अर्णव की जगह पूरी कांग्रेस योगी आदित्यनाथ जी के साथ साथ पूरे देश से माफी मांगती

अर्णव गोस्वामी ने सोनिया जी का वास्तविक नाम रख दिया तो बवाल हो गया, उनपर हमले होने लगे। कांग्रेस के साथ साथ एक उसके सारे सहयोगी उबल पड़े हैं।
उसी कांग्रेस के अनेक नेताओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को बार बार अजय सिंह बिष्ट कहा है, पर उसपर कोई चर्चा नहीं हुई... कांग्रेस के नेताओं, गांधी परिवार के निष्ठावान सेवकों और वामपंथियों ने बार-बार उन्हें अपमानजनक तरीके से अजय सिंह बिष्ट कहा है, और इसके लिए वे कभी शर्मिंदा नहीं हुए।
योगी आदित्यनाथ जी महाराज केवल एक राजनीतिज्ञ नहीं है, बल्कि सनातन की एक प्रमुख आध्यात्मिक धारा "नाथपन्थ" के सबसे बड़े मठ के महंत हैं। उस नाथपन्थ के, जिसके कनफट्टे योद्धा योगियों ने पूरे मध्यकाल के दौरान भारत के बहुत बड़े हिस्से में धर्मांतरण को रोक कर रखा। पंजाब से लेकर मणिपुर-आसाम तक, और नेपाल से कर महाराष्ट्र तक गाँव-गाँव में पैदल घूम कर सनातन की अलख जगाने वाले जोगियों ने लगभग हजार वर्षों तक सनातन की आध्यात्मिक डोर थामी थी। कौन नहीं जानता नाथपन्थ के बारे में?
कोई भी व्यक्ति जब नाथपन्थ की दीक्षा लेता है तो वह अपने पूर्व जीवन से पूर्णतः मुक्त हो जाता है। यहाँ तक कि अपने माता-पिता से भी पूर्णतः सम्बन्ध विच्छेद हो जाता है उसका। उसके गुरु ही उसके पिता होते हैं। योगी आदित्यनाथ भी अपने पिता के कॉलम में स्वर्गीय विष्ट जी का नाम नहीं लिखते, बल्कि अपने गुरु ब्रम्हलीन योगी अवैधनाथ जी महाराज का नाम लिखते हैं। यह जाने कितनी शताब्दियों पूर्व की परम्परा है...
चार दिन पूर्व जब योगी जी के पूर्व जीवन के पिता की मृत्यु हुई थी, तो वे कोरोना से लड़ाई के कारण नहीं जा सके थे। मुझे लगता है यदि कोरोना नहीं होता तब भी वे नहीं जाते... यही परम्परा है। यही उनका समर्पण है।
योगी जी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन हम बिहारियों के लिए वे महान नाथपंथी परम्परा के ध्वज हैं। महाराज भरथरी हरि, गुरु गोरखनाथ और बाबा मछेन्द्रनाथ की महान विरासत के वर्तमान हैं। हमारे लिए वे पूज्य महंत जी है... उनका अपमान हमारा अपमान है, भारत का अपमान है, सनातन का अपमान है।
तो जब ऐसे व्यक्ति को बार बार ये मूर्ख कांग्रेसी और धूर्त वामपन्थी अजय सिंह कहते हैं तो उन्हें शर्म क्यों नहीं आती? सोनिया जी का वास्तविक नाम लेने भर से चिढ़ जाने वाले धूर्तों का कैसा दोमुंहा बर्ताव है यह?
जो लोग नाथपन्थ की इस महान परम्परा तक को नहीं जानते, वे किस मुँह से भारत को जानने का दावा करते हैं? इस देश को सोनिया और राहुल ने नहीं गढ़ा, इस देश को गोरख, नानक, तुलसी, कबीर, चैतन्य और नामदेव जैसे संतों ने गढ़ा है। यदि उनकी परम्परा का सम्मान नहीं तो सोनिया-राहुल का सम्मान कैसा?
मैं श्रीमती गाँधी को विदेशी नहीं मानता, ना हीं उनके किसी भी तरह के अपमान का समर्थन करता हूँ, पर उनके लोगों के दोहरे बर्ताव पर मेरी आपत्ति है और रहेगी...
अच्छा तो यह होता कि अर्णव की जगह पूरी कांग्रेस योगी आदित्यनाथ जी के साथ साथ पूरे देश से माफी मांगती।
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।