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मन की बात - आत्म-मंथन का नवनीत, कोरेना महामारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव

मन की बात - आत्म-मंथन का नवनीत, कोरेना महामारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी – प्रोफेसर डॉ. योगेन्द्र यादव
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वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरेना संक्रमण से आतंकित है। एक ऐसी महामारी, जो खुद चल कर हमारे पास नहीं आ रही है, बल्कि वह तभी आ रही है, जब हम संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर उसे खुद अपने घर आने का न्योता दे रहे हैं। कोरेना महामारी की इसी प्रकृति के कारण इससे बचने के लिए विश्व के सभी देशों ने जो तरीका निकाला है, वह लॉक डाउन है। जिसमें सभी को स्वेच्छा से चुने हुए कर्फ़्यू का पालन करना है । खुद लगाए गए कर्फ़्यू में यदि हमें कभी निकलना पड़े, तो मास्क और सोशल दिसतेनसिंग का ध्यान रखना है ।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो नियमित रूप से मन की बात करते आ रहे हैं। कोरेना महामारी और उससे अपने देश के हर नागरिक को बचाने की जद्दोजेहाद के कारण वे इस महीने मन की बात नहीं करेंगे, लेकिन इसके बावजूद उन्होने मन की बात की। पीएमओ द्वारा इसकी सूचना जिन लोगों को ई-मेल से दी जाती है, उसमें से एक मैं भी हूँ। इस तरह से मन की बात कब होना है, इसकी जानकारी मुझे भी पहले चल जाती है। वैसे हर बार मन की बात सुनने की इतनी उत्सुकता नहीं रहती थी, लेकिन इस बार कोरेना महामारी के कारण घर पर मौजूद होने के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात सुनने की प्रबल इच्छा थी। ऐसे अंदाजा तो था कि कोरेना संकट के कारण इस बार उनकी मन की बात उसी पर किसी न किसी रूप में केन्द्रित होगी। वही हुआ भी। लेकिन इस बार ऐसा लगा, जैसे वे पिछले दिनों गहन आत्म-मंथन की प्रक्रिया से गुजरे हों। जिस प्रकार दही को बार-बार मथने की वजह से माखन की प्राप्ति होती है। वैसे ही इस बार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात की, तो ऐसे लगा, जैसे वे मन की बात कम, किसी संत की तरह प्रवचन दे रहे हैं ।

अपने मन की बात में जब उन्होने ताली, थाली और दीया और मोमबत्ती से प्रारम्भ की, तो मन थोड़ा सा खिन्न हुआ। क्योंकि जिस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने इन शब्दों का उपयोग करने को कहा था, उससे विलग लोगों ने इसका उपयोग किया गया था। लेकिन जैसे ही वे इन शब्दों से आगे बढ़े, तो लगा कि नहीं, आज वे कुछ विशेष गंभीर बात करने के लिए उपस्थित हुए हैं । उन्होने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे महायज्ञ चल रहा है। हमारे किसान खेतों में मेहनत इसलिए कर रहे हैं ताकि इस विपत्ति काल में कोई भूखा न रहे । कहीं कोई मास्क बना रहा है, ताकि लोग उसे लगा कर निकलें, जिससे कोरेना से संक्रमित न हों। कोरेंटाइन में रहते हुए भी लोग खाली नहीं बैठे हुए हैं। जिन स्कूलों में उन्हें कोरेनटाइन के लिए रखा गया है, वे उसकी पुताई और सफाई कर रहे हैं । तो अधिकांश जगहों से सूचना मिल रही है कि लोग अपने- अपने किराएदारों के किराये माफ कर रहे हैं।

उन्होने आगे कहा कि कोरेना से लड़ने के लिए सरकार ने जो प्लेटफार्म तैयार किया है। उससे अभी तक सवा करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। इसमें अधिकांश लोग डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, आशा कार्यकर्ता, नर्स आदि हैं । ये सभी लोग कोरेना से देश को बचाने के लिए निरंतर चिंतन कर रहे हैं। मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। जिससे लोगों के अंदर आशा का संचार हो रहा है । जिस प्रकार हर लड़ाई कुछ न कुछ सबक दे जाती है। उसी प्रकार कोरेना से लड़ते हुए हम कुछ नए मार्ग बना रहे हैं, मंजिलों पर पहुँचने के लिए नए रास्ते तलाश रहे हैं । और एक न एक दिन हम इसमें जरूर कामयाब होंगे। कोरेना को हराने में कामयाब होंगे ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात करते हुए कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है कि पूरा देश एक टीम भावना से काम कर रहा है । लोग अपना बेस्ट देने का प्रयास कर रहे हैं। दवाइंया पहुंचाने के लिए लाइफलाइन उड़ानों का संचालन किया जा रहा है। कई टन दवाएं एक से दूसरे हिस्से में पहुंचाई जा चुकी हैं। 60 से ज्यादा ट्रैक पर पार्सल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। डाक सेवा भी मजबूती से काम कर रही है। गरीबों के अकाउंट में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। गरीबों को सिलेंडर और राशन दिया जा रहा है।

