूजन होता है वैसे ही भगवती महादेवी का भी प्रदोष पूजन होता है!
अब यह पूजा कौनसी है? इसका वर्णन तो नही आता किंतु आगे के अध्याय में पूजा पद्धती बताई है! अतः या तो देवीगीता में कही हुई पूजा करें! वैदिक पूजा! तांत्रिक पूजा अपने अपने सम्प्रदाय के अनुसार!
यहापर विशेष ध्यान देने वाली बात है की प्रदोष काल में भगवान महादेव माँ भगवती को सिंहासनपर बैठाकर उनके सामने नृत्य करते है! ठीक उसी समय आपको पूजा करनी चाहिए.
यत्र देवो महादेवो देवीं संस्थाप्य विष्टरे |
नृत्यं करोति पुरतः सार्धंदेवैर्निशामुखे ||
तत्रोपि देवी सम्पूज्य रात्रौ भोजनमाचरेत् |
भगवती का यह प्रदोष पूजन करने के पश्चात रात्र में एकाष्णा का त्याग करें!
हमारे सौभाग्य से इस माह का प्रदोष मंगलवारको आया है अतः यह भौमप्रदोष कहलाता है जो भगवती जगदंबा की विशेष कृपा प्राप्ती हेतु किया जा सकता है!
मंगलवार दिनांक ५ मई २०२० को माँ भगवती का प्रदोष व्रत है! इसे शाक्तप्रदोष तथा शक्तिप्रदोष भी कहा गया है!
ॐ नमश्चण्डिकायै
जय माँ जय गुरूदेव
लेखन व प्रस्तुती
©️निरंजन मनमाडकर पुणे