उन्होने प्रदेश सरकारों और प्रशासन की प्रशासनसा करते हुए कहा कि स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकारों की कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे है। हाल ही में स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए जो अध्यादेश लाया गया है, उसकी स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रशंसा की है। कोरोना योद्धा के रूप में काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। पुलिस के संबंध में लोगों की सोंच में बदलाव आया है। इस समय पुलिस जरूरतमंदों को खाना पहुंचा रही हैं। इससे पुलिस का मानवीय पक्ष लोगों के सामने आया है। जिससे उनका मानवीय पक्ष जनता के सामने आया है। इससे चलते लोग पुलिस से लोग आत्मीयता के साथ जुड़ रहे हैं। इससे आने वाले समय में देश में काफी बदलाव महसूस किया जाएगा ।

उन्होने कहा कि दूसरे छीनकर उपयोग में लाना विकृति है। लेकिन लॉक डाउन के समय जिस प्रकार लोग खुद आधा पेट खा कर दूसरों को खाना खिलाया, यही संस्कृति है।

देश ने भी अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसले लिए । इसी कारण भारत ने अमेरिका को दवाएं देने का फैसला किया ।

भारत ने अपनी संस्कृति के अनुरूप फैसला लिया। आज दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों से बात होती है तो वे थैंक्यू इंडिया कहते हैं। इस पर मैं ही नहीं, पूरा देश गर्व कर सकता है ।

'आप लोग इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयोग जरूर करें, काढ़े आदि के प्रयोग से प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। जैसे विश्व ने हमारे योग को स्वीकार किया है, वैसे ही आने वाले समय में वे आयुर्वेद को भी स्वीकार करेंगे। लेकिन युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभानी होगी।

कोरेना ने हमारी जीवनशैली को व्यवस्थित कर दिया । उसने हमारी चेतना और समझ जागृत किया है। जिसमें मास्क पहनना और चेहरा ढंकना है। हमें इसकी आदत नहीं थी, लेकिन बड़ी सहजता से लोगों ने इसे अपना लिया ।

एक दूसरे को बचाने के लिए हम सभी मास्क जरूर पहनें। गमछा भी इसका बेहतर विकल्प हो सकता है। सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें । अगर हम में से किसी में यह गलत आदत है, तो उसे छोड़ दें। इससे कोरेना के संक्रमण को रोकने में हमें मदद मिलेगी ।

उन्होने अपनी मन की बात में आज अक्षय तृतीय के ऐतिहासिक पहलू का भी उल्लेख किया । उन्होने कहा कि

यह त्योहार हमें यह बताता है कि चाहे कितनी विपत्ति आए, हमारी लड़ने की ताकत अक्षय रहेगी। इसी दिन पांडवों को सूर्य से अक्षय पात्र मिला था। आज देश के पास अक्षय अन्न भंडार है। हमें पर्यावरण संरक्षण के बारे में भी सोचना है। पर्यावरण को भी अक्षय रखना होगा।

रमजान चल रहा है। इसे सद्भाव, संयम से मनाना है। उन्होने लोगों से अपील की कि वे रमजान के महीने में भी फिजिकल दिसतेनसिंग रखेंगे। स्थानीय प्रशासन से भी उनकी मदद करने को कहा ।

ईस्टर का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि इस बार इसाइयों ने ईस्टर भी अपने-अपने घर पर ही मनाया।

अंत में उन्होने लोगों से अपील की कि आप सभी अति आत्मविश्वास न पालें । शहर, गली में कोरोना पहुंचा नहीं है, आप सावधानी रखेंगे, तो नहीं पहुंचेगा । लेकिन हमें दुनिया के अनुभव से समझना होगा। हमें लापरवाह नहीं होना है। हम सभी जानते हैं कि नजर हटी, दुर्घटना घटी। हल्के में लेकर छोड़ी गई आग, कर्ज और बीमारी अवसर मिलते ही दुबारा उभर जाती है। इसलिए कोई लापरवाही न करें। एक दूसरे से दो गज की दूरी बनाए रखें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज की मन की बात पर अगर गंभीर चिंतन करें, तो आज उन्होने ऐसा कुछ भी ऐसा नहीं कहा, जो अनुपयोगी हो, उनकी एक-एक बात, उसके एक – एक शब्द आज की परिस्थिति से निकलने के लिए उपयोगी हैं। उनकी आज की मन की बात समग्र रही। उन्होने भूत-वर्तमान और भविष्य, सभी को समाहित किया। हम सभी को राजनीति और दुर्भावनाओं से ऊपर उठ कर उनके द्वारा जो मंथन नवनीत दिया गया है, उसे अपने आचरण में उतार कर कोरेना महामारी को परास्त करना है ।

प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव

पर्यावरणविद, शिक्षाविद, भाषाविद,विश्लेषक, गांधीवादी /समाजवादी चिंतक, पत्रकार, नेचरोपैथ व ऐक्टविस्ट

